Friday, April 26, 2024

किसानों का आगाज! प्रयागराज में किसान पंचायत में उठी अजय मिश्रा के निलंबन की मांग

इलाहाबाद में आज संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले किसान मजदूर पंचायत हुयी। पंचायत में लखीमपुर खीरी तिकोनिया के गुनहगारों की गिरफ्तारी और मुख्य साजिशकर्ता गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के निलंबन की मांग उठी। इसके अलावा पत्थर व बालू मजदूरों की जीविका की रक्षा का मुद्दा उठा। साथ ही कारपोरेट पक्षधर तीन कृषि कानून की वापसी की मांग पंचायत में उठाई गई। इसके अलावा पंचायत में बिजली बिल 2021 की वापसी और बस्तियों की बिजली कनेक्शन काटने पर प्रतिबंध लगाने का मुद्दा भी उठा।

पंचायत कार्यक्रम की शुरुआत लखीमपुरी खीरी के शहीदों लवप्रीत सिंह, दलजीत सिंह, नक्षत्तर सिंह, गुरविंदर सिंह, रमन कश्यप को श्रद्धांजलि अर्पित करके किया गया।

आज सुबह प्रयागराज के ग्राम ओढ़िगी (रती) तरहर में आयोजित मजदूर-किसान पंचायत में हजारों किसान मजदूरों जिनमें बालू खनन मजदूर, पत्थर खदान मजदूर, खेत मजदूर सहित बड़ी संख्या में महिलाओं ने भाग लिया और मुट्ठी तानकर , झंडे उठाकर रोजी रोजगार के साधनों पर बड़े ठेकेदारों, माफिया और कॉर्पोरेट घरानों के नियंत्रण के खात्मे की मांग की गई।

केंद्रीय उपगृह मंत्री अजय मिश्रा और उनके बेटे आशीष मिश्रा के नेतृत्व वाले आरएसएस भाजपा द्वारा लखीमपुर मे किसानों की, जिनमें स्थानीय पत्रकार रमन कश्यप भी हैं, वाहनों से कुचल कर हत्या के बाद यह एसकेएम की पूर्वी उत्तर प्रदेश में 3कानूनों के ख़िलाफ़ पहली पंचायत थी। एसकेएम ने घोषणा की है कि जब तक मंत्री को बर्खास्त नहीं किया जाता और उनको व उनके पुत्र को गिरफ्तार नहीं किया जाता या आंदोलन जारी रहेगा।

पंचायत को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता एसकेएम नेता जगतार सिंह बाजवा नेता भूमि बचाओ मुहिम उत्तराखंड ने कहा कि,”नए कृषि कानून ग्रामीण रोजगार जैसे आटा चक्की, पशुपालन तथा अन्य पारंपरिक कामों को नष्ट कर देंगे। उन्होंने भाजपा की विभाजनकारी नीतियों और राजनीति से भी सचेत रहने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि जाति आधारित पार्टियां भी यहां तक कि यदि उनकी जाति के युवा कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ते हुए शहीद हो जाते हैं तो भी कृषि कानूनों का विरोध नहीं करती । उन्होंने जोर दिया कि यदि भाजपा सरकार कृषि कानूनों को रद्द नहीं करती तो किसी भी भाजपा नेता को गांव में घुसने नहीं देना चाहिए”।

पूनम कौशिक महासचिव प्रगातिशील महिला संगठन दिल्ली ने अपने वक्तव्य में कहा कि देश में कंपनी राज थोपने वाली नीतियां महिलाओं की खाद्य सुरक्षा को और खतरे में डालेंगी,महिलाओं को गरीबी के दलदल में धकेलेंगी और उनकी आर्थिक आत्मनिर्भरता को और कमजोर कर देंगी।

अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा महासचिव डॉक्टर आशीष मित्तल ने पंचायत को संबोधित कर कहा कि ग्रामीण मजदूरों का संघर्ष ज़मीन और बाज़ार बचाने के लिए चल रहे किसान संघर्षों का अभिन्न हिस्सा है।भाजपा गांव के गरीबों के साधनों को कॉरपोरेट और माफिया के हवाले कर उनके अधिकारों पर चोट कर रही है।शंकरगढ़ और जमुना नदी के इस क्षेत्र ने बहुत से बहादुर संघर्षों को देखा है और एसकेएम के नेतृत्व के संघर्ष में वे सब एक साथ हैं।

इलाहाबाद के बहुत से नेता लखीमपुर पहुंचेंगे और अगले सप्ताह शहीदों की अस्थि कलश यात्रा अनेकों स्थानों पर निकाली जाएंगी।

पंचायत के कई अन्य नेताओं जैसे एआईकेएमएस नेता रामकैलाश , रामू निषाद,किसान महासभा के नेता सुभाष पटेल,किसान मजदूर सभा के नेता एडवोकेट घनश्याम मौर्या,भारतीय किसान यूनियन के जिला सलाहकार राजेंद्र पटेल, प्रगतिशील महिला संगठन इलाहाबाद की नेता आकृति,एडवोकेट साहेब लाल निषाद, बृजलाल, विनोद सैलानी, चंद्रावती, कमल श्री, भारतीय किसान यूनियन जिला इलाहाबाद उपाध्यक्ष संजय यादव ने संबोधित किया । गंगादीन ने पंचायत में धन्यवाद प्रस्ताव दिया ।और योगी मोदी सरकार की रोजी रोजगार पर हमला करने वाली नीतियों के विरोध में अपनी बात रखते हुए वक्ताओं ने कहा कि जबकि पर्यावरण की रक्षा के नाम पर ब्लास्टिंग रोकने के लिए पत्थर खदान श्रमिकों के काम को रोक दिया गया है, वहीं बड़े ठेकेदार और कंपनियां भारी ब्लास्टिंग करती हैं और क्रशर प्लांट संचालित करती हैं।

सरकार ने नदी की पारिस्थितिकी की रक्षा के नाम पर नावों का संचालन बंद कर दिया है, उन्होंने जेसीबी मशीनों से घाटों को खोदने की अनुमति दी है जो नदी कोअपरिवर्तनीय रूप से नुकसान पहुंचाते हैं। इन दोनों ने लाखों श्रमिकों का दैनिक रोजगार छीन लिया है।

पंचायत को संबोधित करने वाले वक्ताओं ने ज़ोर दिया कि 3 कृषि कानूनों का विरोध करेगी जो खेती की जाने वाली फसलों, लागत की आपूर्ति, मशीनीकृत सेवाएं, फसल खरीद, मंडियां, खाद्य प्रसंस्करण, पैकेजिंग, भंडारण और खाद्य बाजारों का नियंत्रण विशाल बहुराष्ट्रीय कंपनियों और बड़े भारतीय कॉरपोरेट्स को सौंप देंगे।

पंचायत ने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ चल रहे किसान आंदोलन को पूर्ण समर्थन जताया और इस लड़ाई को मजबूत करते हुए रोजी रोटी के साधनों पर बड़े ठेकेदार,माफिया और कॉर्पोरेट के नियंत्रण के ख़िलाफ़ निर्णायक संघर्ष छेड़ देने का समर्थन किया।
(प्रयागराज से जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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