Wednesday, April 24, 2024

पश्चिम बंगालः सवाल अधूरा- आखिर भाजपा के किस मंत्री से मिलने जा रही थीं पामेला!

कोकीन तस्करी के मामले में दो भाजपा नेताओं की गिरफ्तारी के कारण चुनावी सरगर्मी तेज हो गई है। उनमें एक है पामेला गोस्वामी और दूसरे हैं राकेश कुमार सिंह, जिन्हें पामेला भाजपा के बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय का बहुत करीबी बताती है। यह गिरफ्तारी चुनाव में क्या गुल खिलाएगी नहीं मालूम। अलबत्ता गिरफ्तारी को लेकर फिजा में कुछ सवाल तैर रहे हैं। इनके जवाब अगर मिल जाएं तो कोकीन की आंच में पक रही चुनावी दाल में तड़का का काम करेंगे।

यह पूरी कहानी बिल्कुल फिल्मी ड्रामे की तरह है। नायिका खलनायक की पेशकश को ठुकरा देती है और इसके बाद वह साजिश का शिकार हो जाती है। ऐसा अक्सर फिल्मों में आपने देखा होगा। इस कहानी की नायिका पामेला गोस्वामी हैं जो एक मॉडल भी हैं लिहाजा बेहद खूबसूरत भी हैं। वह भारतीय जनता पार्टी की महिला युवा मोर्चा की नेता भी हैं। पामेला अपने एक सहयोगी प्रवीण कुमार के साथ कार से जा रही थी।

कार में सामने की सीट पर एक तीसरा व्यक्ति भी बैठा था। यह तीसरा व्यक्ति उन्हें एक भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री से मिलाने ले जा रहा था। भरोसा दिलाया था कि विधानसभा चुनाव में उन्हें टिकट मिल जाएगा। जैसे ही कार न्यू अलीपुर पहुंचती है यहीं से खालिस फिल्मी ड्रामे का आगाज हो जाता है। तीसरा व्यक्ति केंद्रीय मंत्री के सीए को फोन करने के लिए कार से उतरता है। इसके बाद वह लापता हो जाता है और कुछ ही मिनट में एक दम फिल्मी अंदाज में पुलिस की गाड़ी वहां पहुंच जाती है।

कार की तलाशी करने के बाद पुलिस सामने की सीट से 90 ग्राम कोकीन बरामद कर लेती है और पामेला केंद्रीय मंत्री के बजाए पुलिस के लॉकअप में पहुंच जाती हैं। बस यहीं से खलनायक का आगमन होता है। पामेला कहती हैं कि राकेश सिंह ने एक साजिश रच कर उसे इस मामले में फंसाया है। कहते हैं कि अमृत नामक एक तीसरा व्यक्ति कार में सामने था और मंत्री से मिलाने ले जा रहा था। अब अमृत लापता है और केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा नेता के नाम का खुलासा नहीं हो पाया है।

इंटरवल के बाद फिल्म का दूसरा दृश्य शुरू होता है। इसकी पटकथा पामेला और राकेश के आपसी संबंधों पर आधारित है। पामेला कहती हैं कि राकेश उसे गलत निगाहों से देखता था और उसे इससे एतराज था। यानी राकेश जब उनकी जीवन का नायक नहीं बन पाया तो खलनायक की भूमिका निभाते हुए पुलिस के साथ मिलकर साजिश रची और उसे तस्करी के मामले में फंसा दिया। दूसरी तरफ राकेश का दावा है कि वह तो एक जमाने से पामेला से मिला ही नहीं है।

पुलिस ने साजिश करके उसका नाम तस्करी के मामले से जोड़ा है। अब तकरार के इस पहलू को देखिए, एक तरफ राकेश कहते हैं कि पामेला से मिले ही नहीं तो दूसरी तरफ पामेला का दावा है कि राकेश उनका शारीरिक शोषण करता रहा है। अब भला मिले बगैर यह कैसे मुमकिन है। अलबत्ता पामेला दावा करती हैं कि राकेश के खिलाफ थाने में एफआईआर भी कराई थी, लेकिन कब और किस थाने में इसका खुलासा नहीं किया है।

इस मामले में दो सवालों का जवाब बेहद महत्वपूर्ण है। केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता कौन थे, जिनसे पामेला का मिलना तय था। न्यू अलीपुर थाने की पुलिसस कार तक तभी क्यों पहुंची जब उसमें मौजूद तीसरा व्यक्ति उतर कर गायब हो गया। अब सवाल उठता है कि क्या पामेला का भी वही अंजाम होगा जो जूही चौधरी का हुआ था। ये भी उभरती हुई नेता थीं। टिकट की दावेदार भी थीं, लेकिन उत्तर बंगाल में शिशु तस्करी के एक मामले में गिरफ्तार होने के बाद राजनीतिक नक्शे से जूही पूरी तरह गायब हो गईं। उन्होंने भी फंसाए जाने का आरोप लगाया था। पामेला भी यही आरोप लगा रही हैं। तो क्या पामेला भी इसी राह पर चलते हुए जूही की तरह गुम हो जाएंगी।

(जेके सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और पश्चिम बंगाल में रहते हैं।)

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