Friday, April 26, 2024

क्या वाकई में फंसे हैं, सिद्धू अपनी विधानसभा सीट पर

पंजाब चुनाव में इस समय सबसे चर्चित चेहरा नवजोत सिंह सिद्धू हैं। हालांकि कांग्रेस ने नवजोत सिंह सिद्धू को मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं बनाया है, इसके बावजूद वे चर्चा में बने हुए हैं। सिद्धू कभी अपने पंजाब मॉडल को लेकर चर्चा में रहते हैं, तो कभी अपने तीखे बयानों को लेकर चर्चा में आ जाते हैं। अभी एक और चर्चा सिद्धू को लेकर है, कि प्रदेश के तमाम दलों के बड़े नेता उन्हें अमृतसर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र से हराने के लिए एकजुट हो गए हैं। वो किसी भी कीमत पर सिद्धू की हार को तय करना चाहते हैं। दरअसल मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार न घोषित होने के बाद से सिद्धू की नाराजगी लगातार चर्चा का विषय बनी हुई है। 13 फरवरी को प्रियंका गांधी पंजाब के दौरे पर थीं। वे पंजाब की धुरी विधानसभा क्षेत्र में रैली को संबोधित करने पहुंची थीं। इस रैली में नवजोत सिंह सिद्धू आए जरूर, लेकिन उन्होंने भाषण नहीं दिया। जानकारों के अनुसार सिद्धू की नाराजगी इस रैली के दौरान सामने आ गई।

नवजोत सिंह सिद्धू अपने विधानसभा क्षेत्र अमृतसर पूर्वी से फिलहाल नहीं निकल रहे हैं। पहले तो यही तय था कि सिद्धू पूरे पंजाब में कांग्रेस का प्रचार करेंगे। लेकिन चरणजीत सिंह चन्नी के मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद सिद्धू अमृतसर पूर्वी तक सीमित हो गए। हालांकि नवजोत सिंह सिद्धू के समर्थकों ने सिद्धू को अमृतसर तक सीमित होने की सलाह दी। इसके वाजिब कारण हैं। क्योंकि सिद्धू को हराने के लिए पंजाब के तमाम राजनीतिक घरानों और दलों ने हाथ मिला लिया है। क्योंकि तमाम दलों के नेताओं को नवजोत सिंह सिद्धू का पंजाब का डेवलमेंट मॉडल रास नहीं आ रहा है। सिद्धू मॉडल से सबसे ज्यादा परेशान ड्रग, सैंड और शराब माफिया है। ये सारे सिद्धू के खिलाफ एकजुट हो चुके हैं।

यही नहीं कांग्रेस के तमाम बड़े नेता जिनका इन माफियाओं के साथ बेहतर रिश्ते हैं, वे सिद्धू को हराने के लिए लामबंद हो रहे हैं। दूसरी तरफ अकाली दल को कंट्रोल कर रहा बादल परिवार किसी भी कीमत पर सिद्धू की हार को तय करना चाहता है। इसी को ध्यान में रखते हुए अकाली दल ने विक्रम मजीठिया को सिद्धू के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा। दरअसल सिद्धू और मजीठिया के बीच व्यक्तिगत संबंध काफी खराब हैं। सिद्धू सरेआम मजीठिया पर ड्रग  माफियाओं के साथ सांठ-गांठ के आरोप लगाते रहे हैं। दरअसल विक्रम मजीठिया के अमृतसर पूर्वी से चुनाव मैदान में उतरने पर सिद्धू इसलिए सतर्क हो गए कि माझे इलाके के कई कांग्रेस विधायकों के मजीठिया से अच्छे संबंध हैं। ये विधायक सिद्धू के घोर विरोधी हैं। ये विधायक सांठगांठ कर मजीठिया की मदद करेंगे और सिद्धू को हराने की कोशिश करेंगे।

सिद्धू के सलाहकारों ने सिद्धू को सलाह दी है कि फिलहाल वे अपने विधानसभा क्षेत्र तक सीमित इसलिए भी हो जाएँ क्योंकि यदि वे चुनाव हार गए तो उनका राजनीतिक  कैरियर ही तबाह हो जाएगा। क्योंकि उन्हें हराने के लिए तमाम उपाए किए जा रहे हैं। सिद्धू के एक राजनीतिक सलाहकार के अनुसार सिद्धू ने अपने आप को कैंपेन से इसलिए भी अलग किया है कि वे कांग्रेस हाईकमान को चरणजीत चन्नी की जमीनी ताकत की हकीकत बताना चाहते हैं। कांग्रेस हाईकमान ने काफी विश्वास से दलित वोटों के ध्रुवीकरण की योजना बनायी है, ताकि कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाले कांग्रेसी सरकार के कार्यकाल की एंटी-इन्कम्बेंसी के असर को कम किया जा सके। इसलिए चन्नी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार भी घोषित किया है। लेकिन सिद्धू यह साबित करना चाहते हैं कि जमीन पर इसका कोई असर चुनावों में नहीं दिख रहा है।

