Tag: freedom

  • आज़ादी, उपलब्धियां और जनसंघर्ष

    आज़ादी, उपलब्धियां और जनसंघर्ष

    स्वतंत्रता प्राप्ति की एक और वर्षगांठ बीत चुकी है। आजादी कैसे प्राप्त हुई? 75 साल में किसी ने क्या पाया, क्या खोया? देशवासी भी खुश हैं कि ठेल थाल कर ज़िंदगी बसर हुए जा रही है। ये कुछ महत्वपूर्ण पहलू हैं जिनकी ओर राजनेता ध्यान नहीं दे रहे हैं या वे ध्यान नहीं देना चाहते…

  • प्रधानमंत्री का स्वतंत्रता दिवस भाषण: कथनी से ज्यादा करनी का विद्रूप 

    प्रधानमंत्री का स्वतंत्रता दिवस भाषण: कथनी से ज्यादा करनी का विद्रूप 

    आदरणीय प्रधानमंत्री जी का स्वतंत्रता दिवस उद्बोधन कुछ ऐसा था कि जो कुछ उन्होंने कहा वह चर्चा के उतना योग्य नहीं है जितना कि वे मुद्दे हैं जिन पर उनका भाषण केंद्रित होना चाहिए था। वर्ष 2017 में  प्रधानमंत्री जी ने न्यू इंडिया प्लेज शीर्षक से एक ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने देश के नागरिकों…

  • इन संदेशों में तो राष्ट्र नहीं, स्वार्थ ही प्रथम!

    इन संदेशों में तो राष्ट्र नहीं, स्वार्थ ही प्रथम!

    गत सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपना नौवां स्वतंत्रता दिवस संदेश देने के लिए लाल किले की प्राचीर पर पहुंचे तो शायद ही कोई देशवासी उम्मीद कर रहा हो कि उन्होंने इस दिन से पचहत्तर सप्ताह पहले आज़ादी के जिस अमृत महोत्सव का भव्य सरकारी ताम-झाम के साथ आगाज किया और समापन तक ‘हर घर…

  • जश्न और जुलूसों के नाम थी आज़ादी की वह सुबह

    जश्न और जुलूसों के नाम थी आज़ादी की वह सुबह

    देश की आज़ादी लाखों-लाख लोगों की कु़र्बानियों का नतीज़ा है। जिसमें लेखक, कलाकारों और संस्कृतिकर्मियों ने भी अपनी बड़ी भूमिका निभाई। ख़ास तौर से तरक़्क़ीपसंद तहरीक से जुड़े लेखक, कलाकार मसलन सज्जाद ज़हीर, डॉ. रशीद जहां, मौलाना हसरत मोहानी, जोश मलीहाबादी, फै़ज़ अहमद फै़ज़, फ़िराक गोरखपुरी, अली सरदार जाफ़री, मजाज़, मख़दूम मोहिउद्दीन, कृश्न चंदर, ख़्वाजा…

  • आज़ादी के बाद भी आज़ादी के लिए लड़ते रहे, सरहदी गांधी

    आज़ादी के बाद भी आज़ादी के लिए लड़ते रहे, सरहदी गांधी

    “आपने हमें भेड़ियों के आगे फेंक दिया।” बंटवारे की खबर मिलने के बाद, यह गंभीर और कड़ी प्रतिक्रिया, थी सरहदी गांधी, खान साहब अब्दुल गफ्फार खान, यानी बादशाह खान की। यह वाक्य उन्होंने किसी और से नहीं, बल्कि महात्मा गांधी से कहा था। बादशाह खान जिन्हें वाचा खान भी कहते थे, भारत विभाजन की मांग…

  • अपनी-अपनी गुलामी चुनने की आज़ादी

    अपनी-अपनी गुलामी चुनने की आज़ादी

    ‘बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे/बोल ज़बाँ अब तक तेरी है/तेरा सुतवाँ जिस्म है तेरा/…जिस्म-ओ-ज़बाँ की मौत से पहले/बोल कि सच ज़िंदा है अब तक/बोल जो कुछ कहने हैं कह ले। फैज़ ने जेल में लिखी थी यह नज़्म। उन्होंने यह भी लिखा था कि उनकी कलम छिन जाए तो भी कोई गम नहीं, क्योंकि:…

  • मुरादाबाद भी रहा स्वतंत्रता आन्दोलन का गवाह, यहीं से फूटी थी खिलाफत और असहयोग की ज्वाला 

    मुरादाबाद भी रहा स्वतंत्रता आन्दोलन का गवाह, यहीं से फूटी थी खिलाफत और असहयोग की ज्वाला 

    मानव इतिहास में 15 अगस्त, 1947 को ऐसी घटना घटी जिससे न केवल दो देशों के बीच की सरहदें बंट गईं बल्कि दिल भी बंट गए। जिसने भी विभाजन विभीषिका का दंश झेला उसके दिल में विभाजन के प्रति नफरत बढ़ती ही गई। यह ऐसा विभाजन था जिसमें अपने पीछे छूट गए थे। विभाजन की…

  • 26 मई, 2014 को स्वतंत्रता दिवस मानने वालों की निगाह में क्या है कुर्बानियों का मोल?

    26 मई, 2014 को स्वतंत्रता दिवस मानने वालों की निगाह में क्या है कुर्बानियों का मोल?

    फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत अकेली भारतीय नागरिक नहीं जो कि यह मानती हैं कि भारत को असली आजादी 15 अगस्त, 1947 को नहीं बल्कि 26 मई, 2014 को मिली थी। इस धारणा के लोगों की संख्या निरन्तर बढ़ती जा रही है। इसलिये आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाने के लिये चल रहे हर घर तिरंगा अभियान…

  • ध्रुवीकरण की राजनीति और साझी विरासत पर हमले

    ध्रुवीकरण की राजनीति और साझी विरासत पर हमले

    भारत की सांस्कृतिक एवं धार्मिक विरासत की समृद्धि उसकी विविधता में निहित है। अनेक कवियों और लेखकों ने बताया है कि किस प्रकार दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से विभिन्न संस्कृतियों और नस्लों के लोगों के कारवां इस भूमि पर पहुंचे और उन्होंने मिल जुलकर भारत रूपी बहुरंगी फूलों के गुलदस्ते का निर्माण किया। लोगों के…

  • आज़ादी के जश्न से आज भी दूर हैं बापू

    आज़ादी के जश्न से आज भी दूर हैं बापू

    15 अगस्त, 1947 को जब देश की आजादी का ऐलान हुआ, वह गाँधी जी के लिए जश्न का दिन नहीं था। इधर देश उत्सव में मग्न था, और उधर महात्मा गांधी 14 अगस्त, 1947 की रात कलकत्ता में शांति लाने के प्रयासों में बझे हुए थे। गाँधी जी की साप्ताहिक पत्रिका थी हरिजन। उसके संपादक…