Thursday, April 18, 2024

प्रधानमंत्री आवास योजना में झारखंड बना फर्जीवाड़े और घपले का केंद्र

गढ़वा जिले के अमहर खास गांव की रहने वाली मेतर देवी के प्रधानमंत्री आवास योजना में एक फर्जीवाड़ा और घपले का काफी दिलचस्प मामले का खुलासा हुआ है। जो मामला 30 सितंबर को सामने आया है उसमें बड़ी चतुराई से प्रधानमंत्री आवास योजना की लाभुक मेतर देवी से 40 हजार रुपये अवैध रूप से उनके खाता से निकलवाकर ले लिया गया है। अमहर खास गांव निवासी मेतर देवी ने बताया कि 20 सितंबर की सुबह विशुनपुरा प्रखंड के स्वयंसेवक राकेश सिन्हा एवं मंडल अध्यक्ष अवध बिहारी गुप्ता मेरे घर आए और बोले कि किसी दूसरे लाभुक का पैसा आपके खाते में चला गया है। इस पैसे को आप जल्दी निकाल कर दे दीजिए। मेतर देवी ने बताया कि मैंने बैंक जाकर स्वयंसेवक राजेश सिन्हा को बैंक में ही 40 हजार रुपये निकाल कर दे दिए। फिर बाद में पता चला कि जो पैसा हमने दिया है वह पैसा मेरे ही पीएम आवास का है। इस विषय में जब मैंने स्वयंसेवक राजेश सिन्हा से संपर्क किया तो उन्होंने मामले को बढ़ता देख जनप्रतिनिधियों से फोन करवा कर मामले को आगे ले जाने से रोकने की कोशिश की। मामले के तह तक जाने पर पता चला कि इसमें स्वयंसेवक, मुखिया, प्रखंड समन्वयक दलालों की ऐसे फर्जीवाड़े पर एक बड़ा रैकेट चल रहा है।

बताते चलें कि मेतर देवी पति कन्हाई पासवान का पीएम आवास 2018 के ग्राम सभा के माध्यम से प्राप्त हुआ था। इसके बाद तीन बार स्वयंसेवक द्वारा जियो टैग किया गया और जाब कार्ड, आधार कार्ड, बैंक पासबुक की छाया प्रति ली गयी और पैसे की मांग की गई। पैसा नहीं देने के कारण ऐसा तरीका अपनाया गया है। दूसरी तरफ इसी प्रखंड के पिपरी कला पंचायत निवासी जितेंद्र गुप्ता ने बताया कि मुझसे भी दूसरी किस्त 85 हजार खाते में डालने के लिए पांच हजार रुपये स्वयंसेवक पति अजित रजक द्वारा लिया गया है। इस पर स्वयंसेवक पति अजित कुमार ने फोन पर बताया कि यह पैसा प्रखंड कोआर्डिनेटर नागेंद्र मेहता को देने के लिए लिया गया है।

ये दोनों ही मामले पीएम आवास योजना में चल रही धांधली को साफ तौर पर बयान कर रहे हैं। नाम नहीं छपाने की शर्त पर कई लाभुकों ने बताया कि प्रखंड कोआर्डिनेटर नागेंद्र मेहता ने सभी गांवों में दलाल बहाल कर रखे हैं। बिना रिश्वत दिए पीएम आवास का पैसा लाभुकों के खाते में नहीं डाला जाता है।

मामले पर प्रभारी बीडीओ विशुनपुरा के ललित प्रसाद सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना में लाभुकों से पैसे लेने की सूचना मिली है। संबंधित सभी लोगों को नोटिस जारी कर के जवाब मांगा गया है। इसके बाद सभी पाए गए लोगों के विरुद्ध नियम संगत कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने लाभुकों से अपील की कि बिचौलिया या कोई भी प्रखंड कर्मी को पैसा न दे। काम नहीं होने पर लाभुक सीधे आकर मुझसे मिले।

दूसरी तरफ प्रधानमंत्री आवास योजना में लाभुक किस तरह फर्जीवाड़े और घपले के शिकार हो रहे हैं, इसकी बानगी हम ज़िले के दो मामलों में देख सकते हैं। 26 अगस्त को इसी तरह के तरह फर्जीवाड़े की खबर सुर्ख़ियों में आई।

