Friday, March 29, 2024

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट: 3 लाख नहीं, 6 से 42 लाख तक हो सकती हैं भारत में कोरोना से मौतें

अब मोदी सरकार कह रही है कि 24 अप्रैल तक भारत में 307231 लोगों की मृत्यु कोरोना से हो चुकी थी जबकि 26,948,800 लोग संक्रमित हो चुके थे जबकि न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 3 नहीं, 6 से 42 लाख है कोविड डेथ की असली संख्या। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि 70 करोड़ से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमित हुए होंगे। अब कौन सच बोल रहा है कौन झूठ यह शोध का विषय बनता जा रहा है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने भी अनुमान लगाया है कि दुनिया में कोरोना की वजह से मौत के आंकड़े आधिकारिक संख्या से 2 से 3 गुना ज्यादा हो सकते हैं। भारत में आधिकारिक रूप से कम मौतें रिपोर्ट होने की आशंका और ज्यादा है। चारों ओर कोरोना ने मौत का तांडव मचा रखा है लेकिन सरकार आंकड़ों की बाजीगरी में लगी है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के कोरोना डैशबोर्ड की मानें तो 24 अप्रैल तक भारत में 307231 लोगों की मृत्यु कोरोना से हो चुकी थी, जबकि 26,948,800 लोग संक्रमित हो चुके थे। सरकारी आंकड़ों में अंडररिर्पोटिंग के आरोप लगातार लगते रहे हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक दर्जन से भी अधिक विशेषज्ञों से परामर्श करके भारत के सरकारी मौत-संक्रमण के आंकड़ों के साथ-साथ लार्ज स्केल एंटीबॉडी टेस्ट के नतीजों के विश्लेषण किया है और कोरोना से मौत एवं संक्रमण का अनुमान लगाया है। जो नतीजे आए हैं बेहद भयावह हैं।

इस विश्लेषण में भारत में कोरोना संक्रमितों और मौतों के वास्तविक आंकड़ों का अनुमान लगाने के लिए भारत में कराए गए तीन देशव्यापी एंटीबॉडी टेस्ट के नतीजों का इस्तेमाल किया गया। इन्हें सीरो सर्वे भी कहते हैं। तीनों सीरो सर्वे के अनुसार वास्तविक संख्या सरकारी आंकड़ों से 13.5 गुना से लेकर 28.5 गुना तक ज्यादा थी। इस विश्लेषण के नतीजे पर पहुंचने के लिए ‘कम से कम’ वाले स्थिति में वास्तविक संक्रमितों की संख्या को सरकारी आंकड़ों के 15 गुना माना गया है। यानी 24 मई 2021 तक अनुमानित वास्तविक संक्रमितों की संख्या 4.04 करोड़ होगी। इसी तरह ‘अधिक आशंका’ वाले स्थिति में यह 20 गुना जबकि ‘सबसे खराब स्थिति’ में 26 गुना ज्यादा माना गया है। इसका कारण है कि सीरो सर्वे में आए नतीजे यह बताते हैं कि वास्तविक संख्या सरकारी आंकड़ों से इस हद तक ज्यादा है।

अध्ययन में शामिल विशेषज्ञों  का कहना है कि ये सीरो सर्व तब के हैं जब दूसरी लहर नहीं आई थी। यानी न अब के सर्वे में संक्रमण कहीं ज्यादा मिलेंगे लेकिन फिर भी अगर तब के सर्वे को ही पैमाना मानें तो भारत की आधी आबादी संक्रमित हुई होगी। इसी तरह मौत के आंकड़ों के लिए कम से कम वाले स्थिति में इंफेक्शन से मृत्यु की दर (यानी संक्रमितों में से कितनों की मौत हुई) को 0.15 फीसद लिया गया, अधिक आशंका वाले स्थिति में 0.30 फीसद लिया गया, जबकि भारत के खस्ताहाल हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को देखते हुए सबसे खराब स्थिति में 0.6 फीसद लिया गया। 2020 के अंत में अमेरिका में इंफेक्शन से मृत्यु की दर 0.30 फीसद थी।

अध्ययन में शामिल विशेषज्ञों का कहना है कि भारत जैसे देश में सीरो सर्व के नतीजे भी वास्तविक स्थिति से कम हो सकते हैं। इसलिए ये भी संभव है वास्तविक संक्रमण और मौत का आंकड़ा सबसे खराब स्थिति में दर्शाए गए आंकड़े से भी ज्यादा हो। उच्च सर्विलांस वाले देशों में भी महामारी के दौरान असल में संक्रमित व्यक्तियों की संख्या सरकारी आंकड़ों से अधिक है। शुक्रवार को डब्लूएचओ ने अपनी रिपोर्ट में अनुमान लगाया कि कोरोना से हुई वैश्विक मौतों की वास्तविक संख्या रिपोर्ट की गई संख्या से लगभग 2 या 3 गुना ज्यादा है।

