Tag: shayari

  • घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो ये कर लें: निदा फ़ाज़ली स्मृति दिवस

    घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो ये कर लें: निदा फ़ाज़ली स्मृति दिवस

    निदा फ़ाज़ली उर्दू और हिन्दी ज़बान के जाने-पहचाने अदीब, शायर, नग़मा निगार, डायलॉग राइटर थे। निदा फ़ाज़ली ने कुछ अरसे तक पत्रकारिता भी की, लेकिन उनकी अहम शिनाख़्त एक ऐसे शायर की है, जिन्होंने अपनी शायरी में मुल्क की गंगा-जमुनी तहज़ीब और फ़लसफ़े को हमेशा तरजीह दी। आपसी भाईचारे और एकता के गीत गाए। ग़ज़ल,…

  • जयंतीः जोश मलीहाबादी की रगों में दौड़ता था इंकलाब!

    जयंतीः जोश मलीहाबादी की रगों में दौड़ता था इंकलाब!

    उर्दू अदब में जोश मलीहाबादी वह आला नाम है, जो अपने इंकलाबी कलाम से शायर-ए-इंकलाब कहलाए। जोश का सिर्फ यह एक अकेला शेर, काम है मेरा तगय्युर, नाम है मेरा शबाब/मेरा नाम ‘इंकलाबो, इंकलाबो, इंकिलाब, ही उनके तआरुफ और अज्मत को बतलाने के लिए काफी है। वरना उनके अदबी खजाने में ऐसे-ऐसे कीमती हीरे-मोती हैं,…

  • हंसाते हुए संजीदा कर देने वाले शायर अकबर इलाहाबादी

    हंसाते हुए संजीदा कर देने वाले शायर अकबर इलाहाबादी

    दबंग फिल्म में सलमान खान का dialogue आपने सुना होगा ‘मैं दिल में आता हूं समझ में नहीं’। गुलाम अली की वो गज़ल भी कभी न कभी आपके कानों से होकर गुज़री होगी, ‘हंगामा है क्यूँ बरपा थोड़ी सी जो पी ली है’, दोनों उदाहरण दो बिल्कुल अलग खेमों के बावजूद एक नाम पर आकर…

  • जन्मदिन पर विशेषः मजाज़ की शायरी में रबाब भी है और इंक़लाब भी

    जन्मदिन पर विशेषः मजाज़ की शायरी में रबाब भी है और इंक़लाब भी

    एक कैफ़ियत होती है प्यार। आगे बढ़कर मुहब्बत बनती है। ला-हद होकर इश्क़ हो जाती है। फिर जुनून और बेहद हो जाए तो दीवानगी कहलाती है। इसी दीवानगी को शायरी का लिबास पहना कर तरन्नुम से (गाकर) पढ़ा जाए तो उसे मजाज़ कहा जाता है। किसी ने उन्हें खूबसूरत कहा। किसी ने खुश शक्ल, लेकिन…

  • राहत की स्मृति: ‘वो गर्दन नापता है नाप ले, मगर जालिम से डर जाने का नहीं’

    राहत की स्मृति: ‘वो गर्दन नापता है नाप ले, मगर जालिम से डर जाने का नहीं’

    अब ना मैं हूं ना बाक़ी हैं ज़माने मेरेफिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरेकुछ ऐसे ही हालात हैं, शायर राहत इंदौरी के इस जहान-ए-फानी से जाने के बाद। उनको चाहने वाला हर शख्स, इस महबूब शायर को अपनी—अपनी तरह से याद कर रहा है। उनके अशआर को दोहरा रहा है। राहत इंदौरी बेहद…

  • सबसे मीठी, लेकिन बेहद गुस्सैल जुबान है उर्दू : संजीव सराफ

    सबसे मीठी, लेकिन बेहद गुस्सैल जुबान है उर्दू : संजीव सराफ

    उर्दू पर दिल्ली में होने वाला सालाना जलसा जश्न-ए-रेख्ता पिछले दिनों भारी भीड़ के साथ संपन्न हुआ। एक भाषा को लेकर इतने सारे लोगों की मोहब्बत देखकर एकबारगी किसी को भी ताज्जुब हो सकता है। उर्दू की रगें झनझनाने का श्रेय संजीव सराफ को जाता है। उर्दू की मशहूर वेबसाइट रेख्ता डॉट ओआरजी इन्हीं की…