Thursday, April 25, 2024

मिर्जापुर: मड़िहान में जीरा भारती बन चुकी हैं दलित-आदिवासियों की आवाज

उत्तर प्रदेश में मिर्जापुर जिले के मड़िहान विधानसभा क्षेत्र में पहाड़ी पर चढ़ते हुए पटेहरा गांव है जहां तमाम मिट्टी के कच्चे घरों में से एक घर जीरा भारती का है, जो पिछले दो दशकों से दलितों औऱ आदिवासियों के हक में आवाज़ उठा रही हैं। इस संघर्ष में क़ई बार उन्हें गांव के दबंगों की मार भी झेलनी पड़ी है और प्रशासन द्वारा क़ई फर्जी मुकदमे भी उनके ऊपर लादे गए हैं। इस विधानसभा चुनाव में जीरा भारती अपने मड़िहान विधानसभा से भाकपा (माले) से उम्मीदवार हैं।

कैसे हुआ उनका कम्युनिस्ट आंदोलन से जुड़ाव

जीरा भारती बताती है कि अपने गांव पटेहरा में वह अपने चार बच्चों के साथ खेतों में मजदूरी करके अपना जीवन-यापन करती थीं।  एक बार  गांव के सवर्ण सामंती ताकतों ने प्रशासन के साथ मिलकर क़ई सालों से अपनी जमीन पर बसे आदिवासियों को बेदख़ल कर उनकी ज़मीन हड़प का सरकारी अभियान चलाया था। ऐसी परिस्थिति में लाल झण्डे पर हंसुआ हथौड़ा के निशान की पार्टी के लोग गांव में आये और आदिवासियों के साथ मिलकर गांव में जमीन हड़प के ख़िलाफ़  दीर्घकालिक लंबा धरना दिया। जीरा भारती ने बताया कि इस धरने में शामिल होकर उन्होंने महिलाओं का नेतृत्व किया। लाल झण्डे और आदिवासियों की बड़ी भागीदारी की ताकत ने सवर्ण सामन्ती ताकतों और प्रशासन को गांव से बाहर का रास्ता दिखा दिया। इस आंदोलन का उन पर इतना बड़ा असर हुआ कि उन्होंने लाल झण्डे की पार्टी भाकपा (माले) की सदस्यता ले ली  और कम्युनिस्ट आंदोलन में शामिल हो गईं। इसके बाद मिर्जापुर में गरीबों, दलितों और आदिवासियों की क़ई लड़ाईयों का नेतृत्व उन्होंने  किया।

महिलाओं के बीच प्रचार करती जीरा भारती

जीरा भारती के संघर्ष, आंदोलन, जीत और  फर्जी मुकदमों की कहानी

पिछले दो दशकों में जीरा भारती ने ग्रामीणों के साथ मिलकर न केवल मजदूरी बढ़ाने, राशन व्यवस्था में कोटेदारों की मनमानी के ख़िलाफ़, मनरेगा में भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़, क़ई लड़ाईयों का नेतृत्व किया बल्कि महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा के सवालों  को  भी वह मज़बूती से उठा रही हैं। गरीबों और महिलाओं के हक़ में  प्रशासन और दबंगों से सीधे टकराने के कारण जीरा भारती को क़ई बार अपने ऊपर यौन हमले और जानलेवा हमले झेलने पड़े। क़ई फर्जी मुक़दमे उनके ऊपर हैं। इतना ही नहीं उनके परिवार के सदस्यों के साथ भी दबंगों द्वारा हिंसा की गई, और फर्जी मुकदमे लादे गए हैं।

मिर्जापुर के तमाम भूमि संघर्षों की दास्तां हमने उनसे सुनी। जिसमें वह 2018 के जमीन संघर्ष को रेखांकित करते हुए जरूर याद करती हैं। कोलहा गांव में दलितों पर बर्बर सामंती हमलों का जिक्र करते हुए बताती हैं कि मोदी- योगी राज में भू माफिया अंबिका प्रसाद पांडे ने प्रशासन की मिलीभगत के साथ दलितों की पट्टे वाली जमीन व खतैनी की जमीन को अपने व परिवार के सदस्यों के नाम करा लिया।  इस बात का दलित समाज के लोग शांतिपूर्ण विरोध कर रहे थे कि उनका गांव चकबंदी में है तो उसकी जमीन  पर कब्जा नहीं हो सकता है। लेकिन भू माफियाओं के गुंडों ने निहत्थे आंदोलनरत गांववासियों (जिसमे क़ई महिलाएं भी शामिल थी)  के ऊपर ट्रैक्टर चढ़ा दिया, महिलाओं की  गुंडों ने बर्बर पिटाई भी की।  जिसमें चार महिलाएं बुरी तरह घायल हो गई, एक गर्भवती महिला का गर्भपात भी हो गया था। इस मुठभेड़ में क़ई बुजुर्गों को गम्भीर चोटें भी आईं। जीरा भारती बताती हैं कि दलितों पर इतना बड़ा हमला हुआ और उनका मुकदमा भी पुलिस ने दर्ज नहीं किया। एससी-एसटी एक्ट लगाने की बात तो दूर बल्कि उल्टे 39 दलितों पर नामजद व सैकड़ों अज्ञात लोगों के ऊपर फर्जी मुकदमे दर्ज कर दिए गए। वह कहती हैं कि उ.प्र. में  2017 में योगी सरकार के आने के बाद से गांव में दलितों और आदिवासियों का उत्पीड़न बहुत बढ़ा है और सवर्ण सामंती भू-माफियाओं और प्रशासन का गठजोड़ मजबूत हुआ है।

