Thursday, April 25, 2024

दुर्लभ और नायाब हैं हमारे साहिब जी!

इसमें कहीं कोई शको सुब्हा नहीं होनी चाहिए। हमारे साहिब जी जैसा किरदार शायद ही कहीं उपलब्ध हो। हिटलर और मुसोलिनी भी यदि आज होते तो साहिब जी से पानी मांगते नज़र आते। धन्यवाद तो संघ को देना बनता है जिसने घर से चोरी कर हिमालय भागे एक युवा में इतने तरह के रंग भरे कि वह आज इन्द्रधनुष की तरह विदेश की धरती पर अचानक फिर निकल पड़ा। जबकि अपने देश में आजकल गहराते अंधकार में बहुत कुछ समाता जा रहा है।

आइए याद करें, वह लम्हा जब साहिब जी सोनिया मायनो की अपावन धरती पर पहली दफ़े उतरते हैं और जब रोम पहुंचे तो उनके स्वागत के लिए पहुंचे भारतीयों और इटली के लोगों ने जय श्रीराम कह कर उनका स्वागत किया। इस दौरान 3 महिलाओं ने शिव तांडव स्त्रोतम गाया और हैरानी की बात ये है कि इन 3 में से 2 महिलाएं इटली की नागरिक थीं। साहिब ने भी इनके साथ ओम नम: शिवाय, जय श्रीराम और भारत जिंदाबाद के नारे लगाए। इनमें बहुसंख्यक गुजराती भाई थे। कहते हैं साहिब जी कहीं भी जाते हैं उनकी एक जयकारी टीम पहले वहां पहुंच जाती है।

कहने वालों का क्या इसके लिए जो बुद्धि चाहिए वह फेक डिग्री धारियों के पास ही होती है। विरोधी कुछ भी कहें इससे देश का। मान बढ़ता है। याद करिए न्यूयॉर्क में जब बड़ी संख्या में भारतीयों ने पहुंच कर अमेरिका में भारत का डंका बजाया था। जिसके बाद ट्रम्प साहिब के पक्के यार बन गए थे। दुनिया के डान से गहरी यारी आज तक भारत के किसी देश के प्रधान सेवक की नहीं हुई। वे महात्मा गांधी के सामने ज़रूरत से ज़्यादा झुके और वेटिकन सिटी के पोप के गले भी पड़ गए। विदेश में वे बहुत सतर्क रहते हैं और वहां अपने आचरण से यह सिद्ध नहीं होने देते कि वे महात्मा गांधी से नहीं गोडसे वादी हैं और सिर्फ हिंदुत्व ही उनके एजेंडे में है। जबकि इंटरनेट से जुड़ी दुनिया साहिब की वो तस्वीर और समाचार वहां दिखा देती है जो यहां प्रतिबंधित किया जाता है।

बहरहाल, साहिब जी जहां जहां जाएंगे यही नज़ारा देखने को मिलेगा। ये साहिब की समझ और कुशल रणनीति का हिस्सा है। सबसे आश्चर्यजनक तो यह रहा कि उधर विदेश में साहिब जी जय श्री राम और नमो शिवाय के साथ छा गए और इधर आपको एक पल के लिए यह जानकर हैरानी हो सकती है कि केंद्रीय रक्षा मंत्री व हर मसले को लेकर मुखरता से रखने वाले राजनाथ सिंह ने साहिब जी की तुलना राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से कर दी है। उन्होंने अपने बयान में कहा कि महात्मा गांधी के इतर अगर किसी भारतीय नेता को भारतीय समाज और मनोविज्ञान की जानकारी है, तो वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। उन्होंने कहा कि उनको किसी नेता की जगह एक दर्शनशास्त्री के रूप में देखा जाना चाहिए, क्योंकि हर युग में किसी न किसी नेता में समाज को बदलने व नई दिशा देने की अप्रतिम क्षमता दिखती है, जो वर्तमान में उनमें बखूबी नजर आती है।

हालांकि, यह कोई पहली मर्तबा नहीं है कि जब राजनाथ सिंह ने साहिब जी की तारीफ की हो, बल्कि इससे पहले भी कई दफ़े तारीफ कर चुके हैं, लेकिन इस बार उनके द्वारा की गई तारीफों के सुर्खियों में बने रहने की वजह यह है कि इस बार उन्होंने उनकी तुलना महात्मा गांधी से करते हुए उन्हें अतुलनीय बताया है। खैरियत है उन्होंने साहिब जी को 24कैरेट का ना कहकर 21कैरेट कहा। शायद कुछ कमियां नज़र आ गई हों। मुझे लगता है उन्होंने यह कहने में जल्द बाजी कर दी अभी तो 2024 बाकी है जब हिन्दू राष्ट्र जन्म लेता।

कुछ दिनों वीर सावरकर को राष्ट्रपिता कहने की तैयारी चल रही थी लेकिन इतना बवाल हो गया कि उन्हें पटरी से उतार अब साहिब जी को ले आए। गांधी की तरह चरखे की फोटो तो आ चुकी हैं अब संघ की लाठी कब हाथ में आएगी । इंतज़ार करें। फिर भी कुछ कहा नहीं जा सकता वे कौन रुप रख लें। बंगाल चुनाव की दाढ़ी चली गई अब न्यू लुक में हैं। उनकी चांद ज़रूर पहली बार नज़र आई है शायद उन्हें इसका आभास ना हो। राजनाथ को नज़र आ चुकी है इसलिए वे उनमें महात्मा गांधी देख रहे हैं।

बेशक,साहिबजी की लीला गज़ब है। चुनाव उनके लिए बड़ा चैलेंज होता है। लेकिन वे उसका मुकाबला जिस रोचक और नाटकीय अंदाज में करते हैं उसे देखने भाड़े के टट्टू ना बुलाएं तो भी लोग मज़े लेने पहुंच जाते हैं। ऐसे लोग बड़े पुण्य और भाग्य से मिलते हैं जो तथाकथित डिग्री धारियों की सरेआम धज्जियां उड़ा देते हैं गलत कहने और किसी के मरने-जीने का भी कोई असर नहीं होता। ऐसी दमदारी इंसानों में नहीं मिलती । साहिब जी तो इंसानों से परे दूर जगत के नज़र आते हैं शायद मंगलवासी। उनकी विशेषताओं पर रिसर्च होनी चाहिए।
(सुसंस्कृति परिहार स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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