Friday, April 19, 2024

पंजाब में बिजली संकट बना सियासी मुद्दा

पंजाब में चौतरफा बिजली संकट गहराया हुआ है। बिजली-पानी के हालात दिन-प्रतिदिन संगीन हो रहे हैं। ऐसे में यह मसला अब सियासी मुद्दा बन गया है। विपक्ष के साथ-साथ किसान और कारोबारी भी राज्य सरकार को घेर रहे हैं। यहां तक कि नवजोत सिंह सिद्धू ने भी इस मामले में अपनी सरकार पर निशाना साधा है। जबकि मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी मौजूदा संकट के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार बता रहे हैं और लगातार दोहरा रहे हैं कि इस संकट को किसी भी तरह से यथाशीघ्र हल कर लिया जाएगा।

बिजली संकट के लिए पहले पहल कांग्रेस की प्रधानगी से इस्तीफा देने वाले नवजोत सिंह सिद्धू ने चन्नी और पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को जिम्मेदार ठहराया था। अब शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल भी राज्य सरकार पर हमलावर हैं। एक तरह से सिद्धू के साथ सहमत होते हुए छोटे बादल ने कहा कि समय रहते राज्य सरकार ने कोयले का भंडारण नहीं किया। वरिष्ठ नेता सुखदेव सिंह ढींडसा की अगुवाई वाले संयुक्त शिरोमणि अकाली दल ने भी अलग से मोर्चा खोल दिया है। संयुक्त शिरोमणि अकाली दल परमिंदर सिंह ढींडसा के नेतृत्व में बुधवार को पटियाला स्थित पावरकॉम के मुख्यालय के सामने धरना देगा। इस धरने में पार्टी के तमाम नेताओं तथा कार्यकर्ताओं को शरीक होने के लिए कहा गया है। शिरोमणि अकाली दल और संयुक्त शिरोमणि अकाली दल का आरोप है कि बिजली उत्पादन के लिए कोयले का पर्याप्त स्टॉक न रखकर पंजाब सरकार ने लोगों के प्रति लापरवाह और गैरजिम्मेदाराना रवैया दिखाया है।

आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता अमन अरोड़ा ने बिजली संकट के लिए राज्य सरकार को किसी हद तक कसूरवार बताते हुए कहा कि चन्नी सरकार अतिरिक्त सावधानी से काम लेती तो बिजली संकट इस कदर न गहराता। हालांकि तमाम विपक्षी दल बिजली संकट के सवाल पर केंद्र सरकार को भी घेर रहे हैं। राज्य सरकार भी बदस्तूर कह रही है कि केंद्र की ओर से बावक्त और समझौतानुसार कोयले की आपूर्ति न होने के चलते बिजली संकट ज्यादा गहराया। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी लगातार कोयला मंत्री के संपर्क में हैं। मुख्यमंत्री का कहना है कि सरकार सूबे में बिजली की कमी नहीं होने देगी। केंद्र से कोयले की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है।

उधर, पंजाब के किसान और कारोबारी बिजली संकट को लेकर सड़कों पर आंदोलनरत हैं। किसान रोज नेशनल हाईवे पर धरना देकर यातायात ठप कर रहे हैं। इससे कई-कई किलोमीटर लंबे जाम लग जाते हैं। भारतीय किसान यूनियन के जिला जालंधर प्रधान मनदीप समरा का कहना है कि पंजाब सरकार किसानों को पर्याप्त बिजली उपलब्ध नहीं करवा रही है। जिसकी वजह से किसानों को फसल की बिजाई और खेत में खड़ी फसल की कटाई में भारी दिक्कत हो रही है। विरोध प्रदर्शनों के सिलसिले में भारतीय किसान यूनियन एकता (उगरहां) और भारतीय किसान यूनियन एकता (डकौंदा) की अगुवाई में, खेती-बाड़ी मोटरों के लिए पर्याप्त बिजली सप्लाई ना मिलने के विरोध में बड़ी तादाद में किसानों ने पटियाला स्थित पावरकॉम मुख्यालय का घेराव किया और धरना दिया। किसान नेता मनजीत सिंह न्याल के मुताबिक धान की फसलों को इस समय आखिरी पानी की सख्त जरूरत है।

