Tag: feudal

  • पूर्व राजपरिवारों के एक दर्जन से ज्यादा लोग ओडिशा के चुनाव मैदान में

    पूर्व राजपरिवारों के एक दर्जन से ज्यादा लोग ओडिशा के चुनाव मैदान में

    नई दिल्ली। ओडिशा में लोकसभा और विधानसभा चुनाव मानो पूर्व सामंतों और राजे-रजवाड़ों के लिए स्वर्ग हो गया है। अमेरिका से पढ़ कर आए नवीन पटनायक और देश पर राज कर रही बीजेपी को इन परिवारों को खुला समर्थन मिल रहा है। जिसका नतीजा यह है कि इन घरानों से दर्जनों प्रत्याशी इस बार के…

  • सामंती ताकतों की साजिश का शिकार हुए हैं मनोज मंजिल

    सामंती ताकतों की साजिश का शिकार हुए हैं मनोज मंजिल

    पटना/आरा। पूरे भारत में चुनाव से पहले तमाम पुराने केस, सीबीआई एवं ईडी आदि तमाम रास्तों के जरिए विपक्षी नेताओं को लगातार जेल का रास्ता दिखाया जा रहा है। इसी सिलसिले में बिहार में 9 साल पुराने आरा के चर्चित जेपी सिंह मर्डर केस में आरा सिविल कोर्ट के एडीजे-3 ने भारत की कम्युनिस्ट पार्टी…

  • बचपन में ही हो गया था छुआछूत से मोहभंग

    बचपन में ही हो गया था छुआछूत से मोहभंग

    मेरा बचपन पूर्व-आधुनिक, ग्रामीण, वर्णाश्रमी, सामंती परिवेश में बीता, हल्की-फुल्की दरारों के बावजूद वर्णाश्रम प्रणाली व्यवहार में थी। सभी पारंपरिक, खासकर ग्रामीण, समाजों में पारस्परिक सहयोग की सामूहिकता की संस्थाएं होती थीं। हमारे गांव में भी पारस्परिक सहयोग और सामूहिक सहकारिता की कई संस्थाएं/रीतियां थीं। वैसे तो हर युग में सभी सामाजिक, सांस्कृतिक तथा बौद्धिक…

  • लोकतान्त्रिक लिबास में ‘राजा’

    लोकतान्त्रिक लिबास में ‘राजा’

    पूरे पचहत्तर साल बाद भी हमारा लोकतंत्र अपने शैशवकाल में ही है। अक्सर पालने में पड़ा-पड़ा ‘अहंकार विसर्जन’ करता, अपने डायपर गीले करता रहता है; सोशल मीडिया और थोड़ा बहुत सामान्य मीडिया तन्त्र चीख-चीख कर जब इसे उजागर करता है तो डायपर बदले जाते हैं| पर वेग इतना है इस अहंकार में, कि विसर्जन रोके…

  • भारतीय न्यायपालिका की सामंती संस्कृति के क्या मायने हैं मी लार्ड!

    भारतीय न्यायपालिका की सामंती संस्कृति के क्या मायने हैं मी लार्ड!

    भारत की वर्तमान न्यायिक प्रणाली की उत्पत्ति का स्रोत एक प्रकार से न्यायपालिका की औपनिवेशिक प्रणाली में देखा जा सकता है जो कमोबेश स्वामी-सेवक के दृष्टिकोण से स्थापित की गई थी, न कि जनता के दृष्टिकोण से। इसके अलावा न्यायालयों की कार्यप्रणाली और शैली भारत की जटिलताओं के साथ मेल नहीं खाती है। औपनिवेशिक मूल…

  • जन्मदिन पर विशेष: लालू यादव को समझने के लिए नज़र नहीं, नज़रिये की ज़रूरत

    जन्मदिन पर विशेष: लालू यादव को समझने के लिए नज़र नहीं, नज़रिये की ज़रूरत

    लालू प्रसाद यादव 10 मार्च 1990 को जब गांधी मैदान के जेपी की प्रतिमा के नीचे से मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर अपने तत्कालीन आवास पटना के वेटनरी कॉलेज के सर्वेंट क्वार्टर में लौट कर आए तो घर के बाहर भीड़ लगी थी और उसी भीड़ को निहारते हुए उनकी मां भी खड़ी थीं। लालू…

  • जनता के सम्मान को कभी गिरने नहीं दूंगा: माले विधायक अमरजीत कुशवाहा

    जनता के सम्मान को कभी गिरने नहीं दूंगा: माले विधायक अमरजीत कुशवाहा

    राजनीति के अपराधीकरण व सामंती उत्पीड़न के खिलाफ बुलंद होती आवाज़ की जब-जब बात होती रही, तब-तब बिहार के लोगों में अनायास देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ। राजेंद्र प्रसाद के पैतृक जिले सीवान व मातृभूमि जीरादेई का नाम आता रहा है। तकरीबन ढाई दशक तक चले इस सिलसिले में जेएनयू छात्र संघ के तत्कालीन अध्यक्ष…

  • गुलाम रब्बानी की जयंती: रब्बानी ने थामा था घर से बगावत करके लाल झंडा

    गुलाम रब्बानी की जयंती: रब्बानी ने थामा था घर से बगावत करके लाल झंडा

    मौलाना हामिद हसन कादरी और मैकश अकराबादी की अदबी सोहबतों में उनका शे’री शौक परवान चढ़ा। तालीम पूरी होने के बाद, उन्होंने कुछ दिन वकालत की। शायराना मिज़ाज की वजह से उन्हें यह पेशा ज्यादा समय तक रास नहीं आया। जमींदार परिवार और परिवार के अंग्रेजपरस्त होने के बाद भी गुलाम रब्बानी ताबां की अपनी…

  • हाथरस कांडः परिजनों का आरोप- ‘ऑनर किलिंग’ की लाइन पर जांच कर रही है सीबीआई!

    हाथरस कांडः परिजनों का आरोप- ‘ऑनर किलिंग’ की लाइन पर जांच कर रही है सीबीआई!

    अगर तुम औरत हो,तो बलात्कार की बात जुबान से निकालने भर सेअवहेलना हो जाती है मनुस्मृति कीइसके लिए काटी जा सकती है तुम्हारी जीभ,तोड़ी जा सकती है गर्दनहो सकता है हमलातुम्हारे ही चरित्र पर। इस समाज में इससे बड़ी विडंबना और क्या होगी कि जो लड़की किसी पुरुष या समाज के चरित्र के बारे में…

  • जनता के गुस्से और इरादे को देख कर घबरा गयी है बीजेपी: दीपंकर भट्टाचार्य

    जनता के गुस्से और इरादे को देख कर घबरा गयी है बीजेपी: दीपंकर भट्टाचार्य

    सत्ता की भूखी भाजपा जिसने 2015 के भाजपा विरोधी स्पष्ट जनादेश का अपहरण करके 2017 में नीतीश कुमार के साथ साजिश कर बिहार की कुर्सी हथिया लिया था, इस बार भी उसकी मंशा कोरोना और लॉकडाउन के ज़रिए बिहार के जनादेश को चुरा लेने की थी। लेकिन ज़मीन पर नीतीश सरकार के अहंकार, घमंड व…