Tuesday, April 23, 2024

फाफामऊ: बर्बर सामंती हमले के शिकार दलितों के परिजनों से प्रियंका गांधी ने की मुलाकात

ज़मीन के विवाद में मंगलवार की देर रात एक दलित परिवार के चार लोगों की घर में घुसकर हत्या कर दी गई। पीड़ित परिवार से मिलने के लिये कांग्रेस महासचिव व उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रभारी प्रियंका गांधी आज इलाहाबाद के फाफामऊ के गोहरी गांव पहुंचकर पीड़ित दलित परिवार का दुख दर्द साझा किया और उन्हें न्याय दिलाने का भरोसा दिया। उनके साथ उत्तर प्रदेश कांग्रेस इकाई अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू भी थे।

पीड़ित दलित परिवार ने प्रियंका गांधी से बताया कि उन लोगों ने पहले ही हमें धमकी दी थी कि पूरे परिवार को खत्म कर देंगे। वो लेग हमारा मजाक़ उड़ाते थे। पुलिस हमारी नहीं सुनती थी क्योंकि हमारे पास उन्हें देने के लिये पैसे नहीं थे। पुलिस हम पर समझौता करने के लिये विवश करती थी। आरोपी ठाकुर परिवार धमकाता था कि हम इतना पैसा पुलिस को दे देंगे कि कि वो कुछ नहीं बोलेगी।

कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रयागराज में दलित परिवार लगातार पुलिस के चक्कर काटता रहा, पुलिस ने उनकी नहीं सुनी और बेखौफ़ गुंडों ने पूरे परिवार की हत्या कर दी। बुल्डोजरनाथ से प्रदेश तो छोड़िए, पुलिस तक नहीं संभल रही है। हर खौफ़नाक घटना में या तो पुलिस संलिप्त है या फिर बेपरवाह है।

वहीं पीड़ित परिवार से मुलाक़ात के बाद यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा – “प्रयागराज के फाफामऊ में दलित परिवार के 4 लोगों की बर्बरता से हत्या हुई और उसी परिवार की नाबालिग के साथ गैंगरेप किया गया। सामंतवाद को भाजपा सरकार ने 5 सालों में खूब पाला-पोसा है। आज संविधान दिवस पर PM बड़ी दुहाई दे रहे थे लेकिन समानता की बात उप्र के CM को समझा नहीं पाए। BJP की सरकार में बार-बार वंचित समाज के लोगों का दमन किया जाता है। हाथरस में यही हुआ। पूरी सरकार और मशीनरी सामंतवादियों और दबंगों के साथ खड़ी रहती है। दलित विरोधी BJP – RSS से न्याय की उम्मीद बेमानी है।

उन्होंने आगे कहा कि उप्र की भाजपा सरकार में अत्याचार हर समय बढ़ता चला गया लेकिन सत्ता के घमंडी सोए रहे। बेटियों के साथ दुष्कर्म और उसके बाद भाजपा सरकारी तंत्र द्वारा न्याय का गला दबाना। यही ‘भाजपाई कार्यप्रणाली’ है, नतीज़ा सामने है।

क्या है मामला

इलाहाबाद जिले के फाफामऊ गोहरी गांव में ज़मीन की रंजिश में नाबालिग दलित से सामूहिक दुष्कर्म कर पूरे परिवार की कुल्हाड़ी से काटकर हत्या कर दी गई। फाफामऊ थाना क्षेत्र के एक गांव में इस सनसनीखेज वारदात को अंजाम मंगलवार रात दिया गया। दो दिन तक लाशें घर में ही पड़ी रहीं और किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी। गुरुवार सुबह इसकी जानकारी मिलने पर ग्रामीणों की भीड़ जुट गई। मौका- ए-वारदात और शवों की हालत उनकी दरिंदगी की दास्तां बयां कर रही थी। मृतकों पर पहले कुल्हाड़ी व फावड़े से हमला किया गया और फिर सिर पर सब्बल से वार कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया गया।

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक घर के बरामदे में दो चारपाइयों पर फूलचंद पासी (50)और दूसरे पर उसकी पत्नी मीनू (47) की लाश पड़ी थीं। बगल में ही ज़मीन पर बेटे शिव (10) की लाश पड़ी थी। मौके पर ही खून भी फैला था जो सूख चुका था तीनों के गर्दन पर धारदार हथियार जबकि सिर पर भारी हथियार से वार करने के ज़ख्म मिले। जबकि कमरे में बेटी सपना (17) का अस्त-व्यस्त शव चारपाई पर पड़ा मिला। उसके भी सिर व गदर्न पर ज़ख्म के निशान मिले। शव जिस हालत में मिला, उससे पूरी आशंका है कि उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया।

पुलिस सूत्रों का कहना है कि मौके व शवों की हालत देखकर यही लग रहा था कि पहले बरामदे में सो रहे दंपति व बेटे को मारा गया। इसके बाद किशोरी के साथ दरिंदगी कर कातिलों ने किशोरी को भी मार डाला।

पुलिसकर्मियों का मानना है कि हत्यारे बाउंड्री फांदकर घर में दाखिल हुए। फिर वारदात को अंजाम देने के बाद मुख्य दरवाजे से होकर भाग निकले। घटना बुधवार देर रात की है।

आरोपियों से पुलिस की मिलीभगत

मृतकों के परिजनों ने फाफामऊ थाने के प्रभारी निरीक्षक रामकेवल पटेल व सिपाही सुशील कुमार सिंह पर गंभीर आरोप लगाए हैं। तहरीर में भी दोनों का नाम लिखा है। दलित परिवार का आरोप है कि गांव में रहने वाले ठाकुर परिवार से उनका विवाद चल रहा था। एक महीना पहले उस परिवार के ख़िलाफ़ रिपोर्ट दर्ज़ कराई गई थी। पुलिस ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की उल्टा इस परिवार के ख़िलाफ़ छेड़खानी का मुक़दमा दर्ज़ कर दिया। परिवार ने आरोप लगाया है कि विपक्षी लगातार मारपीट, धमकाते रहे लेकिन उनकी पुलिस ने एक नहीं सुनी। उल्टा इंस्पेक्टर व सिपाही पीड़ित परिवार पर ही मुक़दमा वापस लेने और सुलह करने का दबाव बना रहे थे। इतना ही नहीं वह खुलेआम मुल्जिमों की मदद कर रहे थे। तहरीर में यह भी आरोप लगाया गया है कि उपरोक्त पुलिसकर्मियों की शह पर ही आरोपियों ने इतनी बड़ी वारदात को अंजाम दिया।

मृतक फूलचंद के भाई किशन ने आरोप लगाया कि ठाकुर विपक्षियों ने उनके परिवार का जीना मुश्किल कर रखा है। दो साल से उनका विवाद चल रहा है। कई बार उसके घर में घुसकर मारपीट की गई। राह चलते महिलाओं को धमकाया जाता था। थाने जाने पर हर बार शिकायत अनसुनी कर दी जाती थी। सितंबर 2019 में मारपीट, धमकी देने के मामले में सोरांव थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई। लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।

जबकि मामले में एससी-एसटी की धाराएं भी लगी थीं। इसी साल 21 सितंबर को रात 8.30 बजे घर में घुसकर आरोपियों ने न सिर्फ मारपीट बल्कि तोड़फोड़ भी की। और जान से मारने की धमकी देकर भाग निकले। घटना की सूचना पर डायल 100 की गाड़ी भी पहुंची लेकिन थाने जाने पर रिपोर्ट नहीं दर्ज की गई। एसएसपी कार्यालय में शिकायत पर आठ दिन बाद यानी 29 सितंबर को एफआईआर तो दर्ज की गई। लेकिन महज एक घंटे बाद ही विपक्षियों से तहरीर लेकर क्रॉस एफआईआर लिख दी गई। इसमें पीड़ित परिवार को ही मारपीट, धमकी देने के साथ ही छेड़छाड़ का भी आरोपी बना दिया गया।

मृतक के परिवार की सदस्य रीना देवी ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने उनके मुक़दमे में तो कोई कार्रवाई नहीं की। लेकिन विपक्षियों से साठगांठ कर उल्टा उनके ही परिवार के दो सदस्यों का शांतिभंग में चालान कर दिया। परिजनों ने आरोप लगाया कि उनकी शिकायतों पर फाफामऊ पुलिस गंभीर होती तो शायद यह वारदात न होती।

ठाकुर समुदाय के हैं आरोपी

मामले में नामजद कराए गए 11 लोगों में से चार आरोपियों को पुलिस ने हिरासत में लिया है। हिरासत में लिए गए लोगों में आकाश, रवि व मनीष, बबली (पत्नी अमित सिंह) शामिल है। मृतक के भाई ने जिन लोगों को नामजद कराया है उनमें उपरोक्त आरोपियों के अलावा अमित सिंह, अभय, राजा, रंचू, कुलदीप, कान्हा ठाकुर, अशोक सिंह शामिल हैं। एसपी गंगापार अभिषेक अग्रवाल ने बताया कि हिरासत में लिए गए आरोपियों से पूछताछ की जा रही है। जबकि अन्य की तलाश में टीमें लगाई गई हैं।

प्रयागराज रेंज के आईजी राकेश सिंह का कहना है कि “फिलहाल इंस्पेक्टर समेत दो पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया है। परिजनों ने जिन मुक़दमों के बारे में बताया है, उनके बारे में जानकारी कराई जा रही है। कार्रवाई में देरी हुई तो इसकी वजह क्या रही, यह भी पता लगवाया जा रहा है। जो भी दोषी होगा, उस पर कार्रवाई होगी। “

फाफामऊ में एक ही परिवार के चार दलितों की हत्या के मामले में पुलिस ने मृतक के भाई की तहरीर पर 11 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस ने सामूहिक हत्याकांड मामले में हत्या, दुष्कर्म, पाक्सो एक्ट और एससी-एसटी एक्ट में दर्ज किया है। सामूहिक हत्याकांड के इस मामले में पुलिस ने 17 संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में सिर पर गंभीर चोट से मौत की पुष्टि हुई है। साथ ही दुष्कर्म की आशंका को देखते हुए मां-बेटी की स्लाइड भी सुरक्षित की गई है। परिवार के चार लोगों की मौत के बाद भाई ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए थे।

(प्रयागराज से जनचौक संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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