theater
बीच बहस
भारतीय संविधान के मूल तत्वों को बचाने का संकल्प है धनंजय कुमार का शाहकार नाटक ‘सम्राट अशोक’
Janchowk -
26 जनवरी, 1950 में संविधान को अपनाकर भारत एक सार्वभौम राष्ट्र के रूप में अवतरित हुआ। विश्व ने भारत के इक़बाल को सलाम किया। भारत में पहली बार जनता को देश का मालिक होने का संवैधानिक अधिकार मिला। संविधान का मतलब...
बीच बहस
सुरेखा सीकरी; अभिनय के लिए 70 एमएम का पर्दा भी छोटा था
दुनिया के लिए 'सुरेखा सीकरी' , पर हमारे लिए 'फ़याज़ी, नहीं 'फैज्जी'। जब सब तरफ़ से तुम्हारे इस जहां से रुख़्सत हो जाने की आवाज़ें आ रही हैं, जुलाई की उमस से भरी गर्मी में पेड़ भी शिथिल खड़े...
राज्य
प्रयागराज: अस्पताल में गैंगरेप का आरोप लगाने वाली पीड़िता की मौत, प्रशासन ने कहा-लड़की गलतफहमी का शिकार
Janchowk -
उत्तर प्रदेश के जिला प्रयागराज के स्वरूप रानी अस्पताल में ऑपरेशन थिएटर में अपने साथ गैंगरेप का आरोप लगाने वाली पीड़िता की आज मंगलवार की सुबह मौत हो गयी। फिलहाल मौके पर मेडिकल कॉलेज व पुलिस प्रशासन के कई अफसर...
बीच बहस
“25 वाला आटा 150 रुपये प्रति किलो पहुंच जाएगा, तब आप क्या करेंगे?”
“जिस मुजारा आंदोलन का अंत पंजाब में 1953 में हुआ था आज वैसा ही आंदोलन नए रूप में कृषि कानूनों के जरिए आया है। यहां शामिल हुए सभी किसान अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए संघर्ष कर रहे हैं।...
संस्कृति-समाज
दिनेश ठाकुर, थियेटर जिनकी सांसों में बसता था
हिंदी रंगमंच में दिनेश ठाकुर की पहचान शीर्षस्थ रंगकर्मी, अभिनेता और नाट्य ग्रुप 'अंक' के संस्थापक, निर्देशक के तौर पर है। दिनेश ठाकुर के नाट्य ग्रुप 'अंक' का सफर साल 1976 में शुरू हुआ था जो उनके इस दुनिया...
संस्कृति-समाज
जन्म दिवस विशेष: सदा रहेगी गुरशरण सिंह की रोशनी
अमरीक -
गुरशरण सिंह हमारे दौर के योद्धा थे। एक विलक्षण सांस्कृतिक महा-लोकनायक। एक ऐसी मशाल जो मनुष्य विरोधी हर अंधेरे को चीरने के लिए सदैव तत्पर रहती है। उन्होंने लोक चेतना के लिए जो किया और जैसा जीवन जिया, उसे...
संस्कृति-समाज
जन्मदिन पर विशेष: जनवादी रंगमंच के पितामह गुरशरण सिंह का अधूरा सपना
नाटककार गुरशरण सिंह जनवादी रंगमंच के पितामह थे। उन्हें सब प्यार से ‘भा जी’ (भाई साहब) कहते थे। वह दोज़ख के खौफ से इबादत करने वालों में से नहीं थे, नास्तिक थे। उन्हें यकीन नहीं था कि दुआ की...
संस्कृति-समाज
जन्मदिन विशेषः हबीब तनवीर ने कह दिया था सामाजिक-राजनीतिक उद्देश्यों के लिए फिल्मों को अलविदा
आधुनिक रंगमंच में हबीब तनवीर की पहचान लोक को पुनर्प्रतिष्ठित करने वाले महान रंगकर्मी की है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में 1 सितंबर, 1923 को जन्मे हबीब तनवीर, रंगमंच में अपने आगाज से लेकर अंत तक उन सांस्कृतिक मूल्यों-रंगों...
लेखक
जन्म दिन विशेषः नेमिचंद्र जैन ने रंगकर्म में भरे जीवन के रंग
साल 2019, नेमिचंद्र जैन यानी नेमि बाबू का जन्मशती वर्ष था। पिछले साल उनकी याद में शुरू हुए तमाम साहित्यिक कार्यक्रम, इस साल उनके जन्म दिवस 16 अगस्त पर खतम होंगे। नेमिचंद्र जैन, हिंदी साहित्य में अकेली ऐसी शख्सियत...
बीच बहस
जो शुरू हुआ वह खत्म भी होगा: युद्ध हो, हिंसा या कि अंधेरा
Janchowk -
कुरुक्षेत्र में 18 दिन की कठिन लड़ाई खत्म हो चुकी थी। इस जमीन पर अब मेरी भूमिका रह गई थी। यह अंधा युग की गांधारी है। मुझे सूचना मिल चुकी है कि मेरा सबसे बड़ा बेटा दुर्योधन मारा जा...
Latest News
संकट में पति कर सकता है स्त्रीधन इस्तेमाल, बाद में लौटाना होगा: सुप्रीम
विवाहित महिलाओं के स्त्रीधन पर उनके अधिकार को मजबूत करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अहम फैसला सुनाया। सुप्रीम...
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