Saturday, April 27, 2024

उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में सरकारी चाय बगान श्रमिकों की दुर्दशा

उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में सरकारी चाय बगानों में कार्यरत श्रमिक दुर्दशा के शिकार हैं। चमोली जिले के खगेली चाय बगान में 1997-98 से 10 श्रमिक दैनिक मजदूरी पर काम कर रहे हैं। इन श्रमिकों के नाम हैं-दिनेश सिंह कुंवर, महिपाल सिंह कुंवर, दलवीर सिंह कुंवर, गिरीश चंद्र ढौंढियाल, बीरेन्द्र सिंह भण्डारी, बसंती देवी, नंदी देवी, बीसा देवी, छौंटाणी देवी एवं गुड्डी देवी। गौरतलब है कि खगोली में चाय बगान लगाने के लिए वन पंचायत द्वारा 62.254 हेक्टेयर तथा काश्तकारों द्वारा 07 हेक्टेयर जमीन चाय बगान लगाने हेतु सरकार को दी गयी थी।

यह अपने आप में बड़ी दुखद स्थिति है कि दो दशक से अधिक समय बीत जाने पर भी ये लोग दैनिक मजदूर ही हैं। इनके नियमितीकरण की दिशा में कोई कार्यवाही नहीं हुई। इनसे बाद में आए लोग नियमित हो कर सुपरवाइजर तक बन चुके हैं, किन्तु ये लोग दैनिक मजदूर ही बने हुए हैं।

इन श्रमिकों का कहना है कि पूर्व में इन्हें पूरे महीने की मजदूरी दी जाती थी। परंतु वर्तमान में इन्हें महीने में केवल चार दिन की मजदूरी दी जा रही है। चाय बगान को तो पूरे माह ही देखरेख की जरूरत पड़ती है,तब मजदूरी मात्र चार दिन की क्यूं? लॉकडाउन में प्रधानमंत्री निजी नियोक्ताओं से अपने कार्मिकों को न निकालने और पूर्ण वेतन देने की अपील कर रहे हैं। तब सरकारी चाय बगान में अपना जीवन खपा देने वाले श्रमिकों के साथ यह नाइंसाफी क्यूं? इन मजदूरों को तो लॉकडाउन अवधि की कोई मजदूरी नहीं दी गयी।

इसी तरह रुद्रप्रयाग जिले के गैर (जखोली) चाय बगान के श्रमिकों को महीने में 12-13 दिन की मजदूरी दी जा रही है। इन श्रमिकों का यह प्रश्न उचित ही है कि यदि 12 दिन व्यक्ति चाय बगान में मजदूरी करेगा तो बाकी दिन वह कहां जाएगा। गैर (जखोली) के भी एक श्रमिक-राकेश पंवार का प्रकरण में मेरी जानकारी में आया है,जो विगत आठ वर्षों से दैनिक मजदूर ही हैं।

यह बेहद दुखद स्थिति है कि बरसों-बरस से उत्तराखंड के चाय बगानों को संवारने वाले इन मजदूरों की दशा इस कदर दीनहीन और दयनीय है। यह कल्पना से परे है कि प्रतिदिन तीन सौ रुपये मजदूरी है और महीने में केवल चार दिन ही मजदूरी मिलेगी तो ये मजदूर अपना जीवन यापन किस तरह करेंगे? चार दिन की मजदूरी के विरोध में 08 जून 2020 से खगोली चाय बगान में काम बंद है।

इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करते हुए इन मजदूरों को लॉकडाउन अवधि की मजदूरी,दिलवाएं,इन मजदूरों के नियमितिकरण की प्रक्रिया तुरंत प्रारम्भ कारवाई जाये और इन्हें न्यूनतम मजदूरी 500 रुपया प्रतिदिन तथा पूरे महीने का रोजगार दिलवाने की कृपा करें।

(उत्तराखंड के उद्यान मंत्री को भाकपा (माले) के गढ़वाल जिला सचिव इन्द्रेश मैखुरी का लिखा पत्र।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

AICCTU ने ऐप कर्मियों की मांगों को लेकर चलाया हस्ताक्षर अभियान, श्रमायुक्त को दिया ज्ञापन।

दिल्ली के लाखों ऐप कर्मचारी विषम परिस्थितियों और मनमानी छटनी से जूझ रहे हैं। उन्होंने कम प्रति ऑर्डर रेट, अपर्याप्त इंसेंटिव्स, और लंबे कार्य समय के खिलाफ दिल्ली भर में हस्ताक्षर अभियान चलाया। ऐप कर्मचारी एकता यूनियन ने बेहतर शर्तों और सुरक्षा की मांग करते हुए श्रमायुक्त कार्यालय में ज्ञापन दिया।

ग्राउंड रिपोर्ट: पुंछ में केसर उत्पादन की संभावनाएं बढ़ीं

जम्मू के पुंछ जिले में किसान एजाज़ अहमद पांच वर्षों से केसर की सफल खेती कर रहे हैं, जिसे जम्मू विश्वविद्यालय ने समर्थन दिया है। सरकार से फसल सुरक्षा की मांग करते हुए, अहमद पुंछ को प्रमुख केसर उत्पादन केंद्र बनाना चाहते हैं, जबकि महिला किसानों ने भी केसर उत्पादन में रुचि दिखाई है।

Related Articles

AICCTU ने ऐप कर्मियों की मांगों को लेकर चलाया हस्ताक्षर अभियान, श्रमायुक्त को दिया ज्ञापन।

दिल्ली के लाखों ऐप कर्मचारी विषम परिस्थितियों और मनमानी छटनी से जूझ रहे हैं। उन्होंने कम प्रति ऑर्डर रेट, अपर्याप्त इंसेंटिव्स, और लंबे कार्य समय के खिलाफ दिल्ली भर में हस्ताक्षर अभियान चलाया। ऐप कर्मचारी एकता यूनियन ने बेहतर शर्तों और सुरक्षा की मांग करते हुए श्रमायुक्त कार्यालय में ज्ञापन दिया।

ग्राउंड रिपोर्ट: पुंछ में केसर उत्पादन की संभावनाएं बढ़ीं

जम्मू के पुंछ जिले में किसान एजाज़ अहमद पांच वर्षों से केसर की सफल खेती कर रहे हैं, जिसे जम्मू विश्वविद्यालय ने समर्थन दिया है। सरकार से फसल सुरक्षा की मांग करते हुए, अहमद पुंछ को प्रमुख केसर उत्पादन केंद्र बनाना चाहते हैं, जबकि महिला किसानों ने भी केसर उत्पादन में रुचि दिखाई है।