Saturday, April 20, 2024

15 दिन में चार एंटीवायरल दवाइयों को आपातकालीन मंजूरी!

देश में पिछले 15 दिन में चार एंटीवायरल दवाइयों 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी), क्लेवीरा, वीराफिन व बैरिसिटनिब को आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दी गयी है। गौरतलब है कि कोरोना मरीजों के इलाज के लिए प्रयुक्त की जा रही मौजूदा दो एंटीवायरल दवाइयों Fabiflu b Remdesvir और टोसीलिज़ुमाब जैसी कोरोनो वायरस दवाओं की भारी कमी झेल रहा है। कई गुना महँगे दामों में इन दवाइयों की कालाबाज़ारी हो रही है, साथ ही बाज़ार में बड़ी मात्रा में इनकी नकली खेप भी खपाई जा रही है। ऐसे में क्या सरकार ने सिर्फ़ एंटीवायरल दवाइयों की शॉर्टेज से पैदा हुये राजनीतिक दबाव को कम करने के लिए पिछले 15 दिन में चार एंटीवायरल दवाइयों को आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दी है।

8 मई को 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) को मंजूरी
8 मई को ड्रग कंट्रोलर जनलर ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने कोविड-19 से संक्रमित गंभीर रोगियों के लिए इलाज के लिए 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) दवा के आपातकालीन उपयोग की अनुमति दी है।

इस दवा का निर्माण रक्षा अनुसंधान और विकास संस्थान (डीआरडीओ) की लैब इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलायड साइंसेज ने डॉ. रेड्डी लैब हैदराबाद के साथ मिलकर किया है। डीआरडीओ का दावा है कि क्लिनिकल ट्रायल में सामने आया है कि यह दवा अस्पताल में भर्ती मरीजों को तेजी से रिकवर करने में मदद करती है और मरीज की ऑक्सीजन पर निर्भरता को भी कम करती है।

2-डीजी के साथ जिन रोगियों का इलाज किया गया उनका जब आरटी-पीसीआर किया गया तो बड़ी संख्या में रिपोर्ट निगेटिव आई। दवा के असर के ट्रेंड की बात करें तो 2-डीजी से इलाज किए गए मरीजों में तेजी से रोग के लक्षण में भी कमी देखी गई।

यह दवा ओआरएस घोल की तरह ही पाउडर के रूप में है और छोटे-छोटे सैशे में उपलब्ध कराई जाएगी। इसे पानी में मिलाकर मरीज को पिलाया जाएगा। इसके अणु वायरस संक्रमित कोशिकाओं में जमा हो जाते हैं जहां यह वायरल संश्लेषण और ऊर्जा उत्पादन को रोक कर वायरस को आगे बढ़ने से रोक देते हैं।

इस दवा के लिए कोशिश अप्रैल 2020 में कोविड-19 की पहली लहर के दौरान ही शुरू कर दी गई थी। आईएनएमएएस-डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) हैदराबाद की मदद से प्रयोगशाल में दवा को लेकर रिसर्च शुरू की और पाया कि यह कोविड-19 वायरस के खिलाफ प्रभावी रूप से काम करती है।

इन परिणामों के आधार पर डीसीजीआई ने सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) को मई 2020 में कोविड-19 के मरीजों को क्लिनिकल ट्रायल के दूसरे चरण की अनुमति दे दी। मई से अक्टूबर 2020 तक चले दूसरे चरण के ट्रायल में दवा को कोविड-19 मरीजों पर सुरक्षित पाया गया। साथ ही मरीजों में रिकवरी भी देखी गई।

डीसीजीआई ने नवंबर 2020 में तीसरे चरण के ट्रायल को मंजूरी दी। दिसंबर 2021 से मार्च 2021 के दौरान किए गए तीसरे चरण में 220 रोगियों पर दवा का परीक्षण किया गया। ट्रायल के लिए दिल्ली, यूपी, पश्चिम बंगाल, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु के मरीज शामिल किये गये।

