Friday, April 19, 2024

छत्तीसगढ़ः हमले को लेकर अनशन पर बैठे पत्रकार की हालत बिगड़ी, पुलिस ने अस्पताल में जबरन कराया भर्ती

रायपुर। कांकेर जिले में पत्रकार पर हमले का मामला दिन-ब-दिन गरमाता जा रहा है। आरोपी कांग्रेसी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर राजधानी रायपुर में पत्रकारों का आठ दिनों से आमरण अनशन जारी है। इस बीच अनशन पर बैठे वरिष्ठ पत्रकार कमल शुक्ला को पुलिस ने जबरन अस्पताल में भर्ती करा दिया है। आरोपियों और अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होने को लेकर 11 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ के पत्रकारों ने ‘पत्रकार न्याय यात्रा’ निकालने का एलान किया है।

जहां एक ओर प्रियंका गांधी, बीजेपी शासित राज्यों में पत्रकारों के उत्पीड़न पत्रकारों की सुरक्षा और स्वतंत्रता को लेकर मुखर हैं, वही कांग्रेस शासित राज्य छत्तीसगढ़ में पत्रकारों पर हमले पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं! यही नहीं कांग्रेस नेता और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को पंजाब में एक प्रेस कांफ्रेस को संबोधित करते हुए कहा, “मुझे फ्री प्रेस दे दो और अन्य प्रमुख संस्थानों को आजाद कर दो, फिर देखो यह सरकार लंबे समय तक नहीं चलने वाली। भारत में पूरे ढांचे को बीजेपी सरकार द्वारा नियंत्रित और कब्जा कर लिया गया है। लोगों को आवाज देने के लिए डिजाइन किए गए पूरे आर्किटेक्चर पर कब्जा कर लिया गया है।” ठीक इस बयान के उलट कांग्रेस शासित राज्यों- छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पत्रकारों के साथ मारपीट और और उनके खिलाफ मामले दर्ज हो रहे हैं।

कांग्रेस शासित राज्य छत्तीसगढ़ में भी पत्रकारों से मारपीट का मामला सामने है। कांकेर ज़िले में स्थानीय पत्रकार सतीश यादव और कमल शुक्ला पर हुए हमले को लेकर राज्य सरकार पर सवाल उठ रहे हैं।  आरोप है कि ये हमले कांग्रेस से जुड़े नेताओं ने किए थे। इसे लेकर पत्रकार कमल शुक्ला राजधानी रायपुर में आमरण अनशन पर बैठ थे और पुलिस ने जबरन उन्हें अस्पताल में भर्ती करा दिया। वहीं कांग्रेस ने अपने नेताओं की संलिप्तता को लेकर इंकार किया है, जबकि कमल शुक्ला का साफ-साफ कहना है कि हमला करने वाले कांग्रेस नेता ही थे।

बताते चलें कि अस्पताल में भी उनका आमरण अनशन जारी है। कमल शुक्ला के बेटे शुभम् शुक्ला ने बताया कि पापा के अनशन का आज 8वां दिन है। उन्होंने बोलना बंद कर दिया है। वे होश में हैं पर उनका शुगर लेवल कभी 60 तक लो हो जा रहा है तो एक घंटे में ही 400 तक पहुंच जाता है। डॉक्टरों ने उन्हें लगातार समझाया है कि उनका अन्न ग्रहण करना बहुत जरूरी है नहीं तो Brain Hammrage की संभावना है। इन आठ दिनों में उनका वजन आठ किलो काम हो चुका है। पिछले 24 घंटे से बिस्तर पर ही हैं। बेहोश होने के डर से उनको वहां से उठने नहीं दिया जा रहा है।

शुभम् ने कहा कि देश भर से पापा के कई मित्रों ने मेरे माध्यम से उनको समझाया है कि वे अनशन तोड़ें। मैंने भी समझाया है कि अनशन की भाषा समझने वाली सरकारों का दौर अब खत्म हो चुका है। विरोध का यह गांधीवादी हथियार अब भोथरा हो चुका है, पर उन्हें अभी भी इस हथियार पर भरोसा बना हुआ है। इसी बीच छत्तीसगढ़ के पत्रकारों ने एलान किया है कि 11 अक्टूबर को प्रदेश भर के पत्रकार ‘पत्रकार न्याय यात्रा निकाल’ कर न्याय मांगेंगे। इस यात्रा में पत्रकारों ने बुद्धिजीवी, सामाजिक कार्यकर्ता और सिविल सोसाइटी के लोगों से शामिल होने की अपील की है। न्याय यात्रा रायपुर धरना स्थल से होकर राजभवन तक जाएगी और राज्यपाल को ज्ञापन दिया जाएगा।

