Tuesday, April 23, 2024

निजीकरण के मसूंबों पर पानी फिरा, बिजली कर्मचारियों के सामने झुकी योगी सरकार

कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता
एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों
इसको उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारियों ने चरितार्थ कर दिखाया है। दो ही दिन की हड़ताल में सरकार के हाथ-पांव फूल गए, क्योंकि पूरे प्रदेश में बिजली गुल होने से जनरोष चरम पर पहुंच गया। नतीजतन उत्तर प्रदेश में फ़िलहाल बिजली विभाग का निजीकरण नहीं होगा। यदि कभी निजीकरण हुआ तो पहले बिजली विभाग के इंजीनियरों और कर्मचारियों की सहमति ली जाएगी। बिजली कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल खत्म हो गई है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (यूपीपीसीएल) को निजी हाथों में देने का फैसला 15 जनवरी तक टाल दिया है। इसके बाद प्रदेश के बिजली कर्मचारियों और अभियंताओं का सोमवार से शुरू हुआ राज्यव्यापी कार्य बहिष्कार मंगलवार की रात को समाप्त हो गया। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम को निजी हाथों में सौंपने के सरकार के फैसले के खिलाफ बिजलीकर्मियों की अनिश्चिकालीन हड़ताल के दो दिन में ही प्रदेश में बिजली व्यवस्था चरमरा गई थी। पूर्वांचल से लेकर लखनऊ में मुख्यमंत्री से लेकर तमाम मंत्रियों के आवास पर भी असर दिखा।

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति और प्रदेश सरकार के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना और ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के बीच वार्ता में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का प्रस्ताव वापस लेने की सहमति बन जाने के बाद हड़ताली कर्मचारियों ने कार्य बहिष्कार समाप्त करने का एलान किया। दोनों मंत्रियों और मुख्य सचिव आरके तिवारी की मौजूदगी में कर्मचारी संघर्ष समिति के पदाधिकारियों और पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन के बीच समझौते पर दस्तखत किए गए।

बताया जा रहा है कि सरकार और बिजली कर्मचारी संयुक्‍त परिषद के बीच पांच बिंदुओं पर सहमति बनी है। तय हुआ है कि फिलहाल बिजली विभाग का निजीकरण नहीं होगा। यदि कभी निजीकरण हुआ तो पहले बिजली विभाग के इंजीनियरों और कर्मचारियों की सहमति ली जाएगी। इसके अलावा अगली 15 जनवरी 2021 तक लगातार समीक्षा होगी। इसके साथ ही विभाग में भ्रष्‍टाचार खत्‍म करने, कंपनियों का घाटा कम करने, राजस्‍व वसूली बढ़ाने और बिलिंग सिस्‍टम को दुरुस्‍त करने में भी बिजली कर्मचारी संयुक्‍त परिषद अपनी भूमिका निभाएगा। इन बिंदुओं पर सहमति बनने के बाद बिजली कर्मचारी संयुक्‍त परिषद ने हड़ताल खत्‍म की घोषणा की। इसके बाद सभी कर्मचारी काम पर लौट गए।

बैठक में कैबिनेट की उपसमिति और विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बीच इस मुद्दे पर सहमति बनी कि विद्युत वितरण में सुधार के लिए कर्मचारियों और अभियंताओं को विश्वास में लिए बिना प्रदेश में कोई निजीकरण नहीं किया जाएगा। इसके अलावा कर्मचारी इस बात पर राजी हो गए कि वितरण क्षेत्र को भ्रष्टाचार मुक्त करने और कलेक्शन लक्ष्य प्राप्त करने के लिए सार्थक कदम उठाए जाएंगे और कर्मचारी शत प्रतिशत सहयोग करेंगे।

इससे पहले एक दिन पहले हुई वार्ता में भी लगभग इन्हीं मुद्दों पर सहमति बन गई थी, लेकिन अरविंद कुमार के समझौते पर दस्तखत करने से इनकार कर देने की वजह से टकराव बढ़ गया था। वार्ता विफल हो जाने के बाद कार्य बहिष्कार का व्यापक असर नजर आने लगा था। मंगलवार सुबह होते-होते राजधानी लखनऊ समेत पूरे प्रदेश में बिजली आपूर्ति अस्त-व्यस्त रही। इसी बीच पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन ने भी कार्य बहिष्कार में शामिल होने का एलान कर दिया, जिससे हालात और बिगड़ गए। कई जगह जनता सड़क पर उतर आई। विद्युत उपकेंद्रों को तोड़फोड़ से बचाने के लिए पुलिस तैनात करनी पड़ी।

मंगलवार को डैमेज कंट्रोल के तहत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऊर्जा मंत्री और शासन के आला अधिकारियों के साथ बैठक कर स्थिति की समीक्षा की। इसके बाद कैबिनेट उप समिति को संघर्ष समिति से वार्ता करके गतिरोध समाप्त करने का जिम्मा सौंपा गया। इसके बाद कैबिनेट उप समिति के साथ वार्ता में फिलहाल पूर्वांचल निगम का निजीकरण न करने पर सहमति हो गई। समझौते में कहा गया है कि प्रदेश में विद्युत वितरण निगमों की वर्तमान व्यवस्था में ही बिजली सुधार के लिए कर्मचारियों और अभियंताओं को विश्वास में लेकर सार्थक कार्रवाई की जा रही है।

पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड को निजी हाथ में सौंपने के प्रदेश सरकार के फैसले के खिलाफ बिजलीकर्मियों की घोषित अनिश्चिकालीन हड़ताल का दो दिनों से बड़ा असर हो रहा था। पानी नहीं आने से कई जगह हाहाकार मचा रहा। सरकार के फैसले के खिलाफ कर्मचारी विरोध में डटे रहे। इन लोगों ने कई जगह पर बिजली काटी। बिजली न आने से कई जिलों में पेयजल न होने के कारण हालात बिगड़ गए। कार्य बहिष्कार के पहले ही दिन कई मंत्रियों के यहां बिजली गुल हो गई। प्रदेश के पूर्वांचल के जिलों के साथ ही सूबे की राजधानी लखनऊ सहित कई अन्य जिलों में भी बिजली संकट खड़ा हो गया।

लोग इसके कारण काफी परेशानी में थे। वाराणसी, प्रयागराज, मेरठ, कानपुर, आगरा, बरेली, मुरादाबाद के साथ अन्य सभी जिलों में बिजली का संकट गहरा गया। इस दौरान निजीकरण के विरोध में बिजलीकर्मियों ने ब्रेकडाउन की शिकायतें भी नहीं लीं।

निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मचारियों द्वारा कार्य बहिष्‍कार का कल दूसरा दिन था। बिजली कर्मचारियों ने सरकार को अनिश्चितकालीन हड़ताल और जेल भरो आंदोलन की चेतावनी भी दी थी। निजीकरण के फैसले का विरोध कर रहे कर्मचारियों ने सरकार से कहा था कि अगर उनकी मांगे न मानी गईं तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। कर्मचारियों का आंदोलन जैसे-जैसे आगे बढ़ता जा रहा था, आम जनता की मुश्किलें भी बढ़ती जा रही थीं। निजीकरण का फैसला टलने के बाद बिजली नेताओं ने जीत का जश्न मनाया। उन्होंने कहा कि हमने संघर्ष किया और हमारी जीत हुई। बिजलीकर्मियों की इस जीत के दूरगामी परिणाम होंगे। 


(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और इलाहाबाद में रहते हैं।)

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