Friday, April 19, 2024

एक बार फिर भीषण यौन हिंसा की ज़द में बीएचयू की छात्राएं

बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी यानि बीएचयू में एक बार फिर लड़कियों का गुस्सा फूट पड़ा है। वजह फिर से वही है- कैंपस में छात्राओं की सुरक्षा। लड़कियों के साथ सेक्सुअल हैरेसमेंट की घटनाएं आम किस्सा हो चुकी हैं। BHU कैंपस के बारे में यह कहना बिल्कुल भी अतिश्योक्ति नहीं होगी कि शायद ही कोई ऐसा दिन हो जिस दिन इस तरह की घटनाएं न हों।

सेक्सुअल हैरेसमेंट का नया मामला 16 अगस्त का है जब भारत की जनता अपने ‘आज़ादी’ का जश्न मना रही थी। हालांकि आधी आबादी को अब भी इन अपराधों से आज़ादी नहीं मिली है। एक दिन में लगभग एक ही समय के दौरान दो लड़कियों के साथ भयानक  उत्पीड़न की घटना हुई। एक घटना रात के 9 बजे के आस पास की है। वाइस चांसलर निवास से महज 50-100 मीटर की दूरी पर त्रिवेणी होस्टल संकुल की छात्रा अपने दोस्त के साथ बैठी थी। इसी दौरान नशे में धुत बाइक पर सवार कैंपस के ही तीन छात्र छात्रा से बदतमीजी करने के बाद उसके निजी अंगों में हाथ लगाने की कोशिश करते हैं। छात्रा के दोस्त ने जब इसका विरोध करने की कोशिश की तो उन सबों ने उसके साथ भी मारपीट की और उसकी साइकिल तोड़ दी। ध्यान रखने वाली बात यह है कि यह सिलसिला करीब आधे घंटे तक चला। लगभग 20 से 30 मीटर की दूरी पर ही प्रॉक्टोरियल बोर्ड के गार्ड वहां मौजूद थे लेकिन उन्होंने छात्रा की कोई भी मदद करने की कोशिश नहीं की।

बहुत खूब हल्ला मचाने के बाद गार्ड आए तो सही पर उन्होंने इस घटना की सत्यता पर सवाल उठाकर कह दिया कि ऐसा कुछ हुआ ही नहीं है। जब लड़की ने धमकी दिया कि सीसीटीवी कैमरे की फुटेज निकाले जाएं, तब जाकर गार्ड चुप हुए। मामले की गंभीरता को देखते हुए करीब 40 से 50 की संख्या में छात्रों ने उसी समय प्रॉक्टोरियल बोर्ड के ऑफिस में धरना दे दिया। उनकी मांग थी की सभी आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। यह धरना लगभग रात के तीन बजे तक चला आखिरकार छात्रों के दबाव के चलते प्रॉक्टोरियल बोर्ड ने नामजद FIR करने का आश्वासन दिया। गौरतलब है कि लड़की ने एक आरोपी की शिनाख्त कर ली है। बढ़ते दबाव के कारण BHU प्रशासन ने एक आरोपी को विश्वविद्यालय से सस्पेंड कर दिया है। उसी दिन लगभग उसी समय रात के 9 बजे के बाद आईआईटी की एक पूर्व छात्रा जब लंका से अपने निवास स्थान हैदराबाद गेट की तरफ साइकिल से जा रही थी तब एक बाइक सवार युवक ने लड़की से पहले सॉरी कहते हुए उसके स्तन पर जोरदार हाथ मार दिया जिससे छात्रा छटपटाते हुए गिर गई।

इसके बाद बाइक सवार युवक वहां से भाग निकला। हैरेसमेंट के इस तरीके से साफ़ समझा जा सकता है कि आरोपी के लिए यह पहली बार नहीं है जब उसने किसी लड़की के साथ यह अपराध किया हो। यह समझना मुश्किल नहीं है कि इस तरह के अपराध लड़कियों के मन में कितनी असुरक्षा की भावना डालते हैं। एक तरफ चहल-पहल भरे रास्ते पर तीन लड़के शराब के नशे में एक लड़की के साथ आधे घंटे तक सेक्सुअल हैरेसमेंट करते हैं वहीं दूसरी तरफ एक बाइक सवार हेलमेट लगाए हुए आरोपी छात्रा के साथ अपराध करके भाग निकलता है। बीएचयू में यह पहली बार नहीं है जब इस तरह का भयानक अपराध हुआ हो। सितंबर 2017 में ठीक इसी तरह एक छात्रा को उसके निजी अंगों में हाथ डालकर हैरेस करने की कोशिश की गयी थी। लड़की ने जब इसकी शिकायत प्रशासन से की थी तो उन्होंने पीड़िता को ही जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि शाम को निकली ही क्यों थी? आपको बता दें कि यह घटना शाम 6 बजे के करीब की है, प्रशासन के अनुसार कोई लड़की दिन ढलते ही अपने रूम में कैद हो जाए ताकि उसके साथ इस तरह की कोई घटना ना हो।

