Saturday, April 20, 2024

सामरिक महत्व की है उत्तराखंड की चारधाम परियोजना ,सुप्रीमकोर्ट में केंद्र

चार धाम परियोजना के समर्थन में मोदी सरकार ने देश की सुरक्षा का सवाल उठा कर उच्चतम न्यायालय को रक्षात्मक मुद्रा में ला दिया है और अंततः जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रमनाथ की पीठ को कहना पड़ा कि यह सवाल विचार योग्य है कि एक संवैधानिक कोर्ट देश की सुरक्षा को प्रभाव डालने वाले मामलों में पर्यावरण संबंधित मसलों के आधार पर कितना दखल दे सकती है? पीठ ने कहा है कि क्या सेना की जरूरत के मुताबिक रणनीतिक बुनियादी स्ट्रक्चर के विकास के रास्ते में संवैधानिक अदालत को आना चाहिए?

उच्चतम न्यायालय में चार धाम परियोजना के तहत इंडिया चीन सीमा के पास सड़कों के चौड़ीकरण से संबंधित मामले में सुनवाई के दौरान चीन का जिक्र करते हुए केंद्र सरकार ने कहा कि चीन ने तिब्बत क्षेत्र में बड़ा निर्माण किया है और सेना को 1962 जैसी युद्ध स्थिति से बचने के लिए भारत-चीन सीमा तक भारी वाहनों को ले जाने के लिए चौड़ी सड़कों की जरूरत है। ऋषिकेश से गंगोत्री, ऋषिकेश से माणा और टनकपुर से पिथौरागढ़ तक फीडर सड़कें (जो चीन से लगती उत्तरी सीमा तक जाती हैं) देहरादून और मेरठ में सेना के शिविरों को जोड़ती हैं जहां मिसाइल लांचर और भारी तोपखाना प्रतिष्ठान हैं।

केंद्र ने यह भी कहा कि सेना को किसी भी आपात स्थिति के लिए तैयार रहने की जरूरत है और यह 1962 जैसी स्थिति नहीं होने दे सकती। शीर्ष अदालत ने कहा कि राष्ट्र की रक्षा और पर्यावरण की सुरक्षा के साथ सभी विकास टिकाऊ और संतुलित होने चाहिए तथा अदालत देश की रक्षा जरूरतों का दूसरा अनुमान नहीं लगा सकती है।

केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने पीठ को बताया कि भारत-चीन सीमा पर हालिया घटनाक्रम के कारण सेना को बेहतर सड़कों की जरूरत है। उन्होंने कहा, “सीमा के दूसरी तरफ व्यापक निर्माण हुआ है। उन्होंने (चीन) बुनियादी ढांचा तैयार किया है और हवाई पट्टियों, हेलीपैड, सड़कों, रेलवे लाइन नेटवर्क का निर्माण किया है जो इस धारणा पर आगे बढ़े हैं कि वे स्थायी रूप से वहां रहेंगे।उन्होंने आठ सितंबर, 2020 के आदेश में संशोधन का आग्रह किया जिसमें सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को चीन सीमा तक जाने वाली महत्वाकांक्षी चारधाम राजमार्ग परियोजना पर 2018 के परिपत्र में निर्धारित कैरिजवे की चौड़ाई 5.5 मीटर का पालन करने को कहा गया था। रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 900 किलोमीटर की परियोजना का उद्देश्य उत्तराखंड में चार पवित्र शहरों – यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करना है।

इस पर पीठ ने कहा कि यह सवाल है कि क्या हम यह कह सकते हैं कि देश की सुरक्षा से ज्यादा तरजीह पर्यावरण को दिया जाना चाहिए? केंद्र सरकार ने अपने जवाब में सड़क परियोजना के चौड़ीकरण का कारण राष्ट्रीय सुरक्षा बताया है। हम इस बात से इनकार नहीं कर सकते हैं कि ऊंचाई पर राष्ट्रीय सुरक्षा दांव पर लगी हुई है। पीठ ने कहा कि यह एक कठिन स्थिति है अदालत के लिए क्योंकि कोर्ट को केंद्र सरकार ने बताया है कि यह मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ है।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर यह सब टूरिज्म के लिए हो रहा होता तो हम इस मामले में कठिन शर्त लगा सकते थे। लेकिन जब मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ हो और मामला सीमा की रक्षा से जुड़ा हुआ हो तो फिर हमारे लिए भी कठिन और गंभीर स्थिति हो सकती है।

उच्चतम न्यायालय में एक एनजीओ की ओर से अर्जी दाखिल कर सड़क को चौड़ा करने के लिए स्टेज वन और वाइल्ड लाइफ मंजूरी के खिलाफ अपील की गई। याचिका में कहा गया है कि इस परियोजना के कारण बड़ी संख्या में पेड़ की कटाई होगी और पर्यावरण को भारी नुकसान होगा।

केंद्र सरकार ने कहा कि इस परियोजना का लाभ सुरक्षा के मद्देनजर भी है। भारत चीन सीमा पर आर्म्ड फोर्स की तैनाती में और वाहनों की आवाजाही में सहूलियत होगी। केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि सेना के सदस्यों को ले जाने और सामानों के ट्रांसपोर्टेशन में एक तय सीमा की चौड़ाई की सड़कों की जरूरत है। सेना के आवाजाही के लिए भी यह जरूरी है। केंद्र सरकार के सड़क परिवहन मंत्रालय ने चार धाम परियोजना के लिए 10 मीटर की सड़क की चौड़ाई का समर्थन करने वाली हाई पावर कमिट के बहुमत के राय को मंजूर करने की गुहार लगाई थी।

केंद्र सरकार के सड़क परिवहन मिनिस्ट्री ने चार धाम परियोजना के लिए 10 मीटर सड़क की चौड़ाई का समर्थन करने वाली हाई पावर कमेटी की सिफारिश का समर्थन किया है। केंद्र ने कहा कि कोर्ट द्वारा नियुक्त कमेटी के 26 में से 21 मेंबरों द्वारा आर्मी के भारत चीन सीमा पर आने जाने के मद्देनजर रास्ता चौड़ा करने पर सहमति दी है।

डिफेंस मिनिस्ट्री ने कहा था कि भारत चीन सीमा पर मौजूदा जो स्थिति है, उसको देखते हुए सड़क की जो मौजूदा चौड़ाई तय है उसे 5.5 मीटर से बढ़ाकर 7 मीटर किया जाना चाहिए। केंद्र सरकार के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि रोड को सात मीटर चौड़ा करने की जरूरत है। साथ ही सड़कों के किनारे डेढ़-डेढ़ मीटर फुटपाथ जैसे कंस्ट्रक्शन की जरूरत है। ये सड़क चीन की सीमा तक जाने वाली है और ऐसे में ये राष्ट्रीय महत्व का मामला है।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल इलाहाबाद में रहते हैं।)

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