गठिया की दवा ‘बैरिसिटनिब’ को मिली मंज़ूरी
ड्रग कंपनी Natco Pharma की दवा Baricitinib टैबलेट को भारत में कोविड मरीजों के इलाज के लिये इमरजेंसी में इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई है। गौरतलब है कि इस दवा को रूमेटाइड अर्थराइटिस (संधिवात गठिया) के इलाज के लिए निर्मित किया गया था। कंपनी ने एक रेगुलेटरी फाइलिंग में कहा कि Natco फार्मा लिमिटेड को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई है। कंपनी ने बताया कि Baricitinib टैबलेट के 1mg, 2mg और 4mg को भारत में सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) से इज़ाज़त मिल गई है। कंपनी के मुताबिक, Baricitinib को Remdesivir के साथ कोविड-19 पॉजिटिव मरीजों के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है।

दवा विनिर्माता कंपनी सिप्लास सनफार्मास्युटिकल्स, ल्युपिन लिमिटेड ने अमेरिका की एली लिली एंड कंपनी के साथ देश में कोविड-19 के इलाज में उपयोगी दवा बार्सिक्टिनिब को बनाने और बेचने के लिए एक समझौता किया है।

सिप्ला कंपनी ने 10 मई को बताया कि उसने बार्सिक्टिनिब के लिए एली लिली के साथ एक रॉयल्टी-मुक्त, गैर-विशेष स्वैच्छिक लाइसेंसिंग समझौता किया है।

नवंबर 2020 में साइंसेज एडवांसेज नामक पत्रिका में कोरोना के इलाज से संबंधित एक शोध रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें यह दावा किया गया है कि बैरीसिटनिब दवा कोरोना से संक्रमित बुजुर्ग मरीजों की मौत के जोखिम को घटा सकती है। इस दवा का इस्तेमाल रूमेटाइड अर्थराइटिस (संधिवात गठिया) के इलाज में किया जाता है। इस नए शोध को कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में एक अहम हथियार माना जा रहा है।

डेंगू दवा ‘क्लेवीरा’ का इस्तेमाल कोविड मरीजों पर करने को आयुष मंत्रालय ने दी मंजूरी
इससे पहले 30 अप्रैल को आयुष मंत्रालय के नियामकों द्वारा ‘क्लेवीरा’ को मंजूरी दी गयी थी। साल 2017 में डेंगू के इलाज के लिए विकसित की गई एंटी वायरल दवा ‘क्लेवीरा’ को कोरोना वायरस से संक्रमित हल्के और मध्यम लक्षणों वाले मरीजों के इलाज में सहायक उपचार के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। इस दवा के निर्माता ऐपेल्क्स लेबोरेट्रीज प्राइवेट लिमिटेड है।

क्लेविरा एक एंटीवायरल दवा है, जिसे शुरू में डेंगू के इलाज के लिए विकसित किया गया था, लेकिन अब इसकी निर्माता कंपनी अपेक्स लैबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड ने कहा है कि इसे कोरोना के हल्के और मध्यम लक्षणों वाले मरीजों के इलाज में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। यह दवा तब प्रभावी है, जब इसकी एक गोली दिन में दो बार खाने के बाद 14 दिनों तक लिया जाए। कंपनी के मुताबिक यह दवा लीवर और किडनी के लिए भी सुरक्षित पाई गई है।

चेन्नई स्थित इस कंपनी की ओर से कहा गया है कि एंटीवायरल फॉर्मुलेशन क्लेविरा को हल्के और मध्यम कोविड-19 के मामलों में इलाज के लिए रेगुलेटरी की मंजूरी मिल गई है। कंपनी ने यह भी बताया है कि क्लेविरा को 2017 में डेंगू के मरीजों के इलाज के लिए विकसित किया गया था। पिछले साल जब देश में कोविड-19 के केस बढ़ रहे थे, तब इसे कोरोना वायरस के हल्के और मध्यम लक्षणों के लिए सह उपचार के तौर पर रखा गया। यह प्रोडक्ट पूरे भारत में उपलब्ध है और इसकी एक टैबलेट की कीमत 11 रुपये है। कंपनी का कहना है कि पिछले साल मई-जून में 100 लोगों पर इसका क्लिनिकल ट्रायल किया गया और परिणाम प्रॉमिसिंग थे।