जीरा भारती अन्य महिलाओं के साथ अपने चुनाव अभियान में

जीरा भारती ने बताया कि विगत पांच सालों में मिर्जापुर के तमाम इलाकों में दलितों और आदिवासियों को उनकी पुश्तैनी जमीनों से बेदखल किया जा रहा है। खुद सरकारी अधिकारी कानून की अवेहलना करते हुए  भू-माफियाओं के साथ मिलकर गरीबों की जमीनें अपने नाम लिखवा रहे हैं।

मड़िहान विधानसभा क्षेत्र में जीरा भारती के चुनावी प्रचार में मुझे उनके साथ क़ई गांवों में घूमने का मौका मिला। मिर्जापुर जिले में और अपने विधानसभा क्षेत्र में वह महिलाओं की चर्चित नेता हैं। गांव की महिलाओं की आंखों में मैंने जीरा भारती के लिए सम्मान और समर्पण दोनों देखा। चुनाव प्रचार के लिए महिलाएं धन और अनाज दोनों जुटा रही हैं। पटेहरा गांव की आदिवासी महिला रन्नो से जीरा भारती और उनके चुनाव में खड़े होने के संबंध में हमने बात की तो उन्होंने  बेबाकी से जवाब दिया कि “जीरा भारती हमारे दुख – सुख की साथी हैं , एक पुकार में वह हमारे साथ आकर खड़ी हो जाती हैं, हमारे लिए जेल जाती हैं, पुलिस की मार भी हमारी ही खातिर खाती हैं; बाकी नेता तो बरसाती मेढ़क की तरह चुनाव के समय में ही हमारे दरवाज़े बस हाथ जोड़कर खड़े हो जाते हैं।” इसी तरह से रिक्साखुर्द गांव की दलित महिला सुकना ने कहा कि “हम तो हमेशा से लाल झण्डे की नेता जीरा भारती के साथ ही हैं क्योंकि वह हम महिलाओं की ताकत हैं, हमारी लड़ाई को थाने से लेकर कचहरी तक लड़ती हैं इसलिए आज हम लोग मिलकर उनके चुनाव प्रचार के लिए पैसे इकट्ठे कर  रहे रहे हैं ताकि हम महिलाओं की आवाज लखनऊ विधानसभा पहुंच सके।”

जीरा भारती संघर्ष की एक पहचान बन गयी हैं

मड़िहान विधानसभा के बरसैंता गांव की 16 वर्षीय अराधना से चुनाव प्रचार के दौरान मुलाक़ात हुई। डॉक्टर बनने का सपना देखने वाली आराधना कक्षा 8 के बाद आगे की पढ़ाई  इसलिए नहीं कर सकी, क्योंकि उनके गांव में कोई हाईस्कूल भी नहीं था। आराधना जीरा भारती के साथ चुनाव प्रचार में साथ-साथ चल रही है, वह मजदूर और महिलाओं की लड़ाई जिंदाबाद के नारे लगा रही है। आराधना का कहना है कि हमारे गांव में बहुत सारी लड़कियों की पढ़ाई स्कूल कॉलेज के अभाव में छूट जाती है, मैं जीरा भारती के चुनावी कार्यक्रमों में इसलिए शामिल हो रही हूं ताकि लड़कियों की शिक्षा का सवाल विधानसभा पहुंचे।

मड़िहान विधानसभा क्षेत्र में क़ई राजनैतिक पार्टियों के रसूखदार नेताओं का कारवां क़ई दर्जन गाड़ियों के साथ चुनाव प्रचार कर रहा है। इसके विपरीत जीरा भारती गांव-गांव जाकर ग्रामीणों से मिल रही हैं और लोग खुद ब खुद उनके चुनावी कारवां में शामिल हो जा रहे हैं। महिलाएं हंसी- खुशी उनके लिए गाना गा रही हैं, नृत्य कर रही हैं भोजन की व्यवस्था कर रही हैं।

यह पूछने पर कि मौजूदा चुनाव में जनता के कौन से सवाल प्रमुख हैं? इसके जवाब में जीरा भारती ने कहा कि भाजपा सरकार ने पिछले 5 सालों में विकास के नाम पर गरीब जनता का दमन ही किया है। आदिवासियों के सामने उनके अस्तित्व का संकट तो है ही साथ ही जमीन बेदखली भी बड़े पैमाने पर हो रही है। इस सरकार में पंचायत स्तर तक लूट तंत्र व्याप्त है, जिसके कारण योजनाओं का कोई लाभ भी ग़रीबों को नही मिल पाता है। सरकार की 5 किलो मुफ़्त अनाज योजना ग़रीबी का मजाक बनाने वाली है और सबसे बड़ा सवाल तो महिला सुरक्षा का है, जिसमें  भाजपा सरकार और उसका पुलिस- प्रशासन खुद कटघरे में खड़ा है। उन्होंने कहा कि यदि वह चुनाव जीतती है तो गरीबों के हक में अपनी आवाज बुलंद करेंगी क्योंकि लाल झण्डे की ताकत सिर्फ जनता है, संघर्षों के लिए हमें ऊर्जा भी जनता से मिलती है इसलिए हमारी असली पूंजी जनता ही है; इसलिए मेरा सम्पूर्ण जीवन जनता की मुकम्मल लड़ाई के लिए समर्पित है।

(मिर्जापुर से एक्टिविस्ट और पत्रकार कुसुम वर्मा की रिपोर्ट।)

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