Friday, April 19, 2024

सूडान में तख़्तापलट, प्रधानमंत्री समेत सभी वरिष्ठ नेता व अधिकारी गिरफ्तार

अफ्रीकी देश सूडान की सेना ने सोमवार को सत्ता पर क़ब्ज़ा कर लिया और प्रधानमंत्री अब्दुल्ला हमदोक समेत और राजनैतिक नेताओं को गिरफ़्तार करने के कुछ घंटों बाद संक्रमणकालीन सरकार को भंग करके आपातकाल की घोषणा कर दी है । देश के अनेक हिस्सों में इण्टरनेट सेवा बंद कर दी गई है और संचार के अन्य माध्यमों पर भी रोक लगा दी गई है।
बता दें कि सूडानी सेना ने अप्रैल 2019 में महीनों तक चले विरोध-प्रदर्शनों के बाद, लम्बे समय तक सूडान में शासन करने वाले पूर्व राष्ट्रपति उमर अल-बशीर को सत्ता से बेदखल कर दिया था। इसके बाद, सत्ता साझा किये जाने पर हुए एक समझौते के तहत, सैन्य और नागरिक नेतृत्व द्वारा एक मिली जुली अन्तरिम सरकार का गठन किया गया था। जिसका नेतृत्व अब्दुल्ला हमदोक कर रहे थे। तब अन्तरिम सरकार के गठन का उद्देश्य देश में वर्ष 2023 में पूर्ण रूप से लोकतांत्रिक चुनाव आयोजित किये जाने का मार्ग प्रशस्त करना था।

तानाशाह ने टीवी पर आपातकाल की घोषणा की

सूडान सेना के प्रमुख, जनरल अब्देल-फतह बुरहान (Abdel-Fattah Burhan)ने राष्ट्रीय टीवी पर घोषणा की कि वह देश चलाने के लिए अल-बशीर के निष्कासन के तुरंत बाद बनाई गई एक संयुक्त सैन्य और नागरिक निकाय, सरकार और संप्रभु परिषद को भंग कर रहे हैं। बुरहान ने टीवी पर कहा कि राजनीतिक गुटों के बीच झगड़े ने सेना को हस्तक्षेप करने के लिए बाध्य किया।

इस तरह अरब जगत से भाषा और संस्कृति से जुड़े अफ्रीकी राष्ट्र सूडान में लोकतंत्र में परिवर्तन की गति और पाठ्यक्रम को लेकर हफ्तों से तनाव बढ़ रहा है। जहां सैन्य जनरल ने आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी और कहा कि जुलाई 2023 के लिए निर्धारित चुनावों में देश का नेतृत्व करने के लिए सेना एक तकनीकी सरकार की नियुक्ति करेगी। लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि सेना प्रभारी बनी रहेगी। जनरल अब्देल-फतह बुरहान ने आगे कहा कि देश के नेतृत्व को एक नागरिक, निर्वाचित सरकार को सौंपने तक सशस्त्र बल लोकतांत्रिक परिवर्तन को पूरा करना जारी रखेंगे।”

बुरहान ने आगे कहा कि देश के संविधान को फिर से लिखा जाएगा और “इस क्रांति को अंजाम देने वाले युवक और युवतियों” की भागीदारी से एक विधायी निकाय का गठन किया जाएगा। वहीं सूडान का सूचना मंत्रालय, जो अभी भी भंग सरकार के प्रति वफादार है, ने जनरल के भाषण को “सैन्य तख्तापलट द्वारा सत्ता की जब्ती की घोषणा” बताया है।

तख़्तापलट के विरोध में उतरे लोग

तख्तापलट का विरोध करने के लिये राजधानी खार्तूम में हजारों लोग सड़कों पर उतर आये हैं। प्रधानमंत्री अब्दुल्ला हमदोक और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की सुबह-सुबह गिरफ्तारी के बाद, हजारों लोग राजधानी खार्तूम और इसके जुड़वां शहर ओमदुरमन की सड़कों पर उतर आए। उन्होंने सड़कों को अवरुद्ध कर दिया और टायरों में आग लगा दी क्योंकि सुरक्षा बलों ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया।