इन सभी मामलों में एक कॉमन बात है कि घटनास्थल के आस पास गार्ड होते हुए भी उन्होंने अपराध रोकने की कोशिश नहीं की। इससे दो बातें साफ़ हो जाती हैं। पहली कि गार्ड्स स्वयं सामंती मानसिकता के हैं और इस तरह की घटनाओं को अपराध नहीं मानते। दूसरी बात यह कि इन गार्ड्स में लंपटों को रोक पाने की क्षमता नहीं है क्योंकि सत्ता और प्रशासन स्वयं ऐसे लोगों को संरक्षण देते हैं। जब ऊपर से नीचे तक इन लोगों की ‘सेटिंग’ हो तो गार्ड्स क्यों ही इनको रोकना चाहेंगे। विकृत मानसिकता के लम्पट तत्व प्रशासन के संरक्षण और शह पर ही कैंपस में मौजूद रहते हैं, होस्टल में सालों तक जमे रहते हैं। आपको बता दें कि 16 अगस्त के अपराध के आरोपी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्य हैं जो मौजूदा सरकार और आरएसएस की पिछलग्गू है। यही वजह है कि इस तरह का अपराध करते हुए भी इन्हें किसी तरह का डर नहीं होता है। कैंपस में ऐसे तत्व बड़ी संख्या में मौजूद हैं जिनका लड़कियों को छेड़ना, घूरना, उन  पर तंज कसना, छूने की कोशिश करना, स्तन पर हाथ मार कर चले जाना आदि इनका रोजमर्रा का काम है। प्रशासन को भी इनके बारे में खूब जानकारी होती है फिर भी सत्ता पक्ष के चलते वह इन सब को संरक्षण देता है। और कार्रवाई करने के नाम पर खानापूर्ति करता है।

2017 के उस अपराध के बाद लड़कियों का संचित गुस्सा एक बड़े आंदोलन के रूप में निकला था जब 2 दिनों से अधिक तक लड़कियां सिंह द्वार यानी लंका गेट को घेर कर बैठी थीं। उनकी मांग थी की आरोपी पर जल्द से जल्द कार्रवाई हो और कैंपस में लड़कियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो। यह सत्ता लड़कियों के बोलने से इतना डरती है कि उन को चुप कराने के लिए तत्कालीन वाइस चांसलर जीसी त्रिपाठी ने बड़ी संख्या में फोर्स लगाकर लड़कियों पर लाठीचार्ज करवाया था। मालूम हो कि जी सी त्रिपाठी आरएसएस के पसंदीदा लोगों में से एक हैं। जीसी त्रिपाठी ने इस आंदोलन के दौरान लड़कियों के हॉस्टल में यह बयान दिया कि लड़कियां अपनी इज्जत सड़क पर बेच रही हैं। बीएचयू के इतिहास में यह पहली बार हो रहा था कि इतनी बड़ी संख्या में छात्राएं अपने गुस्से का इजहार कर रही थीं।

इसलिए बीएचयू में पितृसत्ता के किले में दरार आ गई थी। लड़कियों की अक्ल ठिकाने लगाने के लिए जिस बेशर्मी से सत्ता ने उनपर लाठीचार्ज कराया लेकिन उसके बाद यह मुद्दा पूरे देश के केंद्र में आ गया। पहली बार इतनी बड़ी संख्या में धरनारत छात्राओं पर बर्बर तरीके से लाठीचार्ज कराया गया था वह भी ऐसी मांगों पर जो एक महिला का बेसिक अधिकार है। बढ़ते दबाव के चलते जीसी त्रिपाठी को लंबी छुट्टी पर भेज दिया गया और मामला शांत करने की कोशिश की गयी। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा देने वाले प्रधानमंत्री इस आंदोलन के दौरान बनारस में मौजूद थे लेकिन उन्होंने अपना निश्चित रास्ता बदलने का फैसला लिया और मुंह चुराकर भाग खड़े हुए। इस ऐतिहासिक आंदोलन का ही प्रभाव था कि एक लंबे समय तक इस तरह के हैरेसमेंट की घटनाएं थोड़ी कम हो गई थीं। प्रशासन के साथ-साथ इन विकृत तत्वों में भी थोड़ा डर बैठना लाज़मी था।

इसके बाद 2019 के सितंबर में अपनी क्लास की छात्राओं से सेक्सुअल हैरेसमेंट के आरोपी प्रोफेसर एसके चौबे के खिलाफ लड़कियों ने फिर से लंका गेट पर धरना दिया। इस बार भी लड़कियों की जीत हुई और आरोपी प्रोफेसर को छुट्टी पर भेज दिया गया। इन आंदोलनों के ताप के कारण ही लड़कियां कैंपस में मुखर हो पा रही थीं और और इस तरह की घटनाएं भी कुछ कम संख्या में हो रही थीं लेकिन अब एक लंबा समय बीत जाने के बाद फिर से पूरे कैंपस में बहुत ज्यादा हैरेसमेंट की घटनाएं हो रही हैं।  कैंपस में एक बार एक लड़की को देखकर तीन लड़कों ने तंज कसा- “देख रंडी जा रही है।”  एक बार तो एक महिला के साइकिल के बास्केट में कॉन्डोम डाल दिया। प्रशासन का चरित्र खुद ही महिला विरोधी है तो उनसे उम्मीद करना कि वह इन अपराधियों को पकड़े और उन पर कार्रवाई करे यह तो असंभव सा है। अब हम छात्राओं के पास यही विकल्प बचा है कि लाठी डंडे लेकर इन लम्पटों से दो-दो हाथ करें। वास्तव में तब ही हम लड़कियों के लिए एक सुरक्षित माहौल बन पाएंगे।

(आकांक्षा भगत सिंह छात्र मोर्चा से जुड़ी हैं और बीएचयू की छात्रा हैं।)

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