Tag: worker

  • आत्मनिर्भर भारत के बहाने अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ती सरकारें

    आत्मनिर्भर भारत के बहाने अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ती सरकारें

    आज कोरोना महामारी के लगातार बढ़ते प्रभाव के कारण एक ओर देश की सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षिक स्थिति बद से बदतर बनती जा रही है तो वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भरता की घोषणा के द्वारा जनता के प्रति जवाबदेही से अपने को मुक्त कर लिया है। जिसके चलते सभी क्षेत्रों में घोर निराशा…

  • विशेष लेख: यह सुप्रीम कोर्ट का काला दौर है

    विशेष लेख: यह सुप्रीम कोर्ट का काला दौर है

    पहले कुछ तारीखों पर गौर कर लिया जाए-  30 जनवरी, 2020 को केरल राज्य के त्रिशूर जिले में कोरोना के  पहले मरीज की पहचान हुई जो चीन के यूहान प्रांत से आया एक छात्र था। 4 फरवरी, 2020 को केरल की सरकार ने इसे राज्य स्तर पर महामारी घोषित कर दी। 11 फरवरी, 2020 को विश्व…

  • विशेष आलेख: अनिश्चितता के बीहड़ में खुलता आत्महत्या का प्रवेशद्वार

    विशेष आलेख: अनिश्चितता के बीहड़ में खुलता आत्महत्या का प्रवेशद्वार

    जीवन के मोह से मनुष्य का बुनियादी लगाव रहा है, पर लगता है, जैसे जीवन से ऊब भी एक ऐतिहासिक तथ्य से कम नहीं। प्राचीन काल में जिंदगी से मुंह मोड़ लेने वाले मनुष्यों का इतिहास कहीं पढ़ने-देखने को नहीं मिलता। अलबत्ता प्राचीन मिस्र के दस्तावेज़ों में पैपिरस की टहनियों से बने कागज़ पर लिखी…

  • पलायन या फिर खुदकुशी बन गयी किसानों की नियति

    पलायन या फिर खुदकुशी बन गयी किसानों की नियति

    भारत में औद्योगीकरण अभी तक भारतीय समाज में वर्गीकृत (क्लासिफाइड) मजदूर की रूप रेखा तैयार नहीं कर पाया है। हमेशा से यह देश व्यापक रूप में कृषि प्रधान माना जाता रहा है। दुनिया के बदलते स्वरूप में ब्रिटिश अम्पायर ने यहाँ के छोटे-मोटे घरेलू उद्योगों को नष्ट कर बड़े उद्योगों की स्थापनाओं की नींव डाली,…

  • ‘ग़रीब-कल्याण-रोज़गार’ के नाम पर अभी तो सरकार ने सिर्फ़ मुनादी ही करवाई है

    ‘ग़रीब-कल्याण-रोज़गार’ के नाम पर अभी तो सरकार ने सिर्फ़ मुनादी ही करवाई है

    कृपया मेरी इस वेदना पर यक़ीन करें कि 30 साल के अपने पत्रकारीय जीवन में मैंने कभी किसी एक ख़बर का ब्यौरा जानने के लिए इतनी मगज़मारी या इतनी मेहनत नहीं की, जितना बीते चार दिनों में ‘ग़रीब कल्याण रोज़गार अभियान’ का ब्यौरा जानने के लिए की। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि तमाम सरकारी शोर-शराबे और…

  • आर्थिक आत्मनिर्भरता : भाषण नहीं लोकोन्मुखी बदलाव से आएगी

    आर्थिक आत्मनिर्भरता : भाषण नहीं लोकोन्मुखी बदलाव से आएगी

    घर-वापसी के लिए निकले मजदूरों के प्रति सामान्य राय है कि वे रोज कमाने-खाने वाले लोग हैं। यह कोई नहीं पूछ रहा कि हमारे अर्थतंत्र में आखिर कौन-सी कमी है जो अपने मेहनतकश वर्ग को आपद्काल में दो-चार महीने के गुजारे लायक संपन्नता भी नहीं दे पाता? कारण कई हो सकते हैं। अलग-अलग हो सकते…

  • प्रवासी श्रमिकों का बहुलांश दलित एवं पिछड़ी जातियां हैं

    प्रवासी श्रमिकों का बहुलांश दलित एवं पिछड़ी जातियां हैं

    (इंडियन एक्सप्रेस में 9 जून को प्रकाशित सर्वे के मुताबिक कोरोना वायरस महामारी आपदा के बाद अपने घरों को पलायन करने वाले श्रमिक दलित एवं पिछड़ी जातियों से हैं) भारत में कोरोना वायरस आपदा के शुरू होने के पश्चात बड़े पैमाने पर प्रवासी श्रमिकों का पलायन शुरू हुआ, जिसे मीडिया एवं अखबारों द्वारा बार-बार छुपाने…

  • माननीय आप ने देर कर दी! जब प्रवासी श्रमिकों के काम पर लौटने का समय हो गया तो आप उन्हें घर भिजवा रहे हैं

    माननीय आप ने देर कर दी! जब प्रवासी श्रमिकों के काम पर लौटने का समय हो गया तो आप उन्हें घर भिजवा रहे हैं

    जब भीड़ सड़कों पर ढोर डंगर की तरह भूखी प्यासी चल रही थी तो उच्चतम न्यायालय बिना शपथपत्र के सालिसिटर जनरल तुषार मेहता के फर्जी दावों पर सरकार को क्लीनचिट दे रहा था और नीतिगत निर्णयों में हस्तक्षेप न करने की अपनी प्रतिबद्धता दिखा रहा था। 31 मार्च से इसी 15 मई तक कई बार…

  • थम नहीं रही है प्रवासी मजदूरों की परेशानी

    थम नहीं रही है प्रवासी मजदूरों की परेशानी

    रांची। झारखंड के दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों की परेशानी थमने का नाम नहीं ले रही है। आज फिर प्रवासी मजदूरों का एक मामला संज्ञान में आया है। रांची जिले के लापुंग प्रखंड के लालगंज गांव के तीन मजदूरों कामेश्वर साहू, चूड़ामणि साहू, शिवप्रसाद चिकबड़ाईक तथा  उलमू गांव का एक मजदूर राहुल होरो गुजरात के…

  • वेतन, EMI और प्रवासी: मोदी सरकार के दावों की पोल खुलनी शुरू

    वेतन, EMI और प्रवासी: मोदी सरकार के दावों की पोल खुलनी शुरू

    कोरोना संकट को लेकर केन्द्र सरकार ने जनता को राहत देने के लिए तरह-तरह की घोषणाएँ कीं। वित्त मंत्री तो पाँच दिनों तक अपने पैकेज़ों का पिटारा खोलकर 21 लाख करोड़ रुपये की कहानियाँ सुनाती रहीं। शुरुआत में लगा कि सरकार यथा सम्भव मौजूदा हालात की चुनौतियों को समझते हुए संवेदनशीलता दिखा रही है। लेकिन…