अमृतसर पूर्वी से पिछली बार नवजोत सिंह सिद्धू ने खासे अंतर से चुनाव जीता था। सिद्धू को कुल मतों का 60 प्रतिशत मत हिस्सा प्राप्त हुआ था। उनके खिलाफ चुनाव लड़ रहे अकाली-भाजपा गठबंधन के उम्मीदवार को मात्र 17 प्रतिशत मत पड़े थे। इस बार अकाली दल और भाजपा अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं। अमृतसर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र में पाकिस्तान से आए हिंदू और खत्री सिखों की अच्छी तादाद है। वहीं इस इलाके के औद्योगिक क्षेत्र में स्लम एरिया भी है। सिद्धू हिंदू और सिखों दोनों में लोकप्रिय हैं। हिंदुओं के बीच लोकप्रिय होने का एक कारण सिद्धू का वैष्णव देवी प्रेम भी है। अमृतसर के हिंदुओं में वैष्णव देवी की खासी भक्ति है। वहीं सिद्धू के पक्ष में इस इलाके के वामपंथी दल के कार्यकर्ता भी हैं। सीपीआई की अमृतसर पूर्वी के कुछ इलाके में अच्छी पकड़ है। अकाली दल के उम्मीदवार विक्रम मजीठिया का सबसे बड़ा नेगेटिव पक्ष यह है कि मजीठिया को शहरी हिंदू और खत्री सिख पसंद नहीं करते हैं। ऐसे में अकाली दल ने उन्हें क्यों खड़ा किया यह समझ से परे है।

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील मनजीत सिंह खैरा के अनुसार इसमें कोई शक नहीं है कि सिद्धू को अमृतसर की जनता बाकी नेताओं के मुकाबले ज्यादा पसंद करती है। इसके कुछ कारण हैं। सिद्धू ने लगातार पाकिस्तान से संबंध सुधारने की बात की। उन्होंने अमृतसर-लाहौर इकनॉमिक कॉरिडोर की बात की। लाहौर-अमृतसर व्यापारिक रूट को मजबूत करने की मांग की। सिद्धू लंबे समय से वाघा बार्डर के रास्ते व्यापार को बढाने की वकालत कर रहे हैं। वाघा बार्डर से व्यापार बढने का सीधा लाभ अमृतसर के उन हिंदू व्यापारियों को होगा, जिनका अमृतसर के कारोबार पर नियंत्रण है, जिनका लाहौर के व्यापारियों से लंबे समय से कारोबारी संबंध रहा है। खैरा के अनुसार सिद्धू के प्रयासों से करतारपुर कॉरिडोर की शुरूआत हुई।

ऐसे में अमृतसर के हिंदू व्यापारियों को यह लगता है कि सिद्धू अमृतसर-लाहौर इकनॉमिक कॉरिडोर को मजबूत करने की क्षमता रखते हैं। अगर सिद्धू धार्मिक कॉरिडोर को खुलवा सकते हैं तो इकनॉमिक कॉरिडोर को भी मजबूत कर सकते हैं। खैरा के अनुसार ज्यादातर शहरी हिंदू  व्यापारियों का लाहौर से कारोबार रहा है। वे लंबे समय से वाघा बार्डर को सॉफ्ट करने की मांग कर रहे हैं। लेकिन दोनों मुल्कों के  बीच खराब संबंध होने के कारण अमृतसर-लाहौर इकनॉमिक कॉरिडोर की क्षमता का आजतक उपयोग ही नहीं हुआ। दूसरी तरफ सिद्धू लगातार पाकिस्तान से अच्छे संबंधों को विकसित करने को लेकर सक्रिय हैं। यही वजह है कि अमृतसर का शहरी हिंदू भी सिद्धू को खासा पसंद करता है।

नाम न बताने की शर्त पर गुरू नानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर के एक वरिष्ठ अधिकारी कहते है कि करतारपुर कॉरिडोर के खुल जाने के बाद से नवजोत सिंह सिद्धू सिखों में खासे लोकप्रिय हो गए हैं। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि स्वर्ण मंदिर के हजूरी रागी ने भी वीडियो जारी कर सिद्धू को वोट देने की अपील की है। जबकि स्वर्ण मंदिर शिरोमणी गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के कंट्रोल में है और प्रबंधक कमेटी शिरोमणी अकाली दल के कंट्रोल में है। उधर शिरोमणी अकाली दल सुखबीर बादल और उनके साले विक्रम मजीठिया के कंट्रोल में है। इसके बावजूद स्वर्ण मंदिर से संबंधित हजूरी रागी ने सिद्धू का समर्थन खुलेआम किया है और उन्हें वोट डालने की अपील की है। इसका एक बडा कारण करतारपुर कॉरिडोर का खुलना है, जिसे खुलवाने में सिद्धू ने अहम भूमिका निभायी।

निश्चित तौर पर सिद्धू के लिए यह चुनाव अहम है। सिद्धू का एक तरफ विक्रम मजीठिया से मुकाबला है तो दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी के जीवनजोत कौर से भी उन्हें चुनौती मिल रही है। आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार जीवनजोत कौर तब्दीली के नारे के साथ चुनाव मैदान में है। तब्दीली की चाहत रखने वाली जनता जीवनजोत कौर के साथ है, इसलिए सिद्धू उन्हें भी गंभीरता से ले रहे हैं। खुफिया पुलिस का  मानना है कि अंत में टक्कर सिद्धू और जीवनजोत कौर के बीच हो सकती है।
(जनचौक ब्यूरो की रिपोर्ट।)

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