Thursday, April 25, 2024

प्रवासी भारतीयों के 28 संगठनों ने भी कहा- हरिद्वार हेट कान्क्लेव के जहरीले वक्ताओं को गिरफ्तार करो

प्रवासी भारतीयों के 28 वैश्विक संगठनों के एक समूह द्वारा हरिद्वार में हुये तीन दिवसीय हेट कान्क्लेव के ख़िलाफ़ एक संयुक्त बयान जारी करके उसकी निंदा की गई है। इन लोगों में हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई समुदायों के प्रतिनिधि भी शामिल हैं। 28 संगठनों के बयान में ‘हरिद्वार धर्म संसद’ में मुस्लिमों के जनसंहार की अपील और घृणा फैलाने वाले भाषण देने वाले लोगों को गिरफ्तार करने में विफल रहने पर सरकार की भी आलोचना की गई है।

प्रवासी भारतीयों के 28 संगठनों ने संयुक्त बयान में कहा है कि पिछले महीने वैश्विक प्रवासी भारतीय समुदाय के सदस्यों और कई देशों के नागरिकों ने हरिद्वार में एक कार्यक्रम में मुसलमानों के ख़िलाफ़ दिए गए भड़काऊ भाषणों पर चिंता जताई है और सम्मेलन में ‘जनसंहार जैसे भाषण’ देने वाले लोगों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है। विभिन्न संगठनों के एक समूह द्वारा जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि पिछले महीने हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद में भड़काऊ भाषणों पर दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, ब्रिटेन, नीदरलैंड, जर्मनी, स्कॉटलैंड, फिनलैंड और न्यूजीलैंड में प्रवासी समूहों ने ट्विटर पर अपना रोष जताया है।

बयान में कहा गया है कि वैश्विक भारतीय प्रवासी समुदाय यति नरसिंहानंद और धर्म संसद के वक्ताओं की तत्काल गिरफ्तारी की मांग करता है। बयान पर हस्ताक्षर करने वाले संगठनों में हिंदूज़ फॉर ह्यूमन राइट्स वर्ल्डवाइड, इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ इंडियन मुस्लिम्स वर्ल्डवाइड, इंडिया अलाएंस यूरोप, स्टिचटिंग लंदन स्टोरी यूरोप, दलित सॉलीडैरिटी फोरम यूएसए, इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल यूएसए, इंडिया सॉलीडैरिटी जर्मनी, द ह्यूमैनिज़्म प्रोजेक्ट ऑस्ट्रेलिया, पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन कनाडा और साउथ एशिया सॉलीडैरिटी ग्रुप यूके, फेडरेशन ऑफ इंडियन अमेरिकन क्रिश्चियन ऑर्गेनाइजेशन आदि शामिल हैं।

नौकरशाहों ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

2 जनवरी को उत्तर प्रदेश और हरियाणा के पूर्व पुलिस महानिदेशकों और सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारियों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर कहा था कि ‘धर्म संसद’ विभिन्न धर्मों के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की उत्तराखंड की लंबी परंपरा पर काला धब्बा है।

सुप्रीम कोर्ट के 76 वकीलों ने सीजेआई को लिखा पत्र

26 दिसंबर रविवार को सुप्रीम कोर्ट के 76 वकीलों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना को पत्र लिखकर हरिद्वार के तीन दिसीय धर्म संसद में मुस्लिम जनसंहार की अपील वाले मामले में स्वतः संज्ञान लेने का अनुरोध किया है। उन्होंने धार्मिक नेताओं द्वारा नरसंहार के आह्वान को गंभीर ख़तरा बताया है।

उन्होंने पूरे मामले पर चिंता जताते हुए कोर्ट से कहा है कि पुलिस कार्रवाई नहीं होने के कारण तुरंत न्यायिक हस्तक्षेप जरूरी हो जाता है।

CJI को लिखे ख़त में सुप्रीम कोर्ट के वकीलों ने कहा है कि धर्म संसद में न केवल नफ़रती भाषण दिए गए बल्कि एक समुदाय के ख़िलाफ़ खुलकर नरसंहार का आह्वान किया गया। इस तरह के बयान भारत की एकता और अखंडता के लिए तो ख़तरा हैं ही साथ ही मुस्लिमों की ज़िंदगी को ख़तरे में भी डालने वाले हैं।

सेना प्रमुख व नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति को लिखे पत्र

1 जनवरी को सशस्‍त्र बलों के पांच पूर्व प्रमुखों समेत सौ से अधिक प्रमुख लोगों ने, जिसमें नौकरशाह, गणमान्‍य नागरिक शामिल हैं, ने हाल में आयोजित धर्म संसद में नफ़रत फैलाने वाले भाषणों को लेकर राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी को पत्र लिखा था ।

गौरतलब है कि हाल में हरिद्वार और कुछ अन्‍य स्‍थानों हुए ऐसे आयोजनों में मुस्लिमों के जनसंहार का आह्वान किया गया था। पत्र में ईसाइयों, दलितों और सिखों जैसे अन्‍य अल्‍पसंख्‍यकों को टारगेट किए जाने का भी जिक्र किया गया है।

