Friday, March 29, 2024

ख़बर का असर: मनरेगा में जॉब कार्ड धारी मजदूरों को मिला काम

वर्षा के न होने की वजह से अकाल व सुखाड़ का असर झारखंड के गांवों में दिखने लगा है। जिसकी वजह से कृषि संबंधित कार्यों में हो रही दिक्कतों से गांव के मजदूर परिवारों की रोजी-रोटी की समस्या विराट रूप धारण करती जा रही है, जिसके कारण उन्हें घर चलाने की चिंता सताने लगी है। वहीं स्थानीय प्रशासन और सरकार के बेरुखी रवैये से खिन्न होकर लोगों के सब्र का बाँध टूट रहा है। यही वजह है कि आजादी के अमृत महोत्सव के ठीक दूसरे दिन अर्थात 16 अगस्त को दुमका जिले के निझोर और जंगला गांव के सैकड़ों मजदूर काठीकुंड प्रखण्ड कार्यालय पहुंचे। सभी के हाथों में मनरेगा जॉब कार्ड था। कारण था कि बेरोजगारी के विपरीत परिस्थिति में मनरेगा ही एकमात्र सहारा है जो ग्रामीण श्रमिकों के लिए जीवन रेखा साबित हुई है। 

पहले तो प्रखण्ड के मनरेगा कर्मी लोगों के काम के आवेदन लेने में आनाकानी की। लेकिन मजदूरों की जिद के आगे अंतत: प्रखण्ड कार्यक्रम पदाधिकारी को सभी के आवेदन लेने पड़े और मजदूरों को आवेदन की पावती भी निर्गत की गई। यह काठीकुंड के लिए पहला मौका था जब मजदूरों ने मनरेगा में काम के आवेदन सौंपे। बता दें कि कालाझर पंचायत के अंतर्गत जंगला गांव से 64 मजदूर तथा बिछियापहरी पंचायत के निझोर गांव से 41 लोगों ने काम के आवेदन किये, साथ ही 18 मजदूरों ने पंजीयन के लिए आवेदन सौंपे।

ग्रामीणों के इस विरोध व आन्दोलन को जनचौक ने प्रमुखता से 19 अगस्त को कवरेज किया, जिसमें मजदूरों द्वारा काम की मांग सहित मनरेगा में व्याप्त भ्रष्टाचार पर भी प्रकाश डाला गया था और बिचौलिए व स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत का भंडाफोड़ करते हुए बताया गया था कि कैसे दुमका जिले में मनरेगा में भ्रष्टाचार का बोलबाला परवान पर है। यह कि कैसे मनरेगा जॉब कार्ड में 4 से 9 साल तक के बच्चों के नाम शामिल किए गए हैं।

उक्त रिपोर्ट प्रकाशन के दूसरे दिन यानी 20 अगस्त को नतीजा यह रहा कि कठीकुंड प्रखण्ड के मनरेगा जॉब कार्ड धारी मजदूरों को काम मिल गया और मनरेगा मजदूरों ने काम करना शुरू कर दिया है।

(वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।)

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