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  • सुयोग्य, कर्मठ, जुझारू हो गए ‘सींग’

    सुयोग्य, कर्मठ, जुझारू हो गए ‘सींग’

    उत्तराखंड में अभी जुम्मा-जुम्मा चंद रोज ही बीते हैं, जब गांव-गांव, धार-धार, खाळ-खाळ सुयोग्य, कर्मठ, जुझारू और विकास के लिए प्रतिबद्धों की लाइन लगी हुई थी। दीवारें सुयोग्य, कर्मठ, जुझारुओं के पोस्टर-बैनरों से पटी हुई थी. त्रिस्त्रीय पंचायतों के चुनाव निपटे और पता चला कि सुयोग्य, कर्मठ, जुझारुओं की खेप की खेप तो लापता चल…