Friday, April 19, 2024

पंजाब में पुलिस भी बनी चुनावी मुद्दा

विभिन्न चुनावी मुद्दों के बीच धीरे-धीरे चुनावी रणभूमि को गर्म करते पंजाब में एकाएक पुलिस भी बड़ा चुनावी मुद्दा बनने लगी है। पिछली सरकार में सूबे के गृह विभाग के मुखिया रहे पूर्व उपमुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल की नजरों में अचानक ही पुलिस राह चलतों के कपड़े तक उतरवाने वाली संस्था बन गई है जबकि कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू भी पुलिस पर घृणा भरी टिप्पणियां करने लगे हैं। इस सारे सिलसिले के चलते चंडीगढ़ के एक डीएसपी चंदेल ने तो पंजाब कांग्रेस के प्रधान को पुलिस के खिलाफ भद्दी शब्दावली प्रयोग करने पर पहले एक वीडियो संदेश के माध्यम से कहा कि यदि नेता लोगों को पुलिस की सुरक्षा छतरी न हो तो जनता उन्हें चार कदम भी न चलने दे।

और बाद में चंदेल ने बाकायदा नवजोत सिंह सिद्धू को उनकी पुलिस विरोधी टिप्पणियों के लिए कानूनी नोटिस भी भेजा है। इसके अलावा सोशल मीडिया पर एक हेड कांस्टेबल व कई अन्य पुलिस कर्मियों द्वारा सिद्धू व सुखबीर के बारे में इस संदर्भ को लेकर रोष भरी टिप्पणियां की जा रही हैं। यह पहली बार हुआ है कि अनुशासित मानी जाती पुलिस फोर्स से इस प्रकार राजनीतिकों के खिलाफ स्वर फूट रहे हैं।

असल में सुखबीर सिंह बादल व नवजोत सिंह सिद्धू के लिए एक पुलिस अधिकारी सियासी फांस बन कर रह गए हैं। यह अधिकारी हैं पूर्व आईपीएस कुंवर विजय प्रताप सिंह। गौरतलब है कि कुंवर वही अधिकारी हैं जो 2015 में हुई पावन गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी मामले में बनाई गई सिट (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) के सदस्य बनाए गए थे व जब एक-एक करके बाकी अधिकारी राजनीतिक दबाव में पीछे हटते गए तथा आखिरकार कुंवर अकेले ही रह गए। इस शानदार डेकोरेटेड रिकार्ड वाले पुलिस अधिकारी ने जब कोई दबाव नहीं माना तो बादल परिवार द्वारा हाईकोर्ट में एक पूर्व पुलिस मुलाजिम की तरफ से याचिका दायर करवाई तो पंजाब की कैप्टन सरकार की तरफ से कोई विशेष मदद न की गई। एडवोकेट जनरल तक एक दिन भी हाईकोर्ट में पेश न हुए। दिल्ली से किए गए प्राईवेट वकीलों ने सारे केस को एक तरह से तहस-नहस ही करवा दिया।

एक पुलिस मुलाजिम की अपनी शिकायत का निवारण करने की बजाए अदालत ने एसआईटी को भंग करके कुंवर की बेहद महत्वपूर्ण रिपोर्ट ही रद्द कर दी। पंजाब में ऐसा पहली बार हुआ। इस सबसे आहत इस अधिकारी ने मई 2021 को अपने प्रतिष्ठित पद (तब कुंवर आई.जी के रैंक पर थे) त्यागपत्र दे दिया था। जबकि पुलिस महानिदेशक का पद उनसे चंद सीढ़ियां ही दूर था। आखिरकार जुलाई 2021 में कुंवर विजय प्रताप सिंह ने आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया व अब वह अमृतसर से आप के प्रत्याशी हैं। फौरी स्थिति यह है कि कुंवर सार्वजनिक मंचों से  जब बेअदबी मामले की परते उघाड़ते हैं तो समूचा बादल परिवार गहन संदेह के दायरे में आ जाता है। बादल परिवार ने विजय प्रताप के किसी सवाल का कोई जवाब नहीं दिया।

अलबत्ता नवजोत सिंह सिद्धू जिस पार्टी के अध्यक्ष हैं उस दल की बेअदबी मामले को लेकर निभाई गई भूमिका भी जनता सुनती है। बता दें कि कुंवर अपने पूरे कैरियर में बड़े कारनामों के चलते लोकप्रिय रहे हैं। मौजूदा भूमिका में भी उनको चाहने वालों की तादात बढ़ती जा रही है। इससे चिढ़ कर बुधवार को एक चुनावी जनसभा में सुखबीर सिंह बादल ने टिप्पणी की कि मत भूलिए कि वह ( कुंवर) पुलिस वाले हैं जो थानों से पांच-पांच सौ रुपए इक्ट्ठे करते हैं। इसके जवाब में कुंवर विजय प्रताप सिंह कहते हैं कि वह सत्ता सुख के लिए नहीं बल्कि उस राजनीति को बदलने का दृढ़ इरादा रखते हैं, जहां आम जनता को राहत तो मिलनी ही चाहिए इसके साथ-साथ हर सरकारी मुलाजिम की तुलना में तीन गुणा ज्यादा ड्यूटी करने वाले पुलिस कर्मियों को भी राजनेताओं की गुलामी के चंगुल से आजाद करवाना है।                                                     

पहली बार है कि पंजाब में पुलिस चुनावी मुद्दा बनी है। राज्य के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी कहते हैं कि कुछ सियासतदान पुलिस पर नाजायज और अनाधिकार टिप्पणियां अपने राजनीतिक मंचों और बयानों में कर रहे हैं जो कि गलत है। इससे अनुशासित फोर्स के मनोबल पर भी दूरगामी असर पड़ेगा।

(पंजाब से वरिष्ठ पत्रकार अमरीक सिंह की रिपोर्ट।)

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