पत्रकारों की तरफ से जारी एक संदेश में कहा गया है कि सरकार अपराधियों के ऊपर कार्रवाई नहीं कर रही है। सरकार गुंडागर्दी के इस मामले को लॉ एंड ऑर्डर का मामला भी नहीं मान रही है। इससे देश भर के पत्रकारों, विभिन्न सामाजिक संगठनों, बुद्धिजीवियों, सिविल सोसाइटी के लोगों में सरकार के प्रति काफी आक्रोश है। घटना को हुए 12 दिन बीत चुके हैं, लेकिन सरकार ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है और न ही सरकार की कोई मंशा है। वरिष्ठ पत्रकार कमल शुक्ला 3 अक्टूबर से आमरण अनशन पर हैं। पुलिस और प्रशासन के लोगों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती किया है, लेकिन उनका आमरण अनशन वहां भी जारी है।

उनका शरीर दिनोंदिन कमजोर होता जा रहा। उन्हें कई अन्य बीमारियां भी हैं, जिसकी वजह से हम उनके स्वास्थ्य को लेकर बेहद चिंतित हैं, मगर सरकार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। सरकार मानो उनकी जान लेने पर ही तुली हुई है। सरकार के इस अड़ियल और पत्रकार विरोधी रवैये के चलते प्रदेश और देश के विभिन्न हिस्सों के पत्रकार साथी 11 अक्टूबर को एक बार फिर राजधानी रायपुर में इकट्ठा हो रहे हैं और सरकार के खिलाफ एक बड़े प्रदर्शन की तैयारी है। प्रदर्शन के बाद राज्यपाल को मामले में कार्रवाई के लिए ज्ञापन सौंपा जाएगा।

वहीं पत्रकारों से मारपीट का मामला सामने आने के बाद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने घटना की निंदा की थी और सीएम ने मामले में दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया था। हालांकि कांकेर में पत्रकारों के हमले के बाद कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने मीडिया में दिए बयान में कहा था कि आरोपियों का कांग्रेस से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा है कि कांकेर की मारपीट की घटना का वीडियो सामने आया है। वीडियो में अपशब्दों का प्रयोग भी हो रहा है। मारपीट करने वालों में कांग्रेस से किसी का संबंध नहीं है।

उनके बयान के बाद कांकेर विधायक प्रतिनिधि गफ्फार मेमन ने इस्तीफा दे दिया था। बीबीसी की एक रिपोर्ट में पत्रकारों पर हमले के आरोपियों का कांग्रेस के विभिन्न पदों प होना बताया गया है। पूरे मामले के खुलासे के बाद कांग्रेस ने चार सदस्यीय टीम बनाई थी, जिसे दो दिन में रिपोर्ट देनी थी लेकिन आज तक रिपोर्ट नहीं आई है और न किसी प्रकार की कार्रवाई ही हुई है।

पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कांग्रेस पर सियासी तंज कसते हुए पत्रकारों पर जानलेवा हमले के बाद उन्होंने ट्विटर पर एक पोस्ट साझा की थी। उन्होंने पुरानी कुछ घटनाओं का भी जिक्र करते हुए लिखा है कि सरकार की धूर्तता और निकृष्टता देखिए। बेरोजगार युवा आत्महत्या करता है तो वो ‘मानसिक विक्षिप्त’ था। कुपोषण और भूख से बच्चे की मौत होती है तो वह पहले से ‘बीमार’ था। कांग्रेसी गुंडे जब पत्रकार को पीटते हैं तो वह गुंडे नहीं ‘पत्रकार’ थे। शर्म भी नहीं आती इन्हें।

(जनचौक संवाददाता तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

AIPF (रेडिकल) ने जारी किया एजेण्डा लोकसभा चुनाव 2024 घोषणा पत्र

लखनऊ में आइपीएफ द्वारा जारी घोषणा पत्र के अनुसार, भाजपा सरकार के राज में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है और कोर्पोरेट घरानों का मुनाफा बढ़ा है। घोषणा पत्र में भाजपा के विकल्प के रूप में विभिन्न जन मुद्दों और सामाजिक, आर्थिक नीतियों पर बल दिया गया है और लोकसभा चुनाव में इसे पराजित करने पर जोर दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 100% ईवीएम-वीवीपीएटी सत्यापन की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने EVM और VVPAT डेटा के 100% सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर निर्णय सुरक्षित रखा। याचिका में सभी VVPAT पर्चियों के सत्यापन और मतदान की पवित्रता सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया। मतदान की विश्वसनीयता और गोपनीयता पर भी चर्चा हुई।

Related Articles

AIPF (रेडिकल) ने जारी किया एजेण्डा लोकसभा चुनाव 2024 घोषणा पत्र

लखनऊ में आइपीएफ द्वारा जारी घोषणा पत्र के अनुसार, भाजपा सरकार के राज में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है और कोर्पोरेट घरानों का मुनाफा बढ़ा है। घोषणा पत्र में भाजपा के विकल्प के रूप में विभिन्न जन मुद्दों और सामाजिक, आर्थिक नीतियों पर बल दिया गया है और लोकसभा चुनाव में इसे पराजित करने पर जोर दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 100% ईवीएम-वीवीपीएटी सत्यापन की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने EVM और VVPAT डेटा के 100% सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर निर्णय सुरक्षित रखा। याचिका में सभी VVPAT पर्चियों के सत्यापन और मतदान की पवित्रता सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया। मतदान की विश्वसनीयता और गोपनीयता पर भी चर्चा हुई।