लेकिन छह घंटे बिजली सप्लाई के वादे के बावजूद किसानों को मुश्किल से तीन घंटे सप्लाई मिल रही है। जिस वजह से पकी फसलों के खराब होने का खतरा पैदा हो गया है। कारोबारी भी सड़कों पर हैं। लुधियाना और अमृतसर सहित कई शहरों में बिजली बोर्ड का पुतला फूंक प्रदर्शन जारी है। पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल ने बिजली संकट के मद्देनजर सरकार को दो टूक चेतावनी दी है कि 3 दिन के अंदर समाधान न निकला तो मंत्रियों, विधायकों और सांसदों का घेराव किया जाएगा। व्यापार मंडल के राज्य महासचिव सुनील मेहरा का कहना है कि सरकार अघोषित बिजली कट लगा रही है जिससे व्यापारिक जगत में असंतुलन पैदा हो गया है।

त्योहारी सीजन के चलते इंडस्ट्री को ज्यादा बिजली की दरकार है। करोना के चलते व्यापारी पहले ही घोर मंदी की चपेट में थी, अब त्योहारों के सीजन में उस मंदिर से उभरने की आस बंधी थी लेकिन बिजली संकट उम्मीदों पर पानी फेर रहा है। मेहरा का कहना है कि पंजाब के दुकानदारों को रोज 5000 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। राज्य सरकार को इस बाबत भी पैकेज घोषित करना चाहिए। जो हो, आने वाले दिनों में बिजली संकट और ज्यादा गहराता है तो यकीनन इस पर सियासत का पारा भी चढ़ेगा।

(पंजाब से वरिष्ठ पत्रकार अमरीक सिंह की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

AIPF (रेडिकल) ने जारी किया एजेण्डा लोकसभा चुनाव 2024 घोषणा पत्र

लखनऊ में आइपीएफ द्वारा जारी घोषणा पत्र के अनुसार, भाजपा सरकार के राज में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है और कोर्पोरेट घरानों का मुनाफा बढ़ा है। घोषणा पत्र में भाजपा के विकल्प के रूप में विभिन्न जन मुद्दों और सामाजिक, आर्थिक नीतियों पर बल दिया गया है और लोकसभा चुनाव में इसे पराजित करने पर जोर दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 100% ईवीएम-वीवीपीएटी सत्यापन की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने EVM और VVPAT डेटा के 100% सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर निर्णय सुरक्षित रखा। याचिका में सभी VVPAT पर्चियों के सत्यापन और मतदान की पवित्रता सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया। मतदान की विश्वसनीयता और गोपनीयता पर भी चर्चा हुई।

Related Articles

AIPF (रेडिकल) ने जारी किया एजेण्डा लोकसभा चुनाव 2024 घोषणा पत्र

लखनऊ में आइपीएफ द्वारा जारी घोषणा पत्र के अनुसार, भाजपा सरकार के राज में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है और कोर्पोरेट घरानों का मुनाफा बढ़ा है। घोषणा पत्र में भाजपा के विकल्प के रूप में विभिन्न जन मुद्दों और सामाजिक, आर्थिक नीतियों पर बल दिया गया है और लोकसभा चुनाव में इसे पराजित करने पर जोर दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 100% ईवीएम-वीवीपीएटी सत्यापन की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने EVM और VVPAT डेटा के 100% सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर निर्णय सुरक्षित रखा। याचिका में सभी VVPAT पर्चियों के सत्यापन और मतदान की पवित्रता सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया। मतदान की विश्वसनीयता और गोपनीयता पर भी चर्चा हुई।