Wednesday, April 24, 2024

केंद्रीय कृषि मंत्री और नीति आयोग के विरोधाभाषी बयानों ने खोल दी है सरकार की पोल: किसान मोर्चा

नई दिल्ली। संयुक्त किसान मोर्चा ने एमएसपी को लेकर मोदी सरकार की लगातार जुमलेबाजी पर रोष व्यक्त किया है। मोदी सरकार की आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने आज खरीफ 2021 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा की, व्यापक लागत C2 को लागत अवधारणा के रूप में उपयोग करने के बजाय, जिस पर कम से कम 50% का लाभ मार्जिन जोड़ा जाएगा, मोदी सरकार ने भुगतान की गई लागतों + पारिवारिक श्रम के आरोपित मूल्य का उपयोग करने की अपनी पुरानी चाल को जारी रखा, जिसे A2+FL फॉर्मूला के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा, मक्का के लिए पिछले वर्ष की तुलना में केवल बीस रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई।

धान, ज्वार, बाजरा, रागी, मक्का और मूंग जैसी विभिन्न फसलों पर एमएसपी में वृद्धि देश में महंगाई दर के बराबर नहीं है। ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जो गारंटी देती है कि प्रत्येक किसान को कम से कम एमएसपी को न्यूनतम मूल्य के रूप में मिले। इसलिए, जहां तक किसानों का सवाल है, यह एक अर्थहीन वृद्धि है, और इसीलिए यह आंदोलन सभी किसानों के लिए एमएसपी के क़ानूनी अधिकार की मांग करता रहा है ताकि सभी किसानों के लिए एक लाभकारी एमएसपी सुनिश्चित की जा सके। सरकार की पीआईबी प्रेस विज्ञप्ति में पीएम-आशा योजना का भी उल्लेख है, और यह फिर से सरकार द्वारा पर्याप्त बजटीय आवंटन के बिना भारत के किसानों के साथ एक क्रूर मजाक है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नीति आयोग के कृषि सम्बंधित सदस्य डॉ. रमेश चंद ने कहा है कि सरकार बातचीत तभी शुरू करेगी जब आंदोलनकारी किसान उन तीनों काले कानूनों के विशेष कमियों को इंगित करेंगे, जिन्हें रद्द करने की वो मांग कर रहे हैं। मोर्चा ने कहा कि ऐसा मालूम पड़ता है कि सरकार के सलाहकार की भूमिका निभाने वाले डॉ. रमेश चंद ने 22 जनवरी 2021 तक सरकार और किसान प्रतिनिधियों के बीच हुई ग्यारह दौर की बातचीत के बारे में खुद को अपडेट नहीं किया है, जिसमें इन कानूनों की मूलभूत कमियों से पहले ही सरकार को अवगत करा दिया गया है। इस तरह की मूलभूत खामियों की वजह से कानून में कोई सुधार की गुंजाइश नहीं है। उनका बयान कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर के विपरीत है, जिन्होंने कहा था कि अगर किसान कानून रद्द करने के विकल्प के रूप में किसी भी प्रस्ताव के साथ आगे आते हैं तो बातचीत फिर से शुरू हो सकती है।

वार्ता के बाद की बनी ये स्थिति कमियों को इंगित करने के लिए नहीं है, क्योंकि इन्हें पहले ही इंगित किया जा चुका है, बल्कि ये सरकार के लिए एक चेहरा बचाने वाले विकल्प प्रदान करने के लिए है। ऐसे समय में जब यह किसान आंदोलन दिल्ली की सीमाओं पर लगभग 200 दिनों के विरोध प्रदर्शन को पूरा करने जा रहा है और जब आंदोलन में 502 किसानों ने अपने प्राणों की आहुति दी है, संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि वह सरकार के इस रवैये की निंदा करता है। जब प्रधानमंत्री बड़ी बेबाकी से कहते हैं कि सरकार सिर्फ एक कॉल दूर है, सरकार का असली किसान विरोधी रवैया बहुत स्पष्ट है। विरोध करने वाले किसान बार-बार ये कह रहे कि सरकार का रवैया अतार्किक और अनुचित है, ये अहंकार और गुमराह करने वाला है। सबसे पहले इन तीनों केंद्रीय कानूनों को पूर्ण रूप से रद्द किया जाए और किसानों को एमएसपी की गारंटी के लिए एक नया कानून लाया जाए।

आज, आंदोलन स्थलों पर, सिख योद्धा बंदा सिंह बहादुर और आदिवासी नेता बिरसा मुंडा की शहादत को बड़े सम्मान के साथ याद किया गया। बंदा सिंह बहादुर को अठारहवीं शताब्दी की शुरुआत में, मुगलों द्वारा कब्जा किए जाने और 9 जून, 1716 को शहादत प्राप्त करने से पहले, जमींदारी व्यवस्था को खत्म करने और जमीन को जोतने वालों को संपत्ति का अधिकार देने के लिए जाना जाता है। बिरसा मुंडा को आदिवासियों और भारतवर्ष के जनमानस के द्वारा, जंगलों और जमीनों पर आदिवासी अधिकारों की रक्षा के लिए ब्रिटिश शासकों के खिलाफ उनकी लड़ाई के लिए सम्मान से याद किया जाता है। मात्र 25 साल के युवावस्था में भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनके उल्लेखनीय योगदान है जिनका 9 जून, 1900 के दिन ब्रिटिश जेल में शहादत हुई। आंदोलनकारियों ने इन दो बहादुर शहीदों के जीवन के संघर्षों से प्रेरणा ली और शपथ ली कि जब तक उनकी जायज मांगें पूरी नहीं हो जाती, तब तक संघर्ष जारी रखेंगे।

अखिल भारतीय किसान सभा, क्रांतिकारी किसान यूनियन और बीकेयू कादियान जैसे विभिन्न किसान संगठनों के कई बड़े दल आज पंजाब से अलग-अलग आंदोलन के मोर्चे पर पहुंचे। कल काफी संख्या में आंदोलकारी उधमसिंह नगर और उत्तराखंड के अन्य क्षेत्रों से गाजीपुर आंदोलन स्थल पर आए थे। साथ ही किसान संघर्ष समिति हरियाणा का सैकड़ों प्रदर्शनकारी वाहनों का एक समूह कल प्रदर्शन स्थल पर पंहुचा।

(संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के आधार पर।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

मोदी के भाषण पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं, आयोग से कपिल सिब्बल ने पूछा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'कांग्रेस संपत्ति का पुनर्वितरण करेगी' वाली टिप्पणी पर उन पर निशाना साधते...

Related Articles

मोदी के भाषण पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं, आयोग से कपिल सिब्बल ने पूछा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'कांग्रेस संपत्ति का पुनर्वितरण करेगी' वाली टिप्पणी पर उन पर निशाना साधते...