इस अध्ययन में डॉ. इंगविल्ड अल्मास, डॉ. मुराद बनजी,डॉ. टेसा बोल्ड, डॉ. सेलीन घिसोल्फी, डॉ. रामनन लक्ष्मीनारायण, डॉ. भ्रामण मुखर्जी, डॉ. पॉल नोवोसाद, डॉ. मेगन ओड्रिस्कॉल, डॉ. जेफरी शमन, डॉ. कायोको शिओडा, रुक्मिणी श्रीनिवासन और डॉ. डैन वेनबर्गर शामिल हैं।

एमोरी यूनिवर्सिटी की महामारी वैज्ञानिक कायोका शियोडा का कहना है कि भारत में अस्पताल भरे हुए हैं। कोरोना से कई मौतें घर पर हो रही हैं, खासकर ग्रामीण इलाकों में। ये मौतें आधिकारिक आंकड़ों से बाहर हो जाती हैं। भारत में ऐसी लैब्स की भी कमी है, जो मौत की सही वजह की पुष्टि कर सकें। कोविड-19 से पहले भी भारत में हर पांच में से चार मौतों की मेडिकल जांच नहीं की जाती थी।

विशेषज्ञों ने बेस्ट केस सिनैरियो के आधार पर माना कि कोरोना संक्रमण के जो आधिकारिक आंकड़े हैं उनसे 15 गुना ज्यादा संक्रमण फैला। संक्रमण से मृत्यु दर भी 0.15 फीसद मानी गई। इस आधार पर मौत के आंकड़े रिपोर्ट आंकड़ों से दोगुना मिले हैं। इस आधार पर विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया गया कि देश में 40.42 करोड़ लोग कोरोना संक्रमित हुए हैं और इससे 6 लाख लोगों की मौत हुई है।

अगर भारत में एक रिपोर्टेड केस से 20 लोगों को संक्रमण फैला और मौत की दर 0.30 फीसदी है तो इस केस में भारत में कोरोना से मौत के आंकड़े आधिकारिक संख्या से 5 गुना ज्यादा हैं। सेंटर फॉर डिजीज डायनमिक्स के डायरेक्टर डॉ. रमन लक्ष्मीनारायणन ने कहा कि भारत में इंफेक्शन और डेथ के आंकड़े कम गिने गए हैं। उनके मुताबिक इस संभावित स्थिति तक पहुंचने के लिए तीन अलग-अलग सोर्स से मिले डेटा का विश्लेषण किया गया है। इससे करीब 50-60 करोड़ लोगों के संक्रमित होने की बात सामने आई है।

इस स्थिति के लिए रिपोर्टेड केस से 26 गुना ज्यादा संक्रमण का अनुमान लगाया है। संक्रमण से मृत्यु की दर का अनुमान भी 0.60 फीसद रखा गया। ये अनुमान कोरोना की दूसरी लहर और देश की चरमरा चुकी स्वास्थ्य व्यवस्था को देखते हुए लगाया गया है। इस स्थिति में 70 करोड़ लोगों के संक्रमित होने और 42 लाख लोगों की मौत का अनुमान लगाया गया है। भारत में कोविड मरीजों की बताई जा रही संख्या से संक्रमण का शिकार होने वाले लोगों की असल संख्या करीब 13.5 से 28.5 गुना ज्यादा तक है।

यदि उत्तर प्रदेश का ही टेस्ट केस लिया जाए तो  सरकार के आंकड़ों में तस्वीर इतनी भयावह नजर नहीं आती जितना राज्य के श्मशानों और नदियों के किनारे लगी भीड़ खुद बयां कर रही है। देश में सबसे ज्यादा पांच कोरोना केस वाले राज्यों में यूपी भी है। सरकारी आंकड़ों के हिसाब से 20 मई तक कोरोना के कारण उत्तर प्रदेश में 19,209 लोगों की मौत हुई है जबकि तमिलनाडु ,महाराष्ट्र, कर्नाटक और दिल्ली में उससे कहीं ज्यादा मौतें। फिर इन राज्यों की पॉपुलेशन डेंसिटी और हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर की तुलना उत्तर प्रदेश से करने पर लगता है कि उत्तर प्रदेश सरकार वाकई कमाल कर रही है।

दरअसल 26 अप्रैल को जब उत्तर प्रदेश में कोरोना का पीक आया तो उस दिन उसकी पॉजिटिविटी रेट 19.3 फीसद थी, जो कि महाराष्ट्र के पीक वाले दिन से 9.7 फीसद कम, कर्नाटक से 20.4 फीसद  कम, केरल से 10.4 फीसद कम, तमिलनाडु से 1.9 फीसद कम और भारत से 6 फीसद कम थी।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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