जैसे ही धुएं के गुबार से हवा भर गई, प्रदर्शनकारियों को यह कहते हुए सुना जा सकता है, “लोग मजबूत, मजबूत हैं” और “पीछे हटना कोई विकल्प नहीं है!” सोशल मीडिया पर वीडियो में बड़ी भीड़ को नील नदी के पुलों को राजधानी के केंद्र में पार करते हुए देखा जा सकता है, जबकि अमेरिकी दूतावास ने चेतावनी दी है कि सैनिक शहर के कुछ हिस्सों को बंद कर रहे हैं। सूडान डॉक्टर्स कमेटी के अनुसार सुरक्षा बलों ने उनमें से कुछ पर गोलियां चलाईं और जिसमें तीन प्रदर्शनकारी मारे गए, और 80 लोग घायल हुए हैं।

संयुक्त राष्ट्र, अफ्रीकी यूनियन, यूरोपियन यूनियन ने की तख़्तापलट की निंदा की

अफ्रीकी संघ आयोग के अध्यक्ष मौसा फाकी महामत ने सोमवार को एक बयान जारी करके सूडान में तख़्तापलट की घटना पर चिंता जाहिर किया है। बयान में उन्होंने कहा है कि “सूडान के राजनीतिक नेताओं को रिहा किया जाना चाहिए और मानवाधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए।

फकी ने यह भी कहा कि सैन्य और पारंपरिक सरकार के नागरिक विंग के बीच बातचीत फिर से शुरू की जानी चाहिए।

यूरोपीय संघ के विदेश मामलों के प्रमुख जोसेप बोरेल ने ट्वीट करके कहा है कि “सूडान सुरक्षा बलों को उन लोगों को तुरंत रिहा करना होगा जिन्हें उन्होंने अवैध रूप से हिरासत में लिया है। उन्होंने आगे कहा है कि सेना की कार्रवाई शांति, न्याय और आर्थिक विकास के लिए सूडानी लोगों की क्रांति, संक्रमण और वैध अनुरोधों के साथ विश्वासघात का प्रतिनिधित्व करती है।”

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सूडान में सैन्य तख़्तापलट की निन्दा करते हुए प्रधानमंत्री अब्दुल्ला हमदोक और अन्य अधिकारियों को जल्द से जल्द रिहा किये जाने की माँग की है। एंटोनियो मे कहा है, ““इन कृत्यों से जूबा शान्ति समझौते के लिये ख़तरा है और लोकतंत्र व मानवाधिकारों के लिये सम्मान की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति पर जोखिम पैदा होता है।”

यूएन प्रमुख ने ट्विटर पर अपने वक्तव्य में ध्यान दिलाया है कि कड़ी मेहनत से हासिल की राजनैतिक प्रगति की रक्षा के लिये संवैधानिक चार्टर का पूर्ण रूप से सम्मान किया जाना होगा।

महासचिव गुटेरेश ने भरोसा दिलाया है कि संयुक्त राष्ट्र इस घड़ी में, सूडान की जनता के साथ एकजुट है। यूएन प्रमुख ने इन कठिन परिस्थितियों में, सेना से इण्टरनेट सेवाओं को तत्काल बहाल किये जाने, अनावश्यक बल प्रयोग से बचने और लोगों की अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकारों का आदर किये जाने की अपील की है।

उन्होंने सैन्य प्रशासकों से संवैधानिक व्यवस्था व अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का पालन करने, सड़कों से हटने और राजनैतिक नेताओं के साथ मतभेदों को संवाद व वार्ता के साथ सुलझाने का आग्रह किया है।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने भी सैन्य तख़्तापलट के प्रयास की निन्दा की है। यूएन मानवाधिकार प्रमुख ने प्रधानमंत्री, अनेक मंत्रियों और अन्य नागरिक समाज प्रतिनिधियों को हिरासत में लिये जाने की ख़बरों की भर्त्सना की है और उन्हें तत्काल रिहा किये जाने की माँग की है।

सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशन (UNITAMS) के प्रमुख वोल्कर पर्थेस की ओर से भी एक वक्तव्य जारी किया गया है जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री, सरकारी अधिकारियों और अन्य नेताओं की गिरफ़्तारी को अस्वीकार्य क़रार दिया है।

