Friday, April 19, 2024

जजों पर विवादित टिप्पणी मामले में आंध्र हाई कोर्ट ने दिए सीबीआई जांच के आदेश

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी और न्यायपालिका के बीच टकराव बढ़ता ही जा रहा है। एक तरफ 9 अक्तूबर को हैदराबाद में सीबीआई की विशेष अदालत में आय से अधिक संपत्ति मामले में जगनमोहन रेड्डी के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई है और 10 अक्तूबर को मीडिया को वह पत्र जारी किया गया, जिसमें उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठता क्रम में नंबर दो पर रहने वाले जस्टिस एनवी रमना पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। वहीं दूसरी ओर आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने कुछ जजों और फैसलों को लेकर सोशल मीडिया पर अपमानजनक टिप्पणी के मामले में सीबीआई जांच के निर्देश दिए हैं।

सत्ताधारी पार्टी वाईएसआर कांग्रेस के कुछ नेताओं और कार्यकर्ताओं पर ऐसी टिप्पणियां करने के आरोप हैं और उन्हें नोटिस जारी गया है। इसी के साथ कोर्ट ने सीआईडी जांच पर नाराजगी जताई है। कोर्ट का कहना है कि सत्ताधारी पार्टी के नेताओं को बचाने के लिए मामाला दर्ज नहीं किया जा रहा है।

न्यायमूर्ति राकेश कुमार और न्यायमूर्ति जे उमा देवी की खंडपीठ ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को मामले में प्राथमिकी दर्ज करने और आठ सप्ताह के भीतर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं। सुनवाई के दौरान अदालत ने राज्य के अपराध जांच विभाग (सीआईडी) की जांच पर नाराजगी जताई और कहा कि वाईएसआर कांग्रेस के नेताओं के खिलाफ मामला सिर्फ इसलिए दर्ज नहीं किया गया, ताकि उन्हें बचाया जा सके।

उच्च न्यायालय ने आज कहा कि सीबीआई को उन सभी के खिलाफ मामले दर्ज करने चाहिए, जिन्होंने जजों की निंदा की है। यह दावा करते हुए कि उच्च न्यायालय के निर्णय सोशल मीडिया पोस्ट में ‘गलत तरीके से प्रस्तुत किए गए’ थे, खंडपीठ ने सरकार को सीबीआई के साथ सहयोग करने के लिए कहा। अपने निर्णयों के खिलाफ सोशल मीडिया पर ‘आपत्तिजनक टिप्पणियों’ का उल्लेख करते हुए अदालत ने कहा कि यह न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को धूमिल कर रहा है।

हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता लक्ष्मी नारायण ने कहा कि अदालत ने देखा था कि सीआईडी ने केवल कुछ सोशल मीडिया पोस्ट करने वालों पर ही एफ़आईआर दर्ज की थी, जबकि राज्य सरकार के ख़िलाफ़ फ़ैसला देने के लिए 90 से अधिक लोगों ने न्यायपालिका के ख़िलाफ़ अपमानजनक टिप्पणी की थी। सुनवाई के दौरान अन्य लोगों के अलावा विधानसभा अध्यक्ष तमिनमनी सीतारम, उपमुख्यमंत्री नारायण स्वामी, सांसद विजयसाई रेड्डी और एन सुरेश और पूर्व विधायक अमनचि कृष्णमथन द्वारा की गई कथित टिप्पणी को भी खंडपीठ ने ग़लत माना। उसने कहा कि उन्होंने न्यायपालिका पर सीधा हमला किया।

ये फैसला ऐसे समय में आया है जब हाल ही में राज्य के सीएम जगनमोहन रेड्डी ने चीफ जस्टिस एसए बोबडे से उच्चतम न्यायालय के जस्टिस एनवी रमना की शिकायत की है। शिकायत में कहा गया कि चंद्रबाबू नायडू के इशारों पर हाई कोर्ट और उच्चतम न्यायालय  के जज उनकी सरकार की स्थिरता को प्रभावित कर रहे हैं। रेड्डी ने आरोप लगाया कि जस्टिस रमना आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई को प्रभावित कर रहे हैं, जिसके तहत वे कुछ जजों के रोस्टर को भी प्रभावित कर रहे हैं।

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने अपने पत्र में जस्टिस एनवी रमना पर तब आरोप लगाया गया है, जब जस्टिस रमना की अध्यक्षता वाली एक पीठ भाजपा नेता अश्वनी उपाध्याय की उस याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें सांसदों, विधायकों के विरुद्ध लंबित आपराधिक मामलों की शीघ्र सुनवाई की मांग की गई है। जस्टिस रमना की पीठ ने 16 सितंबर 2020 को उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों से माननीयों के मामलों की सुनवाई की प्रगति की निगरानी के लिए एक विशेष पीठ गठित करने और ऐसे सभी मामलों को सूचीबद्ध करने के लिए कहा, जिन पर स्टे लगा है या नहीं और यह तय करना है।