बता दें कि ज़िले के रंका प्रखंड के भौरी गांव में एक पुश्तैनी मकान में रहने वाली कमला देवी के नाम पर बिना मांगे पीएम आवास स्वीकृत हो गया। हैरानी की बात तो यह है कि इस योजना के नाम पर दो-दो बार अवैध पैसे की निकासी भी हुई। इसकी जानकारी कमला देवी के बेटे शंभू को मिली, तब उन्होंने पाया कि उनकी मां के नाम से पीएम आवास आया और बिचौलियों के ज़रिये बिना दस्तखत के ही दो बार में 40 हजार और 85 हजार रुपये की निकासी उनके खाते से हुई। यह मामला अगस्त में सामने आया।

इस मामले पर शंभू कहते हैं कि ‘मैं पीएम आवास क्यों मांगूगा, जबकि मेरा भाई नार्कोटिक्स विभाग पटना में अधिकारी है और मैं स्वयं ठेकेदार हूं। मैं इनकम टैक्स देता हूं, तो मैं इस तरह का दावा कर ही नहीं सकता। यहां के लोग हम लोगों को फंसाने का काम कर रहे हैं। मैं अधिकारियों से मांग करता हूं कि इस मामले की जांच की जाए।’

उल्लेखनीय है कि जुलाई 2020 में गढ़वा जिले में ही प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत बनने वाले आवासों की मजदूरी के भुगतान में बड़ा घपला हुआ था। इस घपले का खुलासा खुद बिराजपुर पंचायत के लाभुकों ने किया था। वास्तविक मजदूरों के तगादे से परेशान लाभुक प्रखंड कार्यालय पहुंचे और एमआइएस ऑपरेटर से अपने यहां काम करने वाले मनरेगा मजदूरों के नाम से डिमांड जारी कराने का आवेदन दिया। इस पर लाभुकों को बताया गया कि उनके आवास के लिए मजदूरी मद में डिमांड जारी हो चुका है। साथ ही मजदूरों के खाते में मजदूरी की राशि भेज दी गयी है।

जब इस मामले की पड़ताल की गयी, तो पता चला कि स्वयंसेवक अरुण कुमार ने वास्तविक मजदूरों के बदले दूसरे मजदूरों के नाम से डिमांड जारी कराया और उनकी मजदूरी के लाखों रुपये डकार गया। उसने यह राशि अपने ही सीएसपी (ग्राहक सेवा केंद्र) से निकाली। मामले का खुलासा होने के बाद बिराजपुर के मुखिया विजय प्रकाश कुजूर ने ग्रामीणों के साथ बैठक की। इस बैठक में मौजूद स्वयंसेवक अरुण कुमार ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए यह आश्वासन दिया था कि वह एक सप्ताह में ही सभी लाभुकों को उनकी राशि लौटा देगा। बाद में उसने राशि नहीं लौटायी और पैसा देने से आनाकानी करने लगा।

जिन लाभुकों के पैसे स्वयंसेवक डकारा उनमें बरवा गांव निवासी बेलास तिर्की के आवास की मजदूरी मद के 6,984 रुपये, बरवा गांव निवासी फुलमनिया तिर्की के 4,656 रुपये, बरवा गांव निवासी गुंजरी लकड़ा के 6,156 रुपये, बरवा गांव निवासी जामिनी तिर्की के 4,656 रुपये शामिल थे।

वहीं छतीसगढ़-झारखंड बॉर्डर पर स्थित रंका प्रखंड का गोदारमाना टोले के यादव मुहल्ले में दिनेश चौधरी ने पीएम आवास के लिए अप्लाई किया था, जिसके बाद इसे आवंटन मिला भी लेकिन इनके नाम से जो पैसा आया उसे किसी और ने खाते से जालसाज़ी से निकाल लिया। चौधरी का आरोप है कि इस धोखाधड़ी के बाद अब अधिकारी दबाव बना रहे हैं कि उनके नाम का आवंटन है, वह पीएम आवास बनवाएं। चौधरी का कहना है कि कागज़ों पर पैसे किसी और ने निकाल लिये, तो वे ऐसी गरीबी की हालत में मकान कैसे बनवाएं।

पड़ताल में पता चला कि इस गांव में दर्जनों ऐसे लाभुक हैं, जिन्हें पीएम आवास की ज़रूरत है, लेकिन प्रखण्ड के अधिकारी इनके आवेदनों पर ध्यान नहीं दे रहे। ग्रामीण कहते हैं कि कई बार आवास को लेकर अधिकारियों के पास जाने के बाद भी उनकी कोई नहीं सुन रहा। गढ़वा ज़िले के डीडीसी एसएन उपाधयाय से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि उन्हें यह जानकारी मिली है। जल्द ही इसकी जांच कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। लेकिन अभी तक मामले पर को कार्रवाई नहीं हुई।

अक्टूबर 2020 में एक काफी दिलचस्प मामला प्रकाश में आया था। झारखंड के अंतिम छोर में बसा पाकुड़ जिला अंतर्गत महेशपुर प्रखंड के लगभग 36 गांव के पीएम आवास योजना के लाभुकों के खाते से फर्जीवाड़ा कर ताबड़तोड़ राशि की निकासी की गई, जिससे जहां लाभुक परेशान होने लगे थे वहीं प्रशासन की नींद हराम हो गयी थी।

बता दें कि जिला अनुसूचित जनजाति सुरक्षित महेशपुर विधानसभा क्षेत्र है। इस क्षेत्र में अधिकांशत: अशिक्षित, गरीब और मजदूर तबके के लोग रहते हैं। जिनके फूस और टाली के पुराने मकान है। केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना प्रधानमंत्री आवास का सरकार ने इन भोले-भाले और अशिक्षित और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को पक्का मकान मुहैया कराने के लिए लाभुक बनाया एवं सारी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद इन लाभुकों के बैंक खाते में बतौर अग्रिम एवं द्वितीय किस्त की राशि भी भेजी गयी। राशि लाभुकों के खाते में जैसे ही पहुंची फर्जीवाड़ा करने वाले लोगों ने किसी के खाते से 20 हजार, तो किसी के खाते से 40 और 75 हजार तक बिना लाभुकों की जानकारी के निकाल लिए। जिसमें सिर्फ महेशपुर प्रखंड के तेलियापोखर, गायबथान, अभुआ, पोखरिया, भेटाटोला पंचायत के तीन दर्जन पीएम आवास योजना के लाभुकों के खाते से लाखों रुपए के अवैध तरीके से निकासी कर ली गयी। इस फर्जीवाड़े मामले में अलग अलग थाने में दर्ज गये थे।

इस योजना के लाभुकों के साथ हो रहे फर्जीवाड़ा मामले में लाभुक कभी ग्राहक सेवा केंद्र तो कभी थाना, बीडीओ कार्यालय और बैंक का चक्कर लगा रहे हैं ताकि उन्हें न्याय मिल सके, निकाली गयी राशि वापस खाते में आए और दोषियों की पहचान कर धर पकड़ हो सके, लेकिन मामला ढाक के तीन पात साबित हुआ।

बताते चलें कि प्रधानमंत्री आवास योजना में फर्जीवाड़े व घपले का मामला कोई झारखंड में ही नहीं है, यह पूरे देश में अपना फैलाव कर चुका है। आए दिन ऐसे फर्जीवाड़े की खबरें राष्ट्रीय स्तर पर भी सुर्खियों में देखने को मिलती हैं। झारखंड इसका एक बड़ा चारागाह के रूप में विकसित हो चुका है।

कुछ मामलों पर त्वरित कार्रवाई भी होती है, जैसे – पिछले 25 सितंबर को बोकारो जिले के जरीडीह प्रखंड के आवास कोआर्डिनेटर को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है।
जानकारी के अनुसार जरीडीह प्रखंड के अनुबंध कर्मचारी प्रधानमंत्री आवास योजना के प्रखंड कोआर्डिनेटर दीपक कुमार कपरदार को एक लाभुक से 10,000 रूपए रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ जैना मोड़ के बाजार में नाटकीय ढंग से गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया।
(झारखंड से वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।)

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