Tag: mother
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केंद्र सरकार ने ममता बनर्जी को विदेश जाने से रोका
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बढ़ते कद से भयभीत केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने मदर टेरेसा पर केंद्रित दो दिवसीय ‘विश्व शांति सम्मेलन’में शामिल होने के लिये उनको रोम जाने की इज़ाज़त देने से इन्कार कर दिया है ।शुक्रवार को ममता बनर्जी को इज़ाज़त देने से इन्कार करते हुये केंद्र सरकार के…
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पुण्यतिथि पर विशेष: एमएफ हुसैन यानी कैनवास का अलहदा बादशाह
एमएफ हुसैन के नाम से पूरी दुनिया में मशहूर मकबूल फिदा हुसैन ऐसे मुसव्विर हुए हैं, जिनकी मुसव्विरी के फ़न के चर्चे आज भी आम हैं। दुनिया से रुखसत हुए उन्हें एक दहाई होने को आई, मगर उनकी यादें अभी भी जिंदा हैं। चित्रकला के तो वे जैसे पर्याय ही थे। भारतीय आधुनिक चित्रकला को…
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अथ टीका पुराण और इति वैक्सीन विरोधी मुहिम का कथा सार
अपने बच्चे/बच्ची को नहला धुला कर माँ जब बाहर खेलने या स्कूल जाने के लिए भेजती है तो उसके ललाट, ठोड़ी या गाल पर काजल, काजल न मिले तो तवे या कढ़ाई से थोड़ी कालिख उधार लेकर एक टीका लगाना नहीं भूलती। उसे लगता है यह काला टीका उसकी संतान को काली नज़रों और अलाय…
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खट्टर सरकार ने दिया बलात्कारी बाबा गुरमीत को पैरोल
हरियाणा की खट्टर सरकार ने हत्या और दुष्कर्म के अपराधी गुरमीत राम रहीम के प्रति अपना प्यार दिखाते हुए उसे एक दिन के पैरोल पर जेल से बाहर जाने की अनुमति दी। इतना ही नहीं उसके लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था का भी आयोजन किया गया। और यह सब कुछ बेहद ही गोपनीय तरीके से किया गया था।…
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जयंती पर विशेष: निदा ने मुल्क के लिए छोड़ दिया था मां-बाप को
दोहा जो किसी समय सूरदास, तुलसीदास, मीरा के होंठों से गुनगुना कर लोक जीवन का हिस्सा बना, हमें हिंदी पाठ्यक्रम की किताबों में मिला। थोड़ा ऊबाऊ। थोड़ा बोझिल, लेकिन खनकती आवाज़, भली सी सूरत वाला एक शख्स, जो आधा शायर है आधा कवि, दोहों से प्यार करता है। अमीर खुसरो के ‘जिहाल ए मिसकीं’ से…
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लखनऊ: लोक भवन के सामने धूं-धूं कर जलती मां-बेटी की आग में सत्ता की शर्म भी हुई भस्म
उत्तर प्रदेश के गरीब और पिछड़े इलाकों में हर मर्ज़, हर परेशानी के लिए ओझाई करवाई जाती है। ओझा ऊपर दरबार में अरजिया की अरज लगाने के लिए कुर्बानी दिलवाता है। ये कुर्बानी कुछ भी हो सकती है। कुछ भी से मतलब नींबू, जायफल, नारियल, मुर्गा, बकरा, भैंसा, नर कुछ भी। काफी कुछ इस बात…
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कोरोना काल डायरी: बदलती ज़िंदगी की गवाहियां
जब से लॉकडाउन हुआ है तबसे ज़िंदगी मानो बदल-सी गई है। पहले सुबह जल्दी उठने की सुगबुगाहट होती थी, बेटे को यूनिवर्सिटी भेजना होता था, वो 8 बजे चला जाता है। आजकल के बच्चे आप जानते ही हैं, जल्दी सोते नहीं हैं, तो सुबह उनकी नींद भी नहीं खुलती। मेरे बेटे को जगाना अगर मुश्किल…