Friday, April 26, 2024

गोरखपुर यूनिवर्सिटी में परीक्षा देने आई दलित छात्रा का संदिग्ध परिस्थितियों में फांसी के फंदे पर टंगा मिला शव

दलित छात्रों के उत्पीड़न के लिये बदनाम दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (डीडीयू) में कल शनिवार को सुबह परीक्षा देने आई बीएसएसी होम साइंस की छात्रा की शनिवार दोपहर विवि के होमसाइंस डिपार्टमेंट के स्टोर में फंदे से लटकती लाश मिलने के बाद दलित समुदाय में रोष है। पोस्ट मार्टम रिपोर्ट अभी नहीं आयी  है लिहाजा मौत की वजह अभी तक सामने नहीं आई है। 

20 वर्षीय मरहूम छात्रा प्रियंका पुत्री विनोद कुमार गुलरिहा थाना क्षेत्र के शिवपुर साहबाजगंज पोखरो टोला निवासी थी। प्रियंका गोरखपुर यूनिवर्सिटी में बीएससी होम साइंस तृतीय वर्ष की छात्रा थी। शनिवार को सुबह नौ बजे से दीक्षा भवन में प्रियंका की परीक्षा थी। सुबह 10.30 बजे परीक्षा देकर वह बाहर निकली। दोपहर 12 बजे होम साइंस डिपार्टमेंट के शौचालय की तरफ गई। कुछ देर बाद अन्य छात्राओं ने स्टोर रूम के पास गैलरी में फंदे से उसकी लटकती हुई लाश देखी और शोर मचाते हुए विभागाध्यक्ष डॉ. दिव्यारानी के पास पहुंचीं। विभागाध्यक्ष ने चीफ प्रॉक्टर व कैंट पुलिस को घटना की जानकारी दी।

शिक्षकों की सूचना पर फोरेंसिक टीम के साथ पहुंची कैंट पुलिस मामले की छानबीन कर रही है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रा के खुदकुशी करने की बात कही है। वहीं पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद मौत की वजह स्पष्ट होगी।

विश्वविद्यालय परिसर में युवती की खुदकुशी करने की सूचना पर एसएसआई कैंट प्रवींद्र राय और फोरेंसिक टीम मौके पर पहुंची तो टेबल पर एक पर्स पड़ा मिला। उसमें बीएससी होमसाइंस तृतीय वर्ष का प्रश्न पत्र, आधार कार्ड, मोबाइल नंबर आदि था। पहचान होने पर पुलिस ने घर वालों को सूचना दी। छात्रा के पिता विनोद ने पुलिस को बताया कि सुबह बिना भोजन किए ही वह परीक्षा देने आई थी। घर में सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था। खुदकुशी की वजह मालूम नहीं है। एसपी सिटी सोनम कुमार ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रा की खुदकुशी की जानकारी दी है। सभी बिंदुओं पर जांच चल रही है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद मौत की वजह स्पष्ट होगी।

2018 में एक दलित शोध छात्र दीपक ने भी कैंपस में जातीय उत्पीड़न से तंग आकर आत्महत्या कर लिया था। हालांकि तत्काल मेडिकल सुविधा मिल जाने से दीपक की जान बच गयी थी। दीपक कुमार बताते हैं कि मेरे मामले में सरकार और यूनिवर्सिटी प्रशासन ने मिलकर लीपापोती करके पूरे मामले को दबा दिया था। इस मामले में भी यही सब हो रहा है। यहां इस यूनिवर्सिटी कैम्पस में दलित का उत्पीड़न होता है, लेकिन उसे कभी न्याय नहीं मिलता। न्याय के सवाल पर यूनिवर्सिटी प्रशासन सरकार और पुलिस तीनों एक साथ दलित के ख़िलाफ़ खड़े हो जाते हैं। 

पुलिस थियरी पर सवाल 

यूनिवर्सिटी के एक शोध छात्र प्रियंका की आत्महत्या की पुलिस थियरी पर सवाल उठाते हुये कहते हैं कि प्रियंका को आत्महत्या ही करनी थी तो अपने घर पर करती उसे आत्महत्या करने के लिये यूनिवर्सिटी आने के ज़रूरत नहीं थी। 

वहीं मरहूम छात्रा प्रियंका के पिता कहते हैं कि उसके दोनों पैर ज़मीन पर सटे हुये थे। उसकी कलाई से घड़ी ग़ायब थी। उसका गला कसा हुआ था, जबकि आत्महत्या के लिये फंदा बनाकर गले में डाला जाता है। 

ऐसे आत्महत्या होती है क्या? वो कहते हैं उनकी बेटी के साथ कुछ न कुछ गड़बड़ ज़रूर हुआ है। 

मरहूम प्रियंका की बहन बताती हैं कि प्रियंका का किसी से कोई झगड़ा या विवाद नहीं था। वो बहुत सीधी सादी और पढ़ाई पर फोकस करने वाली लड़की थी। घर वालों ने कभी उसे खड़े लहजे में कुछ नहीं कहा। वो घर की सबसे प्यारी बेटी थी।

छात्रों का कहना है कि प्रियंका के साथ कुछ गलत करने के बाद हत्या की गयी है। गोरखपर पुलिस और यूनिवर्सिटी प्रशासन और सरकार सब मिलकर इसे आत्महत्या साबित करके मामले को दबाना चाहते हैं। 

परीक्षा ड्यूटी कर रहे एक शिक्षक बताते हैं कि हमने लाश क़रीब से देखी है। ये कहीं से भी आत्महत्या नहीं लग रही है। परीक्षा बगल के दीक्षा भवन में हो रही थी। जब सारे डिपार्टमेंट बंद थे, तो होम साइंस विभाग का स्टोर रूम क्यों खुला था। यूनिवर्सिटी और विभाग बंद था स्टोर रूम क्यों खुला था? जब विभागाध्यक्ष नहीं था तो विभाग क्यों खुला? जबकि न वहां कोई बाबू था न कोई गार्ड। तो वहां तक वो लड़की गई कैसे? तमाम प्रश्न खड़े हो रहे हैं जिसका जवाब पुलिस प्रशासन और यूनिवर्सिटी प्रशासन दोनों को तलाशना होगा।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।) 

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles