Friday, April 19, 2024

कोयला खदान हादसे में मृत मजदूरों के परिजनों को मुआवजा दे सरकार: दीपंकर

पिछली 1 फरवरी को झारखंड के निरसा के ईसीएल मुगमा एरिया के अन्तर्गत गोपीनाथपुर, कापासारा एवं बीसीसीएल के दहीबाड़ी आउटसोर्सिंग में कोयला खनन के दौरान चाल धसने से दर्जनों की संख्या में मजदूरों की मौत हो गयी। जिसकी जानकारी मिलने के बाद भाकपा (माले) के राष्ट्रीय महासचिव कॉ. दीपंकर भट्टाचार्य 3 फरवरी को घटना का जायजा लेने घटना स्थल पर पहुँचे। उन्होंने घटना स्थल का मुआयना किया तथा उपस्थित लोगों से पूरी घटना की जानकारी ली। उसके बाद उन्होंने अस्पताल में ईलाजरत मज़दूरों से मिलकर उनका हालचाल लिया।

बाद में सर्किट हाउस में संवाददाताओं से बात की। इस मौके पर दीपंकर ने कहा कि पहली बात यह कि कोयला के अवैध खनन में लगे लोग चोर नहीं, मजदूर हैं।  उन्होंने कहा कि घटना में मृत लोगों को कोयला चोर कहना गलत होगा, वे मजदूर हैं। अवैध कोयला खनन के पीछे बेरोजगारी सबसे बड़ी वजह है, लोगों के पास रोजगार नहीं है, इसलिए लोग अपने जीवन की परवाह किये बिना इस काम को कर रहे हैं। ऐसे में पीड़ित सभी परिवार का चयन कर उन्हें मुआवजा दिया जाना चाहिए, ताकि उनके परिवार को आर्थिक मदद मिल सके। उन्होंने कहा कि कोयला उद्योग में आउटसोर्सिंग व्यवस्था के कारण ही माफिया पनप रहे हैं। सरकार कमीशनखोरी के लिए पब्लिक सेक्टर को धीरे-धीरे खत्म करने की दिशा की ओर बढ़ रही है, कोल सेक्टर का आउटसोर्सिंग के माध्यम से माफियाकरण किया जा रहा है।

माले महासचिव ने कि इन घटनाओं में वैध या अवैध की सरकारी परिभाषा को लागू कर दी जाती है जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। मजदूर अपनी रोजी-रोटी के लिए अपनी जान को जोखिम में डालकर काम करते हैं। जिसकी उचित मजदूरी भी नहीं मिलती।

उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यों में प्रबंधन-प्रशासन के साथ बड़े-बड़े ठेकेदारों के गठजोड़ के बगैर काम नहीं हो सकता। ये सब सरकार की नजर में हो रहा है। जब से आउटसोर्सिंग कंपनियां आई हैं, एक निजीकरण का दौर चल रहा है, कोल माफिया पनप रहे हैं, सरकार को चाहिए कि इस मामले का पूर्णतः संज्ञान में लेते हुए बड़ी-बड़ी मछलियों पर नकेल कसे। सबसे पहले जिनकी मृत्यु हुई है उनके आश्रितों को मुआवजा मिले। जो घायल हैं उनकी उचित चिकित्सा व्यवस्था होनी चाहिए। हमारी पार्टी लगातार मांग करती आ रही है कि कोयला खनन में सुरक्षा मानकों का ख्याल रखा जाना चाहिए।

दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि झारखंड राज्य में सबसे बड़ा उद्योग के रूप में कोयला खदान है। लेकिन केन्द्र सरकार के औद्योगिक निजीकरण के कारण आउटसोर्सिंग व्यवस्था में कोलियरियों में कोयला लूट, उद्योग का रूप ले लिया है। इस कोयला लूट में राज्य भी कम दोषी नहीं है। इस लूट के उद्योग संचालन में पुलिस प्रशासन, कोलियरी प्रबंधन, कुछ राजनीतिक नेताओं का एक बड़ा गठजोड़ है। उन्होंने राज्य सरकार व कोल इंडिया के उच्च अधिकारियों से मांग की कि इस हादसे को उच्च स्तरीय जांच पड़ताल कर दोषी लोगों पर कार्रवाई करे और हादसे में मारे गए परिवारों को 15 लाख रुपये मुआवजा व घायल लोगों को बेहतर इलाज की तत्काल व्यवस्था की जाए।

दीपंकर ने कहा कि अवैध कोयला खनन के दौरान गोपीनाथपुर, दहीबाड़ी व कापासारा आउटसोर्सिंग में हुई दुर्घटना में मौत के आंकड़ों से प्रशासन मुंह चुरा रहा है। जहां दर्जनों लोग इस घटना का शिकार हुए हैं वहीं प्रशासन मात्र 5 लोगों की मौत की बात कर रहा है।

उनके साथ पूर्व विधायक अरूप चटर्जी, राज्य सचिव कॉ. मनोज भक्त, राज्य कमेटी सदस्य पुरन महतो वगैरह लोग मौजूद थे।

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