जस्टिस एनवी रमना की अगुवाई वाली पीठ के आदेश के बाद कि 9 अक्टूबर को हैदराबाद में सीबीआई की विशेष अदालत में आय से अधिक संपत्ति मामले में जगनमोहन रेड्डी के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई है। इस मामले में सीबीआई ने वर्ष 2011 में जगनमोहन रेड्डी के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इसके अगले दिन आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे को चिट्ठी लिख कर जस्टिस एनवी रमना के ख़िलाफ़ शिकायतें की हैं।

आठ पेज की इस चिट्ठी में जगनमोहन रेड्डी ने लिखा है कि जस्टिस रमना आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट की बैठकों और रोस्टर को प्रभावित कर रहे हैं। वे अमरावती भूमि घोटाले से जुड़े मामले को रोस्टर में कुछ चुनिंदा जजों को ही रख रहे हैं और इस तरह न्याय प्रशासन को प्रभावित कर रहे हैं। चिट्ठी में यह भी कहा गया है कि इन भूमि घोटालों में जस्टिस रमना की बेटियों के भी नाम हैं। उस चिट्ठी में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने यह भी कहा है कि तेलुगुदेशम पार्टी से जुड़े मामले कुछ ख़ास जजों को ही सौंप दिए जाते हैं।

जगनमोहन रेड्डी ने यह भी लिखा है कि पूर्व एडवोकेट जनरल दम्मलपति श्रीनिवास पर ज़मीन के लेनदेन को लेकर जांच का आदेश दिया गया था, एंटी करप्शन ब्यूरो ने उनके ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करने को कहा था, लेकिन हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी। पत्र में आरोप लगाया गया कि आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और चार अन्य न्यायाधीश उनकी चुनी हुई सरकार के खिलाफ काम कर रहे थे।

गौरतलब है कि आंध्र के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने सीधे-सीधे सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज जस्टिस रमना पर गलत तरह से हस्तक्षेप करने के आरोप लगाने के राजनीतिक निहितार्थ भी निकाले जा रहे हैं। छतीसगढ़ के पूर्व महाधिवक्ता कनक तिवारी ने अपनी फेसबुक वाल पर लिखा है कि चीफ जस्टिस बोबडे अप्रैल 2021 में रिटायर होंगे तो जस्टिस रमना के काफी समय तक मुख्य न्यायाधीश रहने की संभावना है। इसलिए किसी के इशारे पर अभी से उनके खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है। जस्टिस रमना ने ही महाराष्ट्र के राज्यपाल के आदेश को ध्वस्त करते हुए मुख्यमंत्री फडणवीस की शपथ ग्रहण को ध्वस्त करते विधानसभा में बहुमत परीक्षण का आदेश दिया था। तब से वहां पर महाअघाड़ी की सरकार बन गई है। इसको भारत के दो बड़े नेता कैसे भूल सकते हैं भाई।

अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि उच्चतम न्यायालय और चीफ जस्टिस इस अभूतपूर्व पत्र का जवाब कैसे देते हैं।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं। वह इलाहाबाद में रहते हैं।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

AIPF (रेडिकल) ने जारी किया एजेण्डा लोकसभा चुनाव 2024 घोषणा पत्र

लखनऊ में आइपीएफ द्वारा जारी घोषणा पत्र के अनुसार, भाजपा सरकार के राज में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है और कोर्पोरेट घरानों का मुनाफा बढ़ा है। घोषणा पत्र में भाजपा के विकल्प के रूप में विभिन्न जन मुद्दों और सामाजिक, आर्थिक नीतियों पर बल दिया गया है और लोकसभा चुनाव में इसे पराजित करने पर जोर दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 100% ईवीएम-वीवीपीएटी सत्यापन की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने EVM और VVPAT डेटा के 100% सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर निर्णय सुरक्षित रखा। याचिका में सभी VVPAT पर्चियों के सत्यापन और मतदान की पवित्रता सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया। मतदान की विश्वसनीयता और गोपनीयता पर भी चर्चा हुई।

Related Articles

AIPF (रेडिकल) ने जारी किया एजेण्डा लोकसभा चुनाव 2024 घोषणा पत्र

लखनऊ में आइपीएफ द्वारा जारी घोषणा पत्र के अनुसार, भाजपा सरकार के राज में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है और कोर्पोरेट घरानों का मुनाफा बढ़ा है। घोषणा पत्र में भाजपा के विकल्प के रूप में विभिन्न जन मुद्दों और सामाजिक, आर्थिक नीतियों पर बल दिया गया है और लोकसभा चुनाव में इसे पराजित करने पर जोर दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 100% ईवीएम-वीवीपीएटी सत्यापन की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने EVM और VVPAT डेटा के 100% सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर निर्णय सुरक्षित रखा। याचिका में सभी VVPAT पर्चियों के सत्यापन और मतदान की पवित्रता सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया। मतदान की विश्वसनीयता और गोपनीयता पर भी चर्चा हुई।