Thursday, March 28, 2024

सरकार ने ट्विटर के बयान को भारत को बदनाम करने की कोशिश बताया

ट्विटर के बयान की निंदा करते हुये केंद्र सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने बयान जारी करके कहा है कि- “ट्विटर का यह बयान दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र पर अपनी शर्तें थोपने की कोशिश है। ट्विटर अपने कार्यों और जानबूझकर अवज्ञा के माध्यम से, भारत की कानूनी प्रणाली कमजोर करना चाहता है। 

सरकार ने कहा है कि ट्विटर को फालतू की बहानेबाजी बंद करने और देश के क़ानूनों का पालन करने की ज़रूरत है। क़ानून बनाना और नीति बनाना संप्रभु का एकमात्र विशेषाधिकार है और ट्विटर सिर्फ़ एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है और यह तय करने का कोई अधिकार नहीं है कि भारत का कानूनी नीति ढांचा क्या होना चाहिए। 

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि- “सरकार ने आश्वासन दिया कि ट्विटर सहित सोशल मीडिया कंपनियों के प्रतिनिधि भारत में हमेशा सुरक्षित हैं और रहेंगे और उनकी व्यक्तिगत सुरक्षा और सुरक्षा के लिए कोई ख़तरा नहीं है। सरकार ने ट्विटर के बयान को निराधार, झूठा और भारत को बदनाम करने की कोशिश के रूप में निंदा करती है। 

इससे पहले आज गुरुवार की सुबह टूलकिट विवाद और सोशल मीडिया गाइडलाइंस को लेकर सोशल मीडिया कंपनी ने बयान जारी करके कहा है कि सरकार डेडलाइन लागू करने के लिए 3 महीने की मोहलत दे। साथ ही नियमों को लेकर अभिव्यक्ति की आजादी खतरे में पड़ने को लेकर चिंता भी जाहिर की। हाल ही में दिल्ली पुलिस द्वारा ट्विटर के दिल्ली और गुड़गांव स्थित दफ्तरों पर हुए एक्शन को लेकर भी कंपनी फिक्रमंद है।

ट्विटर ने कहा कि हम भारत में अपने स्टाफ की सुरक्षा को लेकर फिक्रमंद हैं। अभी हमारे इम्प्लॉइज के साथ भारत में जो घटना हुई, इसके अलावा जिन लोगों को हम सर्विस देते हैं, उनकी अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर हम परेशान हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय की अधीनस्थ दिल्ली पुलिस का नाम लिये बिना ट्विटर ने कहा है कि हम भारत की कई सोसाइटीज और दुनियाभर में पुलिस की धमकाऊ प्रवृत्ति को लेकर चिंतित हैं।

ट्विटर इंडिया ने अपने बयान में आगे कहा है कि हम नियमों को लागू करने के लिए तैयार हैं, लेकिन ये पूरी तरह पारदर्शिता के उसूलों के साथ होगा। हम पूरे मामले में भारत सरकार के साथ अपनी बातचीत को जारी रखेंगे। हमारा मानना है कि इस मामले में दोनों ओर से सहयोगात्मक रवैया अपनाना जरूरी है। हम भारत सरकार से अपील करते हैं कि हमें 3 महीने का वक्त दिया जाए, ताकि हम इन नियमों को लागू कर सकें।

ट्विटर ने आगे कहा है कि गाइडलाइंस में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को भारत में ही एक ग्रेवांस अफसर की नियुक्ति की बात कही गई है। इस नियम को लेकर हम फिक्रमंद हैं कि प्लेटफॉर्म पर कंटेंट को लेकर ग्रेवांस अफसर क्रिमिनली जवाबदेह होगा। इस नियम से ये पहुंच ख़तरनाक स्तर तक बढ़ जाएगी।

भारत की जनता की अभिव्यक्ति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर करते हुये ट्विटर इंडिया ने कहा है कि- “हम भारत के लोगों के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारी सर्विस भारत में कम्युनिकेशन के लिए प्रभावी जरिया साबित हुई है। महामारी के समय ये संबल का जरिया भी बनी है। अपनी सेवाओं को जारी रखने के लिए हम ये नियम लागू करने का प्रयास करेंगे। जो नियम हम लागू कर सकते हैं, उनके लिए कोशिश करेंगे। लेकिन, जिस तरह हम पूरी दुनिया में करते हैं, नियम लागू करते वक्त हम पारदर्शिता, अभिव्यक्ति को मजबूती, अभिव्यक्ति की आजादी और प्राइवेसी की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखेंगे।

वहीं केंद्र सरकार के सूचना एवं प्रसारण विभाग ने गुरुवार को डिजिटल मीडिया समेत OTT प्लेटफॉर्म्स को 15 दिन की डेडलाइन दे दी है। इसके तहत ऐसी कंपनियों को यह बताना होगा कि उन्होंने नई गाइडलाइंस को लेकर क्या किया है।

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles