छत्तीसगढ़ नक्सली हमला: माले ने की निंदा, राहुल गांधी ने बतायी इंटेलिजेंस की नाकामी

नई दिल्ली। सीपीआई एमएल ने छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के सुकमा में केंद्रीय सुरक्षा बलों के 22 जवानों की हत्या को निन्दनीय और दुखद घटना करार दिया है। माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने मारे गए जवानों के परिजनों के प्रति गहरी संवेदनायें जाहिर की हैं। रिपोर्टों के अनुसार इस हमले में शामिल 15 माओवादी भी मारे गए।

उन्होंने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि जब देश में ऐतिहासिक किसान आंदोलन चल रहा है, और उसके साथ ही सार्वजनिक उद्यमों के निजीकरण के विरुद्ध मज़दूरों का संघर्ष, रोजगार के लिए युवाओं का संघर्ष तेज़ हो रहा है, और पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं, ऐसे में माओवादियों का सैन्य हमला इन जनांदोलनों को, एवम वर्तमान चुनावों में आंदोलन के सवालों को प्रमुख मुद्दा बनाने की कोशिशों को अपूरणीय क्षति पहुंचाने वाला काम है।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के बार-बार दुहराए जाने वाले दावे कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, बस्तर के आदिवासी इलाकों में काम करने वाले लोकतांत्रिक कार्यकर्ताओं की धरपकड़, नोटबन्दी जैसी कार्यवाहियां इस क्षेत्र में माओवादी हिंसा और टकराव को खत्म कर देंगी, बार-बार गलत साबित हुए हैं। केंद्र सरकार को बताना चाहिए कि क्यों इंटेलिजेंस एजेंसियां और सरकारी कोशिशें पुलवामा और सुकमा जैसी घटनाओं को रोकने में बार-बार नाकाम हो जाती हैं।

इस बीच सीआरपीएफ के डीजी ने इंटेलिजेंस फेल होने की बात को खारिज किया है। उन्होंने कहा है कि माओवादियों में भी 30 लोगों की मौत हुई है। हालांकि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी डीजी की बात से असहमति जाहिर की है। उन्होंने कहा है कि एक के अनुपात में एक की मौत सरकारी नाकामी को उजागर कर देती है। उन्होंने कहा कि “अगर वहां इंटेलिजेंस की नाकामी नहीं है तब एक के मुकाबले एक की मौत का अनुपात बताता है कि आपरेशन को गलत तरीके से तैयार किया गया था और उसे बेहद कमजोर तरीके से लागू किया गया। हमारे जवान बलि का बकरा नहीं हैं जिन्हें बेवजह शहीद कर दिया जाए।”

उधर, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह छत्तीसगढ़ पहुंच गए हैं। और वह मारे गए सुरक्षा बलों के जवानों को सलामी देंगे। इसके साथ ही घायल सुरक्षा बलों के जवानों से मुलाकात का भी उनका कार्यक्रम है।

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