Friday, March 29, 2024

शेहला राशिद मामले के पीछे का पूरा सच!

जेएनयू की पूर्व वाइस प्रेसिडेंट शेहला राशिद के पिता अब्दुल राशिद शोरा ने कल टीवी चैनलों पर एक बाइट दी कि शेहला की फ़ॉरेन फ़ंडिंग हो रही है, वे विदेश से पैसे लेकर भारत में अशांति की साज़िश रच रही हैं। इसके बाद टीवी मीडिया से लेकर ट्विटर पर शेहला के प्रति दुष्प्रचार चरम पर है। चूँकि आरोप किसी भाजपा नेता ने नहीं बल्कि शेहला राशिद के पिता ने लगाए हैं इसलिए जनसामान्य ये मानकर बैठ गया है कि ज़रूर ये बात सच होगी। लेकिन इसके पीछे कि कहानी सुनने के बाद शेहला आपको एक विलेन नज़र नहीं आएँगी बल्कि एक ऐसी नायिका नज़र आएँगी जिसपर कि पूरे भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को फ़क्र करना चाहिए। जब से शेहला पैदा हुईं हैं उन्होंने अपनी माँ को अपने पिता अब्दुल राशिद शोरा से पिटते हुए देखा है, जैसा कि आपने, हम सब ने अपने घरों में देखा है, मैंने स्वयं अपने घर में सेंकडों बार अपनी माँ को पिटते हुए देखा है, कितनी ही बार मेरी बहनें पिटती हुई माँ को देखकर माँ के पैरों से लिपट जाती थीं, इस उम्मीद में कि शायद माँ बच जाए। वे बच्ची ही थीं और मैं उनसे भी बहुत छोटा।

धीरे धीरे माँ ने प्रतिकार किया, चिल्लाना शुरू कर दिया। इसने माँ के साथ हुई घरेलू हिंसा को और अधिक बढ़ा दिया। कम ही उमर में मेरी बहनों की शादी कर दी गई, वे अधिक पढ़ लिख नहीं पाईं, माँ का साथ देने का उनका सफ़र उतना ही रहा कि पिटती हुई माँ और हाथ उठाते हुए पिता के बीच में आ जाती थीं, पर शेहला का सफ़र लम्बा गया। वे जेएनयू में पढ़ीं, उनकी ज़ुबान में आवाज़ आई, दिल्ली की सड़कों और जेएनयू के होस्टलों में स्त्री की स्वतंत्रता के नारे लगाए। शेहला और उनकी बहन बचपन में अपने हिंसक पिता का प्रतिकार न कर सकीं लेकिन विश्वविद्यालय में पढ़ने के बाद अपने हिंसक पिता का सामना करना शुरू कर दिया, चाहतीं तो वे भी अपनी माँ को ही चुप करातीं और कहतीं कि ऐसा ही होता है थोड़ा सह लो। लेकिन उन्होंने यथास्थितिवाद को चुनने की बजाय अपने पिता का हिंसक हाथ पकड़ लेना चुना, उन्होंने पीटते पिता और पिटती माँ के बीच अपनी माँ का पक्ष चुना।

घरेलू हिंसा करने वाला पिता एक तरफ़, दो बहादुर बेटियाँ और उनकी पीड़ित माँ एक तरफ़। यहीं से सारा मसला शुरू हुआ। बीते महीनों से शेहला और उसकी बहन ने अपनी माँ की लीगल लड़ाई लड़ रही हैं, अभी पिछले महीने यानी 17 नवम्बर के दिन स्थानीय कोर्ट का एक फ़ैसला आया जिसमें कोर्ट ने हिंसक पति और बदतमीज़ पिता की घर में एंट्री पर रोक लगा दी। पोस्ट का पहला फ़ोटो अदालत के जजमेंट की है।

ये मामला जस्ट अभी का नहीं है बल्कि पिछले दो तीन महीने से शेहला के पिता और शेहला की माँ के अलग होने की लीगल प्रोसेज चल रही है, इस मामले के और अधिक पीछे जाएँ तो साल 2005 में भी शेहला की माँ के साथ मारपीट का मामला स्थानीय इस्लामिक पंचायत में चला है तब एक स्थानीय इस्लामिक पंचायत ने शेहला के पिता के ग़ैरज़िम्मेदाराना व्यवहार के चलते उन्हें पंचायत में पेश होने के लिए नोटिस भी भेजा था। पोस्ट चस्पाँ दूसरा फ़ोटो उसी नोटिस का है।

आज शेहला और उसकी बहन जैसी दो बेटियाँ अपनी माँ के लिए लड़ रही हैं, जो अबतक एकदम घरेलू हिंसा का मामला था लेकिन शेहला के पिता ने इस मामले में शेहला को घेरने के लिए उनपर टेरर फ़ंडिंग का आरोप लगाया है। जिसे भाजपा और आरएसएस द्वारा प्रायोजित आइटी सेल के दो रुपे ट्वीट गैंग ने राजनीतिक बना दिया है। इस मामले में गौर करने वाली बात ये है कि टीवी मीडिया आपको सिर्फ़ और सिर्फ़ शेहला के पिता की बाइट्स दिखा रहा है लेकिन शेहला की माँ और उनकी दूसरी बेटी की कोई बात मीडिया में नहीं दिखाई जा रही है। ग़ज़ब की बात ये है कि शेहला के पिता ने इस बाबत एक भी सबूत पेश नहीं किया, मीडिया में भी बस यही कहा है कि “फ़ंडिंग विदेश से हो रही होगी क्योंकि वे अभी बेरोज़गार हैं”।

शेहला के पिता के आरोप गम्भीर हैं लेकिन उन आरोपों के लिए दिए तर्क एकदम निराधार और हास्यास्पद हैं। वे कह रहे हैं कि शेहला केंद्र की राजनीति छोड़कर जम्मू कश्मीर की राजनीति क्यों कर रही हैं। ये भी कोई तर्क हैं? कुलमिलाकर शेहला के पिता अपने अपराध बचने के लिए वर्तमान राजनीति में मुसलमानों के प्रति फैले पूर्वाग्रह की आड़ ले रहे हैं, घरेलू हिंसा का बदला राजनीति से ले रहे हैं। मैं शेहला की राजनीति से एकदम प्रभावित नहीं हूँ बल्कि बुर्के आदि को लेकर उनके बयानों के लिए उनका घोर आलोचक हूँ एक राजनीतिक के तौर पर मैं उन्हें अधिक पसंद भी नहीं करता लेकिन एक बेटी के रूप में उनके साहस को देखकर उनके माथे पर हाथ फेरने का मन हो आया है। शेहला की हिम्मत को देखकर शेहला की एजुकेशन से जलन महसूस हो रही है, काश मेरी बहनों को भी विश्वविद्यालय पढ़ने का मौक़ा मिलता और वे मेरी माँ के लिए उसी तरह लड़तीं जिस तरह शेहला और उसकी बहन लड़ रही हैं।

(श्याम मीरा सिंह का यह लेख उनकी फेसबुक वाल से साभार लिया गया है। इसमें दिए गए विचार उनके निजी हैं।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles