Wednesday, April 24, 2024

बिक्रमजीत सिंह मजीठिया पर गिरफ़्तारी की तलवार, हाईकोर्ट ने रद्द की अग्रिम जमानत याचिका

पंजाब में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अकाली नेता बिक्रमजीत सिंह मजीठिया को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट से तगड़ा झटका लगा है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने ड्रग्स मामले में वरिष्ठ अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया की अग्रिम जमानत अर्जी रद्द कर दी है। कोर्ट ने इससे पहले मजीठिया को अंतरिम राहत देते हुए गिरफ्तारी से बचा लिया था। अब मजीठिया पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है। अंतरिम राहत पर हाईकोर्ट के निर्णय की सोशल मीडिया पर यह कहकर आलोचना हुई थी कि एक ओर दो चार ग्राम ड्रग्स की बरामदगी पर सुशांत सिंह मामले में रिया चक्रवर्ती से लेकर कई गिरफ्तारियां हुई थीं और शाहरुख खान के लड़के आर्यन खान की गिरफ्तारी में एक ग्राम ड्रग्स भी बरामद नहीं हुई थी। जबकि बिक्रम सिंह मजीठिया पर बहुचर्चित 6 हजार करोड़ रुपए के सिंथेटिक ड्रग केस में एफआईआर दर्ज होने के बावजूद अंतरिम अग्रिम जमानत दे दी गयी।

विधानसभा चुनाव के बीच में मजीठिया के खिलाफ आए कोर्ट के इस फैसले से अकाली दल को खासा झटका लगा है। क्योंकि मजीठिया ना सिर्फ पार्टी के सीनियर लीडर हैं, बल्कि पार्टी की ओर से विपक्ष पर लगातार हमले भी वही करते हैं।

सोमवार को पंजाब एवं हरियाणा हाइकोर्ट ने मजीठिया की जमानत मामले में सुनवाई की और फैसला सुनाया। ऐसे में अब कभी भी मजीठिया की गिरफ्तारी हो सकती है। मजीठिया को हाइकोर्ट से अंतरिम जमानत मिली थी। पिछली बार 18 जनवरी को हाइकोर्ट ने 24 जनवरी तक अग्रिम जमानत बढ़ा दी थी। सोमवार को एक बार फिर सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनी। मजीठिया के वकीलों ने तर्क दिया कि वह ड्रग्स केस में जांच टीम के आगे पेश हो चुके हैं।

इससे पहले पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने 18 जनवरी को इस मामले में बिक्रम मजीठिया को मिली अंतरिम जमानत को 24 जनवरी तक बढ़ा दिया था। उस समय मजीठिया के वकील के कारोना पॉजिटिव होने के चलते सुनवाई टाली गई थी। पंजाब सरकार ने इस पर कोई आपत्ति नहीं की थी। इस दौरान पंजाब सरकार ने बताया कि मजीठिया जांच में शामिल तो हो गए हैं लेकिन वह जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि अगली सुनवाई पर बहस नहीं की गई तो अंतरिम जमानत का आदेश वापस ले लिया जाएगा।

पूर्व मंत्री से अदालत ने यह भी कहा था कि सुनवाई की अगली तारीख तक वो देश ना छोड़ें और व्हाट्सऐप के जरिए जांच एजेंसी को अपना लाइव लोकेशन भी शेयर करते रहें। शिरोमणि अकाली दल के महासचिव बिक्रम सिंह मजीठिया पार्टी प्रमुख सुखबीर सिंह बादल के साले और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल के भाई हैं।

बिक्रमजीत सिंह मजीठिया के खिलाफ 20 दिसंबर21 को मोहाली में एनडीपीएस एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। राज्य पुलिस की अपराध शाखा द्वारा मोहाली पुलिस स्टेशन में दर्ज 49 पन्नों की प्राथमिकी में शिअद नेता के खिलाफ नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) अधिनियम की धारा 25, 27 ए और 29 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

मजीठिया ने इससे पहले मोहाली ट्रायल कोर्ट से जमानत मांगी थी, जिसे खारिज कर दिया गया। निचली अदालत द्वारा जमानत खारिज होने के बाद मजीठिया ने उच्च न्यायालय में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन किया था। उच्च न्यायालय ने 10 जनवरी को उन्हें अंतरिम जमानत दी थी और जांच में शामिल होने का आदेश दिया था। आज कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया है। बिक्रमजीत सिंह मजीठिया अकाली दल के सीनियर नेता हैं। अब याचिका खारिज होते ही उन पर गिरफ्तारी की तलवार भी लटक गई है। मामला दर्ज होते ही उनकी गिरफ्तारी को लेकर पुलिस लगातार छापेमारी कर रही थी। क्योंकि गिरफ्तारी से बचने के लिए मजीठिया पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय में चले गए थे, जहां से उन्हें अंतरिम बेल मिल गई थी। लेकिन अब यह रोक हट गई है।

