Tag: Pushkar Singh Dhami

  • उत्तराखण्ड में धामी का एक साल कई कांडों और जनाक्रोशों से भरा रहा

    उत्तराखण्ड में धामी का एक साल कई कांडों और जनाक्रोशों से भरा रहा

    उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की दूसरी पारी का पहला साल कई मायनों में यादगार रहेगा। इस एक साल में उत्तराखण्ड में कुछ ऐसे भी काम हुये जिनका अनुकरण अन्य भाजपाई राज्यों ने भी किया। लेकिन इसके साथ ही ऐसे भी कांड हुये जिनसे राज्य में जबरदस्त जनाक्रोष भड़कने के साथ ही सारे देश…

  • उत्तराखंड में बहेगी शराब की गंगा, मिलेगी अब 30 फीसदी सस्ती लेकिन बिजली-पानी होंगे 15 फीसदी महंगे

    उत्तराखंड में बहेगी शराब की गंगा, मिलेगी अब 30 फीसदी सस्ती लेकिन बिजली-पानी होंगे 15 फीसदी महंगे

    देहरादून। होली के उल्लास में डूबे उत्तराखंड में जब एक परिवार चार दिन की भूख से तड़पने के बाद जहर खाकर आत्महत्या कर रहा था, तो शायद ही किसी को गुमान रहा हो कि हिन्दू हितों की बात करने वाली भारतीय जनता पार्टी शासित इस राज्य में नवरात्रि से दो दिन पहले राज्य सरकार प्रदेश…

  • ‘तुम मुझे वोट दो, मैं तुम्हें चोट दूंगा’ की कहानी है उत्तराखंड में भाजपा की…

    ‘तुम मुझे वोट दो, मैं तुम्हें चोट दूंगा’ की कहानी है उत्तराखंड में भाजपा की…

    साल भी नहीं गुजरा था जब उत्तराखंड के लोगों ने भाजपा को झोलीभर वोट दिए थे और इस राज्य की परम्परा को तोड़ते हुए भाजपा को लगातार दूसरी बार सत्ता सौंप दी थी। भाजपा सरकार ने एक साल पूरा होने से पहले ही पहाड़ के नौनिहालों के सिर पुलिस की डंडों से लहूलुहान करवा दिए…

  • उत्तराखंड: मशीनों से नदियों का सीना छलनी कर आपदाओं को दिया जाता है निमंत्रण

    उत्तराखंड: मशीनों से नदियों का सीना छलनी कर आपदाओं को दिया जाता है निमंत्रण

    रामनगर। अपनी विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते उत्तराखंड हमेशा आपदाओं के मुहाने पर बैठा रहता है। भारी बरसात अगर नदियों में तबाही का सबब बनती है तो भूस्खलन की घटनाएं मौतों के आंकड़ों में इजाफे की वजह बनती हैं। सरकारें अक्सर इसे प्राकृतिक आपदाएं कहकर अपना पल्ला झाड़ लेती हैं। लोग भी सरकार की इस…

  • मोदी-शाह का अगला निशाना 1937 का शरीयत कानून

    मोदी-शाह का अगला निशाना 1937 का शरीयत कानून

    उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में सम्पन्न विधानसभा के चुनाव में जब राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने की घोषणा की तो लग रहा था कि उन्होंने गलतफहमी में मतदाताओं को रिझाने के लिये यह घोषणा कर डाली। लेकिन चुनाव के बाद भाजपा शाषित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने जब एक…

  • उत्तराखण्ड के राज्यपाल के अभिभाषण में सरकार के संकल्प और दृष्टिकोण गायब

    उत्तराखण्ड के राज्यपाल के अभिभाषण में सरकार के संकल्प और दृष्टिकोण गायब

    संविधान के अनुच्छेद 175 के तहत किसी भी राज्य का राज्यपाल अपने अभिभाषण में अपनी सरकार के सालभर के संकल्पों के साथ ही राज्य की उन्नति और जनहित के मामलों के प्रति दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। इसे एक तरह से सरकार का दृष्टिपत्र या संकल्प पत्र भी कहा जा सकता है। निर्वाचन के बाद गठित…

  • धामी को अपनी ही घोषणाओं का बोझ चैन से रहने नहीं देगा

    धामी को अपनी ही घोषणाओं का बोझ चैन से रहने नहीं देगा

    उत्तराखण्ड के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चुनाव हारने के बावजूद पार्टी नेतृत्व का विश्वास जीत कर प्रदेश की सत्ता की बागडोर दुबारा हासिल तो कर ली है, लेकिन उनके सामने अब उस विश्वास को कायम रखने के साथ ही जनता का विश्वास जीतने और कुर्सी बचाये रखने की सबसे बड़ी चुनौती है। जनता…

  • समान नागरिक संहिता: जो काम मोदी-शाह न करा पाये वह धामी करेंगे

    समान नागरिक संहिता: जो काम मोदी-शाह न करा पाये वह धामी करेंगे

    भारतीय जनता पार्टी के निवर्तमान शासनकाल के मुख्यमंत्रियों ने अपने ऊल-जुलूल बयानों से अपनी जग हंसाई कराने के साथ ही गोविन्द बल्लभ पंत, हेमवती नन्दन बहुगुणा और नारायण दत्त तिवारी जैसे राजनीति के शिखर पुरुषों की जन्मभूमि उत्तराखण्ड की महिमा भी तार-तार करा डाली है। इन मुख्यमंत्रियों में किसी ने गाय को धरती का ऐसा…

  • हुआ था ऑल वेदर रोड का वादा, मिला नो रोड

    हुआ था ऑल वेदर रोड का वादा, मिला नो रोड

    उत्तराखण्ड में मतदान का काम 14 फरवरी को 6 बजे तक संपन्न हो गया था, लेकिन 15 फरवरी को सुबह 9 बजे तक भी लगभग 40 पोलिंग पार्टियां मतपेटियों को लेकर जिला मुख्यालयों पर नहीं लौट पायीं थीं। जबकि नियम के अनुसार मतदान समाप्त होते ही पोलिंग पार्टियों को मत पेटियों को स्ट्रांग रूम में…

  • गढ़वाल में भाजपा के लिये आधी सीटें बचाना भी आसान नहीं इस बार

    गढ़वाल में भाजपा के लिये आधी सीटें बचाना भी आसान नहीं इस बार

    सीमान्त प्रदेश उत्तराखण्ड के गढ़वाल मण्डल में कोटद्वार बावर से लेकर भारत-तिब्बत सीमा तक फैले 41 विधानसभा क्षेत्रों में नाम वापसी के बाद कुल 391 प्रत्याशी मैदाने जंग में रह गये हैं। इनके भाग्य का फैसला आगामी 14 फरबरी को 46,21,140 मतदाताओं द्वारा किया जाना है। इन सभी सीटों पर एक दो को छोड़ कर…