Friday, April 19, 2024

आरपीएन सिंह के पिछड़ा प्रेम का प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष लल्लू ने खोला पोल

कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह के भाजपा का दामन थाम लेने के बाद उनके पिछड़ों के प्रति प्रेम को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने ढकोसला करार दिया है। उन्होंने कहा कि आरपीएन सिंह कभी अपने को पिछड़ी जाति से कहलाना उचित नहीं समझा, बल्कि वे अपने को क्षत्रिय कहना ही पसंद करते हैं। कांग्रेस ने पिछड़ी जाति के एक सामान्य व्यक्ति को प्रदेश अध्यक्ष बनाया इसलिए आरपीएन सिंह ने इस्तीफा दे दिया। लल्लू ने दावा किया कि कांग्रेस के एक कार्यकर्ता को तमकुहीराज में पुलिस ने तब पीटा था जब आरपीएन सिंह गृह राज्य मंत्री थे, उस वक्त आरपीएन सिंह मेरे आंदोलन को खत्म करने के लिए दबाव डाल रहे थे।

यूपी कांग्रेस चीफ ने कहा कि कांग्रेस ने आरपीएन सिंह को नेता बनाया। मैं जब जेल गया तो मुझसे आरपीएन सिंह कभी मिलने नहीं आये। आरपीएन सिंह कांग्रेस के किसी कार्यकर्ता के सुख दुख के साथी नहीं रहे। उनको कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष बनने का मौका दिया लेकिन वे बने नहीं। आज आरपीएन सिंह को पिछड़ा वर्ग याद आ रहा है। लल्लू ने कहा, आरपीएन सिंह खुद को क्षत्रिय लिखते हैं, वो पिछड़ों के नेता नहीं हो सकते। आरपीएन सिंह और जितिन प्रसाद जैसे राजा-महाराजा पिछड़ों को आगे बढ़ते नहीं देख सकते। सीबीआई और ईडी के डर से ये लोग भागे हैं।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस में ऐश-ओ-आराम करने वालों की जरूरत नहीं है। जिसको रहना है वो रहे जिसको जाना है वो जाए। 2 साल में जितनी बड़ी घटनाएं हुईं उनमें आरपीएन सिंह और जितिन कभी सड़क पर आंदोलन करने नहीं आये। इनको प्रदेश माफ नहीं करेगा। कांग्रेस नेता ने कहा कि अब कांग्रेस नई कांग्रेस है जो पिछड़ों के लिए संघर्ष करने वाली पार्टी है। आरपीएन सिंह मेरे बारे में प्रचार कर रहे हैं कि मैं भी बीजेपी में जाने वाला हूं। मैं राहुल गांधी का सिपाही हूं, एक सामान्य परिवार के आदमी को राहुल गांधी ने प्रदेश अध्यक्ष बनाया है, मैं जब तक जिंदा हूं तब तक कांग्रेस में रहूंगा। मीडिया को दिए गए लल्लू के इस बयान की चर्चा जोरों पर है।

खास बात यह है कि कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू व पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह यूपी के कुशीनगर जिले से ही आते हैं। भाजपा के लहर में भी दूसरी बार लल्लू ने कांग्रेस पार्टी को जीत दिलाकर संगठन में एक बड़ा संदेश देने का काम किया था। उधर आरपीएन सिंह को लगातार पड़रौना सीट से संसदीय चुनाव में हार मिलती रही है। जिसका आरपीएन को मलाल होना स्वाभाविक है। मध्य प्रदेश से ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में चले जाने के बाद से ही यह चर्चा शुरू हो गई थी कि वे भी भाजपा का दामन थाम सकते हैं। इस चर्चा को दो माह पूर्व और गति मिल गई थी। अब जब स्वामी प्रसाद मौर्य भाजपा छोड़कर सपा में चले गए तो भाजपा की मुहिम और तेज हो गई। जिसका नतीजा रहा कि गणतंत्र दिवस के एक दिन पूर्व आरपीएन सिंह भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर लिए। खास बात यह है कि आरपीएन सिंह जिस पड़रौना सीट से तीन बार विधायक रहे हैं, वहीं से स्वामी प्रसाद तीन चुनावों से जीत रहे हैं। अब चर्चा है कि यहां स्वामी प्रसाद मौर्य के मुकाबले भाजपा आरपीएन सिंह को चुनाव मैदान में उतार सकती है। ऐसे में सपा में जाकर अपने को सुरक्षित कर लेने का उम्मीद लगाए स्वामी प्रसाद मौर्य के लिए आरपीएन बड़ी मुश्किल खड़ा कर सकते हैं।

आरपीएन को विरासत में मिली राजनीति

पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह का पूरा नाम कुंवर रतनजीत प्रताप नारायण सिंह है। जिन्हें यूपी की जनता उन्हें पडरौना का राजा साहब कहती हैं। 25 अप्रैल 1964 को दिल्ली में जन्में आरपीएन सिंह कुशीनगर के शाही सैंथवार परिवार से ताल्लुख रखते हैं। आरपीएन सिंह को राजनीति विरासत में हासिल हुई है उनके पिता कुंवर सीपीएन सिंह कुशीनगर से सांसद थे और कांग्रेस के वफादारों में गिने जाते थे। यूपीए सरकार में उन्होंने तब गृह राज्यमंत्री का पद भी संभाला जब 2009 में उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव जीता था, उन्हें कांग्रेस ने झारखंड का प्रदेश प्रभारी भी बनाया था। इसके बाद 2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव लड़े। लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। पडरौना विधानसभा सीट से आरपीएन सिंह 1996, 2002 और 2007 में तीन बार कांग्रेस पार्टी से विधायक भी रह चुके हैं। आरपीएन सिंह 4 बार लोकसभा चुनाव में अपना भाग्य आजमा चुके हैं लेकिन सफलता सिर्फ एक बार मिली है।

रामलहर में भाजपा को मिली थी पहली जीत

2017 में मोदी लहर से पहले भाजपा को 1991 की राम लहर में पडरौना से जीत मिली थी। 1993 में इस सीट पर समाजवादी पार्टी के बालेश्वर यादव ने जीत हासिल की। 1996 से यहां कांग्रेस नेता आरपीएन सिंह का वर्चस्व कायम हो गया। 2009 तक वह इस सीट से विधायक रहे। आरपीएन के लोकसभा का चुनाव जीतने के बाद से कांग्रेस ने यह सीट नहीं जीती। 2017 के चुनाव में भाजपा के स्वामी प्रसाद मौर्य को 93649 वोट मिले थे। उन्होंने बसपा के जावेद इकबाल को 40552 वोट से हराया था। 41162 वोट लेकर कांग्रेस की शिवकुमारी देवी तीसरे नंबर पर थीं।

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