सूडान में संयुक्त राष्ट्र के राजनीतिक मिशन ने सरकारी अधिकारियों की हिरासत को “अस्वीकार्य” कहा है। यूएन मिशन प्रमुख और महासचिव गुटेरेश के विशेष प्रतिनिधि वोल्कर पर्थेस ने सभी पक्षों से अधिकतम संयम बरतने और संवैधानिक व्यवस्था की पुनर्बहाली के लिये बातचीत की मेज़ पर वापिस आने की अपील की है।

वहीं व्हाइट हाउस के प्रवक्ता कैराइन जीन-पियरे (Karine Jean-Pierre) ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका सूडान में सैन्य अधिग्रहण की रिपोर्टों से बहुत चिंतित है। और अन्य अधिकारियों के प्रधानमंत्री की तत्काल रिहाई का आह्वान करता है, जैसा कि अफ्रीकी संघ ने किया है।

वहीं संयुक्त राज्य अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि बाइडेन प्रशासन सूडान को आपातकालीन आर्थिक सहायता में $ 700 मिलियन यूएस को निलंबित कर रहा है जिसे संक्रमण में मदद के लिए आवंटित किया गया था। उन्होंने इसे “विराम” कहा और नागरिक नेतृत्व वाली सरकार को तुरंत बहाल करने का आग्रह किया।

चूंकि अल-बशीर, जो फिलहाल जेल में हैं, को सत्ता से उतरने के लिये मजबूर किया गया इसके बाद सूडान ने धीरे-धीरे खुद को निरंकुशता के अधीन अंतरराष्ट्रीय पारिया की स्थिति से छुटकारा पाने के लिए काम किया है। सूडान को साल 2020 में संयुक्त राज्य अमेरिका के आतंकवादी सूची के राज्य समर्थक से हटा दिया गया था, जिससे बुरी तरह से आवश्यक विदेशी ऋण और निवेश का द्वार खुल गया था। लेकिन सूडान की अर्थव्यवस्था अंतरराष्ट्रीय ऋण देने वाले संस्थानों द्वारा बुलाए गए कई आर्थिक सुधारों के झटके से जूझ रही है।

लगातार हो रही थी तख़्तापलट की कोशिश

सूडान में तख़्तापलट की कोशिश लगातार कर रही थी सेना। और हाल के सप्ताहों में, इस बात को लेकर चिंताएं रही हैं कि सेना अधिग्रहण की योजना बना रही है, और वास्तव में सितंबर में तख्तापलट का एक असफल प्रयास हुआ था। सूडान में तनाव केवल वहां से बढ़ा, क्योंकि देश पुरानी तर्ज़ पर खंडित हो गया और अधिक रूढ़िवादी इस्लामवादियों के साथ, जो एक सैन्य सरकार चाहते हैं, जो विरोध में अल-बशीर को गिराने वालों के ख़िलाफ़ खड़ा हो। हाल के दिनों में दोनों खेमे प्रदर्शनों में सड़क पर आमने सामने उतर आए थे। और गतिरोध के बीच, सैन्य जनरलों ने हमदोक की संक्रमणकालीन सरकार को भंग करने के लिए बार-बार आह्वान किया था।

हाल के हफ्तों में, जनजातीय प्रदर्शनकारियों के समर्थन से नागरिक नेताओं के साथ अपने विवाद में सूडान सेना को बल मिला है, जिन्होंने देश के मुख्य लाल सागर बंदरगाह को हफ्तों तक अवरुद्ध कर दिया था। सबसे अधिक दो वरिष्ठ सैन्य अधिकारी, बुरहान और उनके डिप्टी जनरल मोहम्मद हमदान डागालो, के मिस्र और सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के अमीर खाड़ी देशों के साथ भी घनिष्ठ संबंध हैं।
बता दें कि सूडान संकट को हल करने के प्रयासों के हिस्से के रूप में, अमेरिका के विशेष दूत जेफरी फेल्टमैन ने सप्ताहांत में सूडानी अधिकारियों से मुलाकात की थी।
(जनचौक के विशेष संवाददात सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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