Friday, March 29, 2024

परिवारवाद में नहीं, दलित जोखई की जमीन पर ‘कब्जे’ के चक्कर में हटाये गये थे सीएम श्रीपति मिश्र

पीएम मोदी ने पूर्वांचल  एक्सप्रेसवे के उद्घाटन के मौके पर अयोध्या से सटी कुश की नगरी सुल्तानपुर से अपने भाषण के दौरान तत्कालीन सीएम श्रीपति मिश्र को इंदिरा  गाँधी के परिवारवाद के चलते हटाये जाने का ज़िक्र करके ब्राह्मण कार्ड खेल दिया, लेकिन तथ्यात्मक गलती के कारण यह विवाद का विषय बन गया है।

समय के साथ लोग हकीकत भूल जाते हैं और दूसरों को गलतबयानी का मौका मिल जाता है,ऐसा ही एक मामला यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीपति मिश्र का है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के उद्घाटन के दौरान ब्राह्मण कार्ड खेलते हुए पूर्व मुख्यमंत्री श्रीपति मिश्र का जिक्र कर दिया। इस जिक्र में प्रधानमंत्री ने लखनऊ से लेकर दिल्ली तक परिवार की राजनीति करने वालों का न सिर्फ हवाला दिया, बल्कि इस परिवारवाद की नीति के चलते उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहे ब्राह्मण चेहरे श्रीपति मिश्र की कुर्सी जाने को इसी परिवारवाद की भेंट चढ़ना बता दिया।लेकिन  वरिष्ठ पत्रकार संतोष भारतीय की किताब “वीपी सिंह, चंद्रशेखर, सोनिया गांधी और मैं” के मुताबिक मिश्रा ने एक दलित जोखई की जमीन पर कब्जा कर लिया था, जिसकी शिकायत होने पर तत्कालीन प्रधानमन्त्री इंदिरा गांधी ने उनको हटा दिया था और नारायण दत्त तिवारी को मुख्यमंत्री बना दिया था। पूर्व मुख्यमंत्री श्रीपति मिश्र पर अवैध क्रशर चलवाने का भी आरोप था।

प्रधानमंत्री के इसी बयान को लेकर विवाद शुरू हो गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर इतिहास के साथ न सिर्फ छेड़छाड़ की है, बल्कि गलत जानकारी से महज वोट बैंक की राजनीति को साधने की कोशिश की है।

वीपी सिंह, चंद्रशेखर, सोनिया गांधी और मैं” जैसी बहुचर्चित किताब लिखने वाले वरिष्ठ पत्रकार संतोष भारतीय के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के उद्घाटन पर जो भी कहा वह तथ्यात्मक रूप से पूरी तरह से गलत है। संतोष भारतीय के मुताबिक श्रीपति मिश्र को परिवारवाद की किसी राजनीति के चलते नहीं हटाया गया था, बल्कि उन्हें सुल्तानपुर जिले के ही शेषपुर गांव में रहने वाले जोखई नाम के दलित की जमीन हड़पने के मामले में हटा दिया गया था।

संतोष भारतीय के अनुसार जब 1982 में श्रीपति मिश्र उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाए गए, तो वह साप्ताहिक पत्रिका रविवार में लखनऊ में रिपोर्टर थे। इस दौरान उन्हें इस मामले की जानकारी हुई कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्रीपति मिश्र ने अपने गांव शेषपुर के जोखई नाम के एक दलित व्यक्ति की बीस बिस्वा जमीन के टुकड़े को हड़प लिया है। उन्होंने इस पूरे मामले की पड़ताल करते हुए एक रिपोर्ट लिखी थी और उस रिपोर्ट पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने संज्ञान लेकर एक जांच कमेटी का गठन किया था। उस कमेटी की रिपोर्ट में श्रीपति मिश्र के ऊपर अपने गांव के दलित जोखई की जमीन हड़पने के आरोप सही पाए गए थे। नतीजतन श्रीपति मिश्र को दो अगस्त 1984 को मुख्यमंत्री पद से इंदिरा गांधी ने हटा दिया था।  

उत्तर प्रदेश में राजनीति के जानकार प्रोफेसर रतन शुक्ला कहते हैं, अगर आप प्रधानमंत्री के मंगलवार के भाषण को सुनें तो श्रीपति मिश्र का जिक्र करके सिर्फ ब्राह्मण वोटों को साधने की ही कोशिश की गई है। वह कहते हैं यह एक संयोग नहीं है कि सुल्तानपुर में कार्यक्रम हो रहा है, तो सुल्तानपुर की किसी बड़ी शख्सियत का जिक्र किया जाए। वे कहते हैं कि दरअसल राजनीतिक रणनीति के तहत ऐसा होता ही है। प्रधानमंत्री के भाषण के इस पूरे पैराग्राफ के केंद्र बिंदु में परिवारवाद तो था, लेकिन उस परिवारवाद के बहाने ब्राह्मणों को टारगेट किया गया था। वह कहते हैं कि ऐसा नहीं है श्रीपति मिश्रा को हटाने के बाद किसी और जाति विशेष का मुख्यमंत्री बनाया गया हो। इंदिरा गांधी ने श्रीपति मिश्र को हटाने के बाद कांग्रेस के कद्दावर नेता और ब्राह्मण चेहरे एनडी तिवारी को ही मुख्यमंत्री बनाया था।