बिक्रमजीत सिंह ने अमृतसर सीट से कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान कर रखा है। हालांकि अभी उन्होंने इस सीट से पर्चा नहीं भरा है। ना ही उनके नाम की घोषणा इस सीट से हुई है।

पंजाब में पूर्व अकाली मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया पर जिस बहुचर्चित 6 हजार करोड़ रुपए के सिंथेटिक ड्रग केस में एफआईआर दर्ज हुई है, वह केस 2012 में शुरू हुआ। पहली एफआईआर फतेहगढ़ साहिब में दर्ज की गई और शुरुआती स्टेज में यह केस भी दूसरे सामान्य मामलों की तरह लगा। इसमें सियासी भूचाल तब मचा जब 2014 में पेशी पर आए केस के मुख्य आरोपी और पंजाब पुलिस के बर्खास्त डीएसपी जगदीश भोला ने तत्कालीन रेवेन्यू मिनिस्टर बिक्रम सिंह मजीठिया का नाम ले लिया। पंजाब में तब अकाली-भाजपा गठबंधन की सरकार थी और बादल परिवार से रिश्तेदारी के चलते मजीठिया की गिनती सबसे पावरफुल मिनिस्टर्स में होती थी। ड्रग केस में मजीठिया का नाम आने से पंजाब की पूरी सियासत हिल गई।

मार्च 2013 में कनाडा के एनआरआई अनूप सिंह कहलो को फतेहगढ़ साहिब से गिरफ्तार किया गया था। इसी के बाद हजारों करोड़ के इंटरनेशनल ड्रग रैकेट का भंडाफोड़ हुआ था। दरअसल इस मामले के तार बिक्रम मजीठिया से उस वक्त जुड़े जब पंजाब पुलिस के बर्खास्त डीएसपी जगदीश भोला को पकड़ा गया। बर्खास्त डीएसपी जगदीश भोला ने रैकेट में मजीठिया के शामिल होने का आरोप लगाया था। भोला से पूछताछ के बाद अमृतसर की फार्मा कंपनी के बिट्टू औलख और जगदीश चहल को भी अरेस्ट किया गया था। चहल ने कथित रूप से पूछताछ में बताया था कि कनाडा के एनआरआई सत्ता को भारत आने पर दो गनर और ड्राइवर मुहैया कराए जाते थे। यही नहीं मजीठिया पर हवाला के जरिए 70 लाख रुपयों के लेनदेन का भी आरोप लगा था।

एक अनुमान है कि पंजाब में हर साल करीब एक हजार किलो हेरोइन बरामद होती है। 2017 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दोनों ने इस पर अकाली दल को घेरा था। वहीं अकाली नेता रतन सिंह अजनाला के बेटे अमरपाल सिंह बोनी अजनाला ने अपनी गवाही में मजीठिया का कथित रूप से नाम लिया। बनूड़ पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर नंबर-56 के सिलसिले में उसने गवाही दी थी। बोनी अजनाला ने अपने बयान में बताया कि 2005 में उसने बिट्टू औलख को मजीठिया से मिलावाया था। जांच के दौरान कनाडा के सतप्रीत सत्ता और परबिंदर के नाम का भी खुलासा हुआ। आरोप है कि दोनों की मजीठिया से नजदीकी थी और वे मजीठिया की शादी में भी पहुंचे थे।

हाल ही में पंजाब सरकार ने इकबाल प्रीत को डीजीपी के पद से हटाया था। इकबाल प्रीत के स्थान पर नवजोत सिंह सिद्धू के करीबी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय को पंजाब का नया डीजीपी बनाया गया है। 2018 के एक मामले में स्टेटस रिपोर्ट के आधार पर मजीठिया के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट की धारा 25, 27 ए और 29 के तहत एफआईआर दर्ज की है। हाईकोर्ट में लंबित एसटीएफ की यह रिपोर्ट जगजीत सिंह चहल, जगदीश सिंह भोला और मनिंदर सिंह औलख सहित कुछ आरोपियों के बयान पर आधारित है। ये सभी 2013 के करोड़ों रुपये के ड्रग्स रैकेट मामले में आरोपी हैं, जिसकी जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कर रहा है। इस मामले में ईडी ने दिसंबर 2014 में मजीठिया से भी पूछताछ की थी, उस दौरान वह अकाली सरकार में मंत्री थे।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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