Friday, March 29, 2024

बीजेपी की रिश्वतखोर संस्कृति ने ली फिरोजाबाद में 46 मासूमों की जान

उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में लगातार मरते बच्चों की हालत का जायजा लेने के लिए आगरा के मंडलायुक्त ने जिले का दौरा किया और मुख्य चिकित्साधिकारी से मिलकर मामले की जानकारी ली। फिरोजाबाद की मुख्य चिकित्साधिकारी के अनुसार फिरोजाबाद में डेंगू से स्थिति इतनी बदतर हो चुकी है कि ‘उनके पास भी संक्रमित और मरने वालों की संख्या के बारे में सही-सही आँकड़ा उपलब्ध नहीं है।’ वहाँ के स्थानीय विधायक के अनुसार ‘डेंगू के इस भयावह कहर के लिए पूर्णरूप से फिरोजाबाद का नगर निगम जिम्मेदार है, क्योंकि इस साल न तो फिरोजाबाद की बजबजाती नालियों की ढंग से सफाई हुई, न समुचित फॉगिंग की गई, न एंटीलार्वा रसायन का छिड़काव नालियों में भरे सड़ते पानी में डाला गया, जबकि राजधानी लखनऊ से इन कामों के लिए फिरोजाबाद नगर निगम को करोड़ों रूपये दिए गए थे।’ 

इसका मतलब पूरा फिरोजाबाद शहर बजबजाती, सड़ती, गंदी नालियों से अंटा पड़ा है। यहां पीपल नगर, ऐलान नगर,चंदवार गेट, आजाद नगर, महावीर नगर, नारखी, भगवान नगर, नंगला-अमान, ओमनगर, नई आबादी, सुदामा नगर आदि की गलियों और नालियों में बदबूदार, गंदा, सड़ा, बजबजाता पानी भरा हुआ है, जो विभिन्न प्रकार के मच्छरों के पनपने, अंडे देने और अपनी अरबों की संख्या वृद्धि करने के लिए सबसे उपयुक्त और पसंदीदा जगह है। उन्हीं नालियों में अब तक 46 बच्चों की तथा 7 वयस्कों की जान लेने वाला और भविष्य में पता नहीं और कितने और किशोर और वयस्क जिंदगियों की बलि लेने वाला यह डेंगू मच्छर भी पनपा है। गौरतलब है कि फिरोजाबाद में यह डेंगू का कहर ग्रामीण क्षेत्रों में अपेक्षाकृत बहुत कम है, इसका मुख्य कहर शहरी क्षेत्र के उक्त वर्णित कॉलोनियों के बच्चों पर ही पड़ा है।

फिरोजाबाद में इस जान लेवा डेंगू बुखार के कहर बरपा होने से नन्हें-मुन्नों की मौत के तांडव की शुरूआत बीते अगस्त के प्रथम सप्ताह से मक्खन पुर क्षेत्र से शुरू हो चुका था, जिसमें उन्हें तेज बुखार आना, गला अवरूद्ध हो जाना,पेट में दर्द उठना, लिवर का काम करना बंद कर देना, रक्त में अचानक प्लेटलेट्स का अत्यधिक कमी हो जाने आदि भयावह लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं, लेकिन दुःखद रूप से फिरोजाबाद नगर निगम का भ्रष्ट और करोड़ों रुपये डकार जाने वाला पूरा का पूरा रिश्वतखोर अमला शुतुरमुर्ग की तरह रेत में अपना मुँह छिपा कर बैठा रहा और वहाँ का स्वास्थ्य विभाग भी अपनी कुम्भकरणी नींद में चैन से सोता रहा। डेंगू के इस जानलेवा कहर को अगर अगस्त के प्रथम सप्ताह में मक्खनपुर क्षेत्र में फैलते ही सक्रिय तरीके से रोक लिया जाता तो संभवतया इतनी बड़ी संख्या में हमारे देश के भावी नागरिक ये किशोर अपने जीवन से सदा के लिए हाथ नहीं धोते।

फिरोजाबाद की इस अति दुःखद घटना में जले पर नमक छिड़कने का काम उत्तर प्रदेश के मठाधीश मुख्यमंत्री ने किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वह अपने उड़नखटोले से लखनऊ से फिरोजाबाद उतरकर सिर्फ अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की एक औपचारिकता निभाने के लिए सार्फ 15 मिनट वहाँ के एक अस्पताल में रूके और उसके बाद मथुरा में कृष्ण जन्माष्टमी के रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनन्द लेने के लिए तुरंत फुर्र हो गए। यह असंवेदनशीलता, अशिष्टता, फूहड़ता, अमानवीयता, दरिंदगी और क्रूरता की इंतहां है। जहाँ प्रशासनिक बदइंतजामी, कर्तव्यहीनता और रिश्वतखोर अपसंस्कृति की वजह से एक तरफ इतनी बड़ी संख्या में बच्चों की मौत हो रही हो और दूसरी तरफ वहाँ का प्रशासक रंग-विरंगे, प्रोग्राम देखने में व्यस्त हो जाता हो। जनमाष्टमी का त्योहार तो हर साल आता ही रहता है, क्या मुख्यमंत्री का यह दायित्व नहीं बनता था कि फिरोजाबाद नगर निगम और वहाँ के स्वास्थ्य विभाग के घोर लापरवाह, भ्रष्ट व रिश्वतखोरी में संलिप्त कर्मचारियों, अधिकारियों, डॉक्टरों आदि को कठोरतम् चेतावनी व दंड देते।

क्या उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के केवल 15 मिनट के लिए फिरोजाबाद आने से वहाँ की बजबजाती कालोनियों की नालियां साफ हो गईं ? या अगले साल इस दुःस्वप्निल भयावहतम् स्थिति की पुनरावृत्ति नहीं होगी इसकी गारंटी मिल गई ? अब इस सड़ी-गली व्यवस्था की पोषक सरकार को ही उखाड़ फेंकने का समय आ गया है। आखिर इस देश की जनता इतनी निस्तेज व मुर्दा कैसे हो गई है। क्या फिरोजाबाद के लोगों का यह अभीष्ट और पावन कर्तव्य नहीं था कि वह उड़नखटोले से आए मुख्यमंत्री से पूछते कि ‘मुख्यमंत्री साहब जी ! क्या सिर्फ 15 मिनट में हमारे बच्चों के नगर निगम के भ्रष्टाचारी, रिश्वतखोर, कातिलों को उनके किए का दंड मिल गया ? हमारे बच्चों का जीवन बचाना तुम्हारा प्रथम संसदीय, लोकतांत्रिक व न्यायोचित्त तथा मानवोचित कर्तव्य है, जन्माष्टमी का रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम देखना बिल्कुल गौण चीज है। ‘ लेकिन यह गुरूगंभीर प्रश्न इन असहिष्णु, क्रूर, असंवेदनशील शासकों से पूछना ही अब बंद हो गया है, अपराध हो गया है। और यही इस देश, यहाँ के समाज की सभी समस्याओं की मुख्य जननी और जड़ है।

(निर्मल कुमार शर्मा पर्यावरणविद और स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

  

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