संतोष भारतीय कहते हैं कि जिस दौर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी परिवारवाद का जिक्र कर रहे हैं दरअसल उस दौरान परिवारवाद तो था भी नहीं। अगर परिवारवाद होता तो 1984 से पहले के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों की लंबी फेहरिस्त आप देखें, तो उसमें एक भी चेहरा आपको परिवारवाद का नहीं मिलेगा।इसलिए जो जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को एक्सप्रेस-वे के उद्घाटन के दौरान कही वह न सिर्फ गलत है, बल्कि राजनीतिक इतिहास से छेड़छाड़ करने जैसी है।

 दरअसल बीते कुछ समय से उत्तर प्रदेश की राजनीति में ब्राह्मणवाद का मुद्दा लगातार छाया हुआ है। सभी राजनीतिक दल ब्राह्मणों पर डोरे डालने के लिए अलग-अलग तरीके की रणनीतियां बना रहे हैं, कई कार्यक्रम और बड़े आयोजन कर रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक मंगलवार को सुल्तानपुर जिले में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के उद्घाटन के दौरान प्रधानमंत्री ने इसी कड़ी में पूर्व मुख्यमंत्री श्रीपति मिश्र का हवाला देकर न सिर्फ लोगों को चौंकाया, बल्कि ब्राह्मण वोट को साधने की कोशिश भी की। दरअसल प्रधानमंत्री अपने संबोधन के दौरान परिवारवाद पर हमला कर रहे थे। मोदी ने इस दौरान कहा कि न सिर्फ दिल्ली बल्कि लखनऊ में परिवारवाद का बीते कई वर्षों तक दबदबा रहा है। इसी परिवारवाद के चलते उत्तर प्रदेश की न जानें कितनी उम्मीदें बर्बाद हो गईं। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा सुल्तानपुर के श्रीपति मिश्र जी के साथ भी तो यही हुआ था। उन्होंने कहा कि श्रीपति मिश्र का अनुभव और उनकी कर्मशीलता ही उनकी पूंजी थी, लेकिन परिवार के दरबारियों ने उन्हें अपमानित किया।

दरअसल इससे उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और बड़े ब्राह्मण चेहरे का नाम लेकर नरेंद्र मोदी ने न सिर्फ ब्राह्मण वोटों को साधने की कोशिश की, बल्कि भावनात्मक तौर पर जोड़ते हुए यह तक कहा कि श्रीपति मिश्र जैसे कर्मयोगियों का अपमान उत्तर प्रदेश कभी भूल नहीं सकता।

पीएम मोदी ने इस एक्सप्रेसवे का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने अयोध्या से सटी कुश की नगरी सुल्तानपुर से अपने भाषण के दौरान ब्राह्मण कार्ड खेल दिया। कांग्रेस पर निशाना साधते हुए इशारे ही इशारे में पीएम मोदी ने तंज कसा। मोदी ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्रीपति मिश्र का नाम लेते हुए कहा उन्हें उचित सम्मान नहीं दिया गया।यूपी चुनाव से पहले पीएम मोदी ने श्रीपति मिश्र का जिक्र किया और इसे निश्चित तौर यूपी की राजनीति में ब्राह्मण कार्ड के तौर पर भी देखा जा रहा है ।

उत्तर प्रदेश में लगभग 12 फीसदी ब्राह्मण वोटर हैं। आजादी के बाद से यूपी की सियासत में ब्राह्मणों को वर्चस्व रहा। इस दौरान यूपी को 6 ब्राह्मण मुख्यमंत्री मिले। 1989 के बाद उत्तर प्रदेश को कभी ब्राह्मण मुख्यमंत्री नहीं मिला। पूर्वांचल में ब्राह्मण और राजपूतों की संख्या अच्छी-खासी है। यूपी में इस समय ब्राह्मण बनाम ठाकुर का मुद्दा उठ रहा है।

दरअसल 2017 में बीजेपी की सरकार पूर्ण बहुमत से बनी। बीजेपी ने योगी आदित्यनाथ को सीएम बनाया। योगी ठाकुर जाति से आते हैं। बीजेपी पर लगातार आरोप लग रहे हैं कि योगी के सीएम बनने के बाद पार्टी ठाकुरवादी हो गई है। ब्राह्मण बीजेपी से नाराज हैं। ऐसे में पीएम मोदी ने श्रीपति के बहाने प्रदेश से लेकर पूर्वांचल के ब्राह्मणों को रिझाने का प्रयास किया है।
(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल इलाहाबाद में रहते हैं।)

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