कंपनी का कहना है कि काफी गहरी पड़ताल और छानबीन के बाद इस दवा को हल्के और मध्यम लक्षण वाले कोरोना मरीजों के सहायक इलाज के लिए मंजूरी मिली है। यह मंजूरी आयुष मंत्रालय के रेगुलेटरों ने दी है, जो देश में इस प्रकार की पहली मंजूरी है। इसके अलावा केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान शोध परिषद और इंटरडिसिप्लिनरी टेक्निकल रिव्यू कमेटी ने भी इसकी छानबीन की है। कंपनी के इंटरनेशनल बिजनेस के मैनेजर सी अर्थर पॉल ने कहा है कि क्लेविरा लीवर और किडनी से जुड़े रोगों से पीड़ित मरीजों के लिए भी हर तरह से सुरक्षित है और इसे दूसरी दवाओं के साथ सेवन से भी कोई नुकसान नहीं है। उनके मुताबिक यह दवा दो साल से लेकर हर उम्र तक के मरीजों को दी जा सकती है।

जायडस कंपनी का नया एंटीवॉयरल Virafin को मिली मंजूरी
इससे पहले 23 अप्रैल को दवा नियामक ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने Zydus Cadila कंपनी निर्मित एंटी वायरल दवा वीराफिन को मंजूरी दी थी। दवा नियामक ने Virafin को कोरोना संक्रमण के मॉडेरेट केसेज में आपातकालीन प्रयोग को मंजूरी (ईयूए) दिया था।

वीराफिन को मूल रूप से हेपेटाइटिस सी के चलते लीवर से जुड़ी बीमारियों के इलाज के लिए अप्रूव किया गया था और इसे 10 साल पहले लांच किया गया था। यह एंटी-वायरल दवा बनाने वाली कंपनी जायडस कैडिला का दावा है कि इसके इस्तेमाल से कोरोना संक्रमित मरीजों की आरटी-पीसीआर रिपोर्ट सात दिन में निगेटिव आई है। इसके अलावा मरीजों को सप्लीमेंटल ऑक्सीजन की ज़रूरत भी कम हुई है यानी कि उन्हें कम देर तक सप्लीमेंट ऑक्सीजन देने की ज़रूरत पड़ी।

दवा कंपनी ने जानकारी दी है कि पेगीलेटेड इंटरफेरोन अल्फा-2बी (पेगआईएफएन) वीराफिन सिर्फ चिकित्सकीय विशेषज्ञों द्वारा सुझाए गए प्रिस्क्रिप्शन पर ही उपलब्ध होगी और इसे इंस्टीट्यूशनल सेटअप्स या हॉस्पिटल के यूज के लिए बनाया गया है यानी कि यह दवाई अस्पतालों में उपलब्ध होगी।

मलेरिया की दवा आयुष 64 से होगा कोरोना संक्रमण का इलाज?
आयुष मंत्रालय ने वैज्ञानिकों के हवाले से आयुर्वेदिक दवा आयुष-64 पर बड़ा दावा किया है कि कोविड-19 के इलाज में मानक चिकित्सा के सहायक के तौर पर दवा फायदेमंद साबित हो रही है। गौरतलब है कि 1980 में मलेरिया के इलाज के लिए दवा को विकसित किया गया था और अब कोविड-19 के इलाज में फिर शामिल की जा रही है।

आयुष-64 कोरोना संक्रमण के एसिम्पटोमैटिक, हल्के और मध्यम लक्षण के इलाज में इस्तेमाल की जा सकती है। 5 मई गुरुवार को आयुष मंत्रालय ने इसकी सिफारिश की। आयुष में नेशनल रिसर्च प्रोफेसर भूषण पटवर्धन ने ऑनलाइन प्रेस को संबोधित करते हुए कहा, “उसमें सूजन रोधी और एंटी वायरल गुण हैं जो कोविड-19 और फ्लू जैसी बीमारी से लड़ सकते हैं। सेंटर फोर रूमेटिक डिजीज, पुणे के डायरेक्टर अरविंद चोपड़ा ने मीडिया को बताया कि इस सिलसिले में दवा का परीक्षण तीन केंद्रों पर किया गया था।

