Thursday, April 25, 2024

पत्रकार सिद्दीकी कप्पन की गिरफ्तारी पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार और राज्य पुलिस को नोटिस जारी करते हुए केरल यूनियन ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट द्वारा दायर उस याचिका पर जवाब मांगा  जिसमें सिद्दीकी कप्पन की नज़रबंदी को चुनौती दी गई है। केरल के पत्रकार को पिछले महीने मथुरा पुलिस ने गिरफ्तार किया था जब वह हाथरस गैंगरेप की घटना को कवर करने के लिए जा रहे थे।

चीफ जस्टिस  एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने सुनवाई के लिए मामला शुक्रवार को पोस्ट कर दिया। यूनियन के लिए पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने पत्रकार के लिए अंतरिम जमानत मांगी क्योंकि वह 4 अक्तूबर से जेल में है। पीठ ने कहा कि वह पहले राज्य की सुनवाई करना चाहती है और संकेत दिया कि वह मामले को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में भेजने का निर्देश दे सकती है।

पीठ, जिसमें जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यन भी शामिल हैं ने कहा कि हम अनुच्छेद 32 की याचिकाओं (मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के लिए राहत प्रदान करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय की शक्ति) को हतोत्साहित करने की कोशिश कर रहे हैं। 


केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को गैरकानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम (यूएपीए) के तहत अपराधों के लिए गिरफ्तार किया गया और आरोपित किया गया था। याचिकाकर्ता ने संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के तहत मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का दावा करते हुए कप्पन की नज़रबंदी को चुनौती दी है।

इससे पहले पीठ ने हैबियस कॉर्पस याचिका को स्थगित कर और याचिकाकर्ताओं को पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को कहा। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को संशोधित याचिका दायर करने के लिए भी कहा था। हालांकि, केयूडब्ल्यूजे ने सोमवार को अदालत को सूचित किया कि न केवल उच्च न्यायालय में मामला आगे बढ़ चुका है, बल्कि कप्पन को अपने वकीलों से भी मिलने का अवसर नहीं मिला।

सीजेआई बोबडे ने याचिकाकर्ता-संगठन के लिए पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल से पूछा कि आपने उच्च न्यायालय का दरवाजा क्यों नहीं खटखटाया? सिब्बल ने कहा कि यह हिरासत में लिए गए पत्रकार का मामला था और इसी तरह की याचिकाओं को पहले भी देखा गया है ।

पत्रकार कप्पन को उत्तर प्रदेश के हाथरस के पास एक टोल प्लाजा पर गिरफ्तार किया गया। जब वह 19 वर्षीय दलित महिला के भयानक सामूहिक बलात्कार और उसके बाद के दाह संस्कार को कवर करने के लिए अपने रास्ते पर था। केयूडब्ल्यूजे द्वारा वकील श्वेता गर्ग के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि गिरफ्तारी कुल मिलाकर पश्चिम बंगाल के डीके बसु बनाम राज्य में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों का उल्लंघन है। याचिका में हाथरस की घटना को कवर करने वाले पत्रकारों के लिए समान पहुँच के लिए भी एक मामला बनाया गया है।

याचिका में कहा गया है कि लोकतंत्र की अंतिम परीक्षा भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में निहित है। मीडिया लोकतंत्र की सांस है। रिपोर्टिंग के लिए नागरिकों के गरिमापूर्ण जीवन से जुड़े समाचारों के स्थान तक पत्रकारों की पहुंच का खंडन संविधान के अनुच्छेद 14, 19 (1) (ए) और 21” का घोर उल्लंघन है। इसलिए याचिकाकर्ता संघ ने कप्पन की तत्काल रिहाई की मांग की है।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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