Saturday, April 20, 2024

संयुक्त किसान मोर्चा का ऐलान-26 जून को देशभर के राजभवनों के बाहर “खेती बचाओ-लोकतंत्र बचाओ अभियान” के तहत धरना

नई दिल्ली। दिल्ली सीमाओं पर आंदोलन के सात महीने पूरे होने वाले हैं; 12 जून 2021 को 198वाँ दिन हैं। इस अवसर पर संयुक्त किसान मोर्चा ने एक्शन प्लान की घोषणा कर आंदोलन को तेज करने के संकेत दिए हैं।

14 जून को सभी मोर्चों पर गुरु अर्जन देव की शहीदी दिवस व 24 जून को कबीर जयंती के रूप में मनाया जाएगा। 26 जून को दिल्ली सीमाओं पर आंदोलन के सात महीने पूरे होने पर और साथ ही एक अधिनायकवादी सरकार द्वारा लगाई गई इमरजेंसी के 46वें वर्षगांठ पर आज देश में लगे अघोषित आपातकाल के प्रति लोगों को आगाह करने के लिए देशभर में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे “खेती बचाओ, लोकतंत्र बचाओ” उस दिन का मुख्य संदेश होगा और सभी राज्यों के राज भवनों के बाहर धरने दिए जाएंगे। सभी राज्यपालों को ज्ञापन देकर आंदोलन की मांग बताई जाएगी और अघोषित आपातकाल की वर्तमान परिस्थिति में नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों का दमन ना हो; यह भी रेखांकित किया जाएगा। मिशन यूपी व उत्तराखंड पर भी संयुक्त किसान मोर्चा में विस्तृत चर्चा जल्द होगी।

हरियाणा के किसान संगठनों के द्वारा पूर्व में जारी गांव बंदी यथावत जारी रहेगा। इसके अनुसार राज्य के सभी ग्रामीण क्षेत्रों के निवासीयों के द्वारा भाजपा व जजपा नेताओं के गांवों में प्रवेश पर रोक लगाया गया था तथा इन दो दलों के नेताओं को सामाजिक आयोजनों में आमंत्रित नही किया जाएगा। ये सभी नेता अपने आधिकारिक व राजनीतिक कार्यक्रमों के लिए जहां-जहां जाएंगे, वहां काले झंडों से उनका विरोध किया जाएगा।

अभी तक किसान आंदोलन को बदनाम करने की कई कोशिशें की जा चुकी हैं। भाजपा सरकार व उसके नेतागण इस मामले में अग्रणी भूमिका निभाते हैं। सरकार से जुड़े व सरकार का समर्थन करने वाले कई मीडिया घराने जिनका एकमात्र उद्देश्य भाजपा, भाजपा समर्थकों व सरकार के पक्ष में खबरें दिखाना है वह भी इस मामले में पीछे नहीं हैं। एक मीडिया घराने को कथित तौर एक महिला शिकायतकर्ता ने कानूनी नोटिस भेजा है, जिन्होंने खुद ट्विटर पर टिकरी पर स्वयं सेवा के दौरान अपने खिलाफ हुई शाब्दिक छेड़खानी का जिक्र किया था; हालांकि मीडिया ने जानबूझकर उनके अनुभव को “शारीरिक दुर्व्यवहार” व बलात्कार के रूप में पेश किया।

संयुक्त किसान मोर्चा इस बात को दोहराता है कि वह महिला आंदोलनकारियों के अधिकारों का सम्मान करता है; हर स्थिति में उनकी सुरक्षा चाहता है और आंदोलन में उनके सक्रिय भागीदारी का स्वागत करता है। संयुक्त किसान मोर्चा यह पहले ही कह चुका है कि वह महिला सुरक्षा के किसी भी उल्लंघन के प्रति जीरो टॉलरेंस रखेगा। हर मोर्चे पर किसी भी किस्म की छेड़खानी, दुर्व्यवहार या उल्लंघन को रोकने व इससे संबंधित किसी की शिकायत पर सुनवाई करने के लिए महिला समितियों का गठन किया जा चुका है। वर्तमान मामले में एक औपचारिक शिकायत टिकरी बॉर्डर की पांच सदस्यीय महिला समिति को दे दी गई।  9818119954 इस नंबर पर ऐसे मुद्दों को उठाया जा सकता है।

संयुक्त किसान मोर्चा ‘ट्रैक्टर टू ट्विटर’ (@Tractor2twitr) को एक मीडिया हाउस; जो एक मुकदमे में उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने की कोशिश कर रहा है; के खिलाफ उनकी लड़ाई में कानूनी समर्थन देगा। मीडिया हाउस ने ट्रैक्टर टू ट्वीटर और उसके संस्थापकों के खिलाफ स्थायी निषेधाज्ञा और दो करोड़ की मानहानि की मांग करते हुए याचिका दायर की है। किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे इस हैंडल द्वारा किए गए ट्वीट पर एक राष्ट्रीय मीडिया हाउस द्वारा मानहानि का आरोप लगाया गया है, जिसने 31 मई 2021 को दिल्ली उच्च न्यायालय में मामला दायर किया था। आंदोलन की शुरुआत से ही बीजेपी सरकार की कोशिश रही है कि प्रदर्शनकारियों की अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंट दिया जाए। विरोध स्थलों पर इंटरनेट ब्लैकआउट किया गया। कई समर्थकों के ट्विटर हैंडल भी बंद कर दिए गए हैं। मीडिया हाउस जो सरकार के समर्थन में खड़े हैं, वे भी यही प्रयास कर रहे हैं, हालांकि यह उम्मीद की जाती है कि मीडिया, जो हमारे लोकतंत्र का एक स्तंभ माना जाता है, इन स्वतंत्रताओं का मान रखेगा। संयुक्त किसान मोर्चा ने इस मामले में प्रतिवादियों की कानूनी लड़ाई का समर्थन करने का फैसला किया है।

(जारीकर्ता – बलबीर सिंह राजेवाल, डॉ दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चाडुनी, हन्नान मुल्ला, जगजीत सिंह दल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहन, युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव, अभिमन्यु कोहर।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

जौनपुर में आचार संहिता का मजाक उड़ाता ‘महामानव’ का होर्डिंग

भारत में लोकसभा चुनाव के ऐलान के बाद विवाद उठ रहा है कि क्या देश में दोहरे मानदंड अपनाये जा रहे हैं, खासकर जौनपुर के एक होर्डिंग को लेकर, जिसमें पीएम मोदी की तस्वीर है। सोशल मीडिया और स्थानीय पत्रकारों ने इसे चुनाव आयोग और सरकार को चुनौती के रूप में उठाया है।

Related Articles

जौनपुर में आचार संहिता का मजाक उड़ाता ‘महामानव’ का होर्डिंग

भारत में लोकसभा चुनाव के ऐलान के बाद विवाद उठ रहा है कि क्या देश में दोहरे मानदंड अपनाये जा रहे हैं, खासकर जौनपुर के एक होर्डिंग को लेकर, जिसमें पीएम मोदी की तस्वीर है। सोशल मीडिया और स्थानीय पत्रकारों ने इसे चुनाव आयोग और सरकार को चुनौती के रूप में उठाया है।