Thursday, March 28, 2024

गौशाला की व्यवस्था न कर पाने पर सरकार खोले गायों का बाजार

28 दिसम्बर को हरदोई जिले के पांच गावों-चमका, ग्राम सभा सिकंदरपुर, फतेहपुर व बंजरा, ग्राम सभा घेरवा, जीवन खेड़ा, ग्राम सभा भरावन व दूलानगर, ग्राम सभा दूलानगर के ग्रामीण उप जिलाधिकारी को एक दिन पूर्व सूचना देकर अपने गांवों में खुले घूम रहे पशुओं से परेशान होकर योगी आदित्यनाथ के लखनऊ स्थित आवास पर बांधने के लिए निकलने वाले थे। खण्ड विकास अधिकारी, भरावन ने एक ट्रक का इंतजाम कर चमका गांव से 22 पशु एक दिन पहले ही 27 दिसम्बर को गौशालाओं में भिजवाए व फिर 29 दिसम्बर को 17 जानवर भिजवाए। जैसे ही यह खबर फैली अन्य गांवों के लोगों ने भी खुले पशुओं को एकत्र करना शुरू कर दिया। ग्राम सभा कौड़िया के ग्राम रामनगर में ग्रामीणों ने करीब 50 पशु, ग्राम सभा ऐरा काके मऊ के ग्राम बंजरा में करीब 60-70 जानवर व ग्राम सभा भरावन के ग्रामीणों ने करीब 200 पशु पकड़ लिए और इस बात का इंतजार करने लगे कि कब उनके गांव से भी पशु गौशाला में ले जाए जाएं।

2021 में हरदोई, उन्नाव व बाराबंकी जिलों में इससे पहले छह अवसरों पर इस प्रकार के कार्यक्रम हो चुके हैं। सबसे पहले 25 जनवरी को मियागंज, उन्नाव से ग्रामीण जानवरों को लेकर निकले थे। 26 जनवरी को ग्राम सभा लालामऊ मवई, हरदोई से बड़ी संख्या में ग्रामीण तीन ग्राम सभाओं के 21 पशुओं, जिन्हें रस्सी से बांधा जा सका, को लेकर योगी आदित्यनाथ के घर की ओर निकले। उप जिलाधिकारी ने दो दिन के अंदर वहां एक बाड़ा बनाकर पकड़कर रखे गए 80 पशुओं को गौशाला में भिजवाया। साथ ही एक भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारी ज्ञानेन्द्र सिंह, जिसने जब दिसम्बर, 2020 में ग्रामीण पशु चिकित्साधिकारी के कहने पर पशुओं को लेकर पवायां गांव की गौशाला ले जा रहे थे तो ग्रामीणों पर हमला बोल दिया था, के खिलाफ अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धारा के साथ प्राथमिकी भी दर्ज हुई।

फिर बाराबंकी की असेनी ग्राम सभा से लोग 13 अगस्त को जिले के अधिकारियों को सूचित करने के बाद पशुओं को लेकर निकले। जब प्रशासन ने दिखावे की कार्यवाही कर कुछ पशु ही उठाए तो 18 अगस्त को पुनः लोग पशुओं को लेकर योगी आदित्यनाथ के घर की तरफ निकल पड़े। इस बार पशु चिकित्साधिकारी ने लिखित आश्वासन दिया कि एक हफ्ते में सारे पशु गौशालाओं में पहुंचाए जाएंगे। उन्नाव की ग्राम सभा देवगांव में उप जिलाधिकारी सफीपुर को सूचना देने पर ग्रामीणों के मुख्यमंत्री के यहां कूच करने के एक दिन पहले ही 21 सितम्बर को उन्होंने पशुओं को गौशाला पहुंचाने की व्यवस्था कर दी। फिर 11 अक्टूबर को किसान काली मिट्टी चैराहे से तकिया तक लखनऊ की दिशा में पशुओं को लेकर एक दिन चले। दूसरे दिन प्रशासन ने ग्रामीणों को आसीवन थाने के निकट रोक कर पशुओं को गौशाला भेजने की व्यवस्था की। टांडा सातन व मझरिया गांवों से जानवर गौशाला ले जाए गए। किंतु मांग अन्य ग्रामों से भी पशुओं को हटाए जाने की थी।