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ, दत्ता मेघा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, वर्धा और बीएमडी कोविड सेंटर, मुंबई में मानव परीक्षण के लिए हर जगह 70 प्रतिभागियों को शामिल किया गया। अरविंद चोपड़ा ने बताया कि जिन मरीजों को आयुष-64 दवा का इस्तेमाल कराया गया, उनकी जांच रिपोर्ट साढ़े छह दिन में निगेटिव आ गई, जबकि जिन लोगों को दवा नहीं खिलाई गई, उनके रिकवर होने में 8.3 दिन का समय लगा। हालांकि, इलाज के दौरान जिन मरीजों को रोजाना दो बार टैबलेट दिए जाते थे, उनको सलाह दी गई थी कि RT-PRC रिपोर्ट के निगेटिव आने के बाद दो से तीन सप्ताह तक टैबलेट लेना जारी रखें।

चोपड़ा के मुताबिक, रिसर्च में पाया गया कि आयुष 64 के असर से चिंता, तनाव, थकान में कमी हुई और भूख बढ़ी। दवा का स्पष्ट लाभकारी प्रभाव आम स्वास्थ्य, खुशी और नींद पर भी देखा गया। दवा के परीक्षण ने पर्याप्त सबूत उपलब्ध कराए कि आयुष 64 को प्रभावी और सुरक्षित तरीके से मानक इलाज के सहायक के तौर पर कोविड-19 के हल्के से लेकर मध्यम लक्षणों में दी जा सकती है। अधिकारी ने हालांकि ये भी कहा कि आयुष-64 दवा के मरीजों को अभी भी मॉनिटरिंग करने की ज़रूरत होगी।

बिना ट्रायल के विदेशी वैक्सीनों को मिली मंजूरी
अभी तक ‘कोवैक्सिन’ और ‘कोविशील्ड’ के बूते उछल रही और विदेशी वैक्सीन की ज़रूरत नहीं पड़ेगी जैसे जुमले उछाल रही भारत सरकार ने हाल के दिनों में विदेशी वैक्सीनों को बिना ट्रायल ही मंजूरी दे दी है। 15 अप्रैल को गुरुवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने विदेश में उत्पादन की गई कोविड-19 वैक्सीन के लिए रेगुलेटरी रास्ते जारी किए हैं, जिसके मुताबिक CDSCO ने विदेश में मंजूरी प्राप्त कोविड-19 वैक्सीन की मंजूरी के लिए रेगुलेटरी रास्ता बताने वाली विस्तृत गाइडलाइंस को तैयार किया है। सरकार ने 13 अप्रैल को उन कोविड-19 वैक्सीन के रेगुलेटरी सिस्टम की स्ट्रीमलाइनिंग और फास्ट ट्रैकिंग को मंजूरी दी थी, जिन्हें US FDA, EMA, UK MHRA, PMDA जापान से प्रतिबंधित इस्तेमाल के लिए मंजूरी मिली है या वे इमरजेंसी यूज लिस्टिंग (EUL) में लिस्टेड हैं।

13 मई को आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मिलने के बाद रूस का स्पुतनिक-V 1.5 लाख डोज की पहली खेप 4 मई को भारत के हैदराबाद पहुंची।  

दुनिया में सबसे पहले कोरोना वैक्सीन बनाने वाली दवा कंपनियों में शामिल फाइज़र ने कहा है कि भारत में उसकी वैक्सीन को जल्द ही मंजूरी मिलने की उम्मीद है। अमेरिकी कंपनी ने जानकारी दी है कि वह अपनी वैक्सीन को जल्द से जल्द मंजूरी दिलाने के लिए भारत सरकार से बात कर रही है। कंपनी ने आज ही यह एलान भी किया है कि वह भारत में कोरोना विस्फोट पर काबू पाने में मदद के लिए अपनी तरफ से करीब 7 करोड़ डॉलर यानी 510 करोड़ रुपये से ज्यादा मूल्य की दवाएं मुफ्त भेज रही है।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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