पत्र में लिखा गया कि-” हम 17 से 19 दिसंबर के बीच उत्‍तराखंड के हरिद्वार में आयोजित हिंदू साधुओं और अन्‍य नेताओं की धर्मसंसद में दिए गए भाषणों की सामग्री (कंटेट) से आहत है। जिसमें लगातार हिंदू राष्‍ट्र की स्‍थापना के लिए आह्वान किया गया और इसके लिए ज़रूरत पड़ने पर हथियार उठाने और हिंदू धर्म की रक्षा के लिए भारत के मुस्लिमों को मारने की भी बात कही गई”।

समाज के गणमान्य लोगों ने पत्र में आगे कहा है कि , “हम नफ़रत की सार्वजनिक अभिव्यक्ति के साथ-साथ हिंसा के लिए इस तरह के उकसावे की अनुमति नहीं दे सकते हैं – जो न केवल आंतरिक सुरक्षा के गंभीर उल्लंघन का गठन करता है, बल्कि हमारे देश के सामाजिक ताने-बाने को भी तोड़ सकता है।”

आईआईएम के छात्रों व शिक्षकों ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र

7 जनवरी शुक्रवार को भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) के छात्रों और संकाय सदस्यों के एक समूह ने एक खुले पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से देश में हेट स्पीच और जाति आधारित हिंसा के ख़िलाफ़ अपनी चुप्पी तोड़ने का अनुरोध किया। पत्र में 183 लोगों के हस्ताक्षर थे।

पीएम की चुप्पी नफ़रत भरी आवाज़ को बढ़ावा दे रही है यह आरोप लगाते हुये अपने पत्र में IIM के छात्रों और शिक्षकों ने कहा है कि – ”  माननीय प्रधानमंत्री, आपकी चुप्पी नफ़रत से भरी आवाज़ों को बल देती है और हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए ख़तरा है”।

खुले पत्र में IIM के छात्रों व शिक्षकों ने प्रधानमंत्री से कहा है कि – “प्रधानमंत्री जी हम आपसे अनुरोध करते हैं कि हमें विभाजित करने की कोशिश करने वाली ताक़तों के ख़िलाफ़ मजबूती से खड़े हों। पत्र में कहा गया है, ‘हेट स्पीच और धर्म/जाति पहचान के आधार पर समुदायों के ख़िलाफ़ हिंसा का आह्वान अस्वीकार्य है”।

पत्र में आगे संविधान का हवाला देकर कहा गया है कि – “भले ही भारतीय संविधान सम्मान के साथ अपने धर्म का पालन करने का अधिकार देता है, लेकिन देश में भय की भावना है। हमारे देश में अब भय की भावना है – हाल के दिनों में चर्चों सहित पूजा स्थलों में तोड़-फोड़ की जा रही है, और हमारे मुस्लिम भाइयों और बहनों के ख़िलाफ़ हथियार उठाने का आह्वान किया गया। ‘

क्या हुआ था हेट कान्क्लेव में

गौरतलब है कि उत्तराखंड के हरिद्वार में 17-19 दिसंबर 2021 के बीच हिंदुत्ववादी नेताओं और कट्टरपंथियों द्वारा इस ‘धर्म संसद’ का आयोजन किया गया, जिसमें मुसलमान एवं अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ खुलकर नफ़रत भरे भाषण (हेट स्पीच) दिए गए, यहां तक कि उनके जनसंहार का आह्वान भी किया गया था।

कट्टर हिंदुत्ववादी नेता यति नरसिंहानंद इस धर्म संसद के आयोजकों में से एक थे। नरसिंहानंद पहले ही नफ़रत भरे भाषण देने के लिए पुलिस की निगाह में हैं। यति नरसिंहानंद ने मुस्लिम समाज के ख़िलाफ़ भड़काऊ बयानबाजी करते हुए कहा था कि वह ‘हिंदू प्रभाकरण’ बनने वाले व्यक्ति को एक करोड़ रुपये देंगे।

एफआईआर

मामले में 15 लोगों के ख़िलाफ़ दो प्राथमिकी दर्ज़ की गई। 23 दिसंबर 2021 को इस संबंध में पहली प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसमें सिर्फ़ जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी को नामजद किया गया था। इस्लाम छोड़कर हिंदू धर्म अपनाने से पहले त्यागी का नाम वसीम रिजवी था। फिर प्राथमिकी में 25 दिसंबर 2021 को बिहार निवासी स्वामी धरमदास और साध्वी अन्नपूर्णा उर्फ पूजा शकुन पांडेय के नाम जोड़े गए। पूजा शकुन पांडेय निरंजिनी अखाड़े की महामंडलेश्वर और हिंदू महासभा की महासचिव हैं।

इसके बाद बीते एक जनवरी को इस एफआईआर में यति नरसिंहानंद और रूड़की के सागर सिंधुराज महाराज का नाम शामिल किया गया था।

एसआईटी का गठन

2 जनवरी को राज्य के पुलिस महानिदेशक ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का भी गठन किया था। उसके बाद बीते तीन जनवरी को धर्म संसद के संबंध में 10 लोगों के ख़िलाफ़ दूसरी एफआईआर दर्ज़ की गई थी। दूसरी एफआईआर में कार्यक्रम के आयोजक यति नरसिंहानंद गिरि, जितेंद्र नारायण त्यागी (जिन्हें पहले वसीम रिज़वी के नाम से जाना जाता था), सागर सिंधुराज महाराज, धरमदास, परमानंद, साध्वी अन्नपूर्णा, आनंद स्वरूप, अश्विनी उपाध्याय, सुरेश चव्हाण और प्रबोधानंद गिरि को नामजद किया गया है।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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