हकीकत यह है कि किसान खुले पशुओं से परेशान हैं। उसे रात रात जग कर अपना खेत बचाना पड़ रहा है। जब उसने ब्लेड वाले तार लगा कर अपना खेत सुरक्षित करना चाहा तो सरकार ने इन तारों को प्रतिबंधित करते हुए उस पर जुर्माने का भी प्रावधान कर दिया। यानी सरकार किसानों की समस्या हल करने के बजाए किसानों को ही दण्ड देने के बारे में सोचने लगी। खुले पशुओं की समस्या योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद खड़ी हुई जब तथाकथित गौ रक्षकों ने किसी पर भी सिर्फ शक की बुनियाद पर कि पशु गौकशी के लिए ले जाए जा रहे हैं प्राणघातक हमले करने शुरू कर दिए। हिंदुत्ववादी कार्यकर्ताओं की गुण्डागर्दी से तंग आकर लोगों ने गाय की खरीद बिक्री ही बंद कर दी। गायों के बाजार लगने बंद हो गए।

योगी सरकार ने गौशालाओं की योजना शुरू की। प्रति पशु के लिए प्रति दिन रुपए 30 की व्यवस्था की। किंतु गौशालाएं अपर्याप्त हैं। पशुओं की संख्या कहीं ज्यादा है। जो गौशालाएं खुली हैं वहां व्यवस्था ठीक नहीं है। पशुओं को खिलाने का इंतजाम नहीं है, जो व्यक्ति पशुओं की देख-रेख के लिए रखा गया है उसे कई माह हो जाते हैं अपना मानदेय मिले हुए। बिहार में तो लालू प्रसाद यादव चारा घोटाले में जेल गए किंतु उत्तर प्रदेश में इस समय एक बड़ा चारा घोटाला चल रहा है जिसमें ऊपर से लेकर नीचे तक सब लिप्त हैं।

अस्थाई रूप से गांव वाले खुद जहां-जहां पशुओं को पकड़ कर रख रहे हैं वहीं गौशालाएं बनवा दी जानी चाहिए और प्रशासन गौशाला योजना से गायों को खिलाने का इंतजाम करे। अन्यथा किसान को प्रति पशु रुपए 30 प्रति दिन के हिसाब से दे दे ताकि किसान ही उसका भरण-पोषण कर सके। भाजपा सरकार तो कई योजनाओं में लोगों के खातों में नकद हस्तांतरण कर रही है तो वह अनुपयोगी पशुओं को खिलाने का खर्च भी किसान को दे दे। वह जो किसान सम्मान निधि के नाम पर सालाना रुपए 6,000 दे रही है उससे ज्यादा तो किसान की फसल का नुकसान हो जा रहा है। यह सम्मान निधि किसान के जले पर नमक छिड़कना जैसा है।

किसानों की यह भी मांग है कि, चूंकि सरकार ने ब्लेड वाले तार प्रतिबंधित कर दिए हैं, जिनकी फसल खुले पशु चर गए हैं उन्हें सरकार मुआवजा दे। यदि सरकार ने किसानों को मुआवजा नहीं दिया तो किसान न्यायालय का दरवाजा भी खटखटा सकते हैं।

चमका गांव के राम स्नेही अर्कवंशी, जिनके नेतृत्व में गायों को योगी आदित्यनाथ के घर ले जाने का कार्यक्रम तय हुआ, का कहना है कि यदि सरकार गायों की व्यवस्था गौशालाओं में नहीं कर पा रही है और न ही सरकार किसी तरह की क्षतिपूर्ति करना चाहती है तो उसे गायों की खरीद-बिक्री का बाजार खोल देना चाहिए ताकि किसानों को खुले पशुओं से निजात मिल सके।

(संदीप पांडेय मेगसेसे पुरस्कार विजेता हैं।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles