Saturday, April 20, 2024

बच्चों को शिक्षा से वंचित करना काफी चिंताजनक: ज्यां द्रेज

गत 10 दिसंबर को झारखंड के लातेहार जिला अंतर्गत मनिका में अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकर दिवस के अवसर पर विगत दो सालों से सरकार द्वारा  बन्द किये प्राथमिक स्कूल खोलने, पुलिसिया अत्याचार, वन विभाग का उत्पीड़न, महिला एवं बाल हिंसा रोकने जैसी मांगों को लेकर दो हजार से अधिक महिला, पुरुष और बच्चों ने विशाल रैली निकली। रैली स्थानीय हाई स्कूल से मुख्य पथ होते हुए प्रखंड परिसर में आम सभा में तब्दील हो गयी। रैली में शामिल लोग हाथों में तख्तियां लिए हुए स्कूल खोलो, किताब खोलो, बाल बुतरू का एक ही पुकार, झटपट स्कूल खोलो सरकार, जल, जंगल जमीन की लूट, नहीं किसी को इसकी छूट, पुलिसिया दमन बंद करो, वन विभाग का उत्पीड़न नहीं चलेगा जैसे नारे लगा रहे थे। रैली ग्राम स्वराज मजदूर संघ द्वारा संचालित थी।

प्रखण्ड परिसर में आयोजित इस आम सभा को संबोधित करते हुए शिक्षा से लम्बे समय तक वंचित किये जाने के मुद्दे पर प्रख्यात अर्थशास्त्री सह सामाजिक कार्यकर्त्ता ज्याँ द्रेज ने कहा कि बच्चों को शिक्षा से वंचित करना अत्यन्त गंभीर बात है। इससे देश शिक्षा के मामले में कई कदम पीछे छूट जा रहा है।

 वहीं झारखण्ड नरेगा वाच के राज्य संयोजक जेम्स हेरेंज ने कहा कि हाल के दिनों में आम लोगों पर पुलिसिया दमन बढ़े हैं। मनिका पुलिस निर्दोष ग्रामीणों को झूठे मुकदमों में फंसाने की साजिशें करती रही है। जुलाई महीने में रात के डेढ़ बजे बगैर किसी प्राथमिकी के ग्रामीणों की गिरफ्तारी की कोशिश इसका उदाहरण है। लेकिन दूसरी तरफ विशुनबांध गाँव में दो-दो बलात्कार की घटना में पीड़ितों को प्राथमिकी दर्ज न करने की कोशिश ने पुलिसिया चेहरे को बेनकाब कर दिया है। दूसरी ओर अपराध करने वालों तथा पूंजीपति ठेकेदारों के साथ साठ-गांठ कर प्रशासनिक अधिकारी उनको बचाने में लगे रहते हैं। 

साधवाडीह में अवैध पत्थर माईनिंग का विरोध करने वाले जुगेश्वर सिंह और सोमवती देवी ने बताया कि माईनिंग लीज पूर्णत: पेसा कानून में निहित ग्राम सभा के अधिकारों को दरकिनार करते हुए खनन विभाग के पदाधिकारियों ने दी है। अवैध  खनन की वजह से उस एरिया के घरों में दरार पड़ जा रहे हैं। फसलों में धूल पड़ जा रहे हैं। सड़कों पर चलना दूभर हो गया है। हाईवा गाड़ियों में ओवर लोडिंग के कारण सिंगल रोड में अक्सर बड़े- बड़े पत्थर गिर पड़ते हैं। इसके कारण जान-माल के खतरे का डर बना रहता है। आदिम जनजाति नेता सह ग्राम प्रधान महावीर परहिया ने पेसा कानून में ग्राम सभा के अधिकारों को मजबूती से लागू करने की मांग की साथ ही विगत कई सालों से अपने गाँव में ग्राम सभा के अधिकारों को सख्ती से लागू किये जाने की बात भी बताई।

 दुम्बी गांव की रहने वाली नेमी देवी ने कहा कि यह बात बहुत स्पष्ट है कि सरकार साजिश के तहत गांव घर के बच्चों को शिक्षा से वंचित कर रही है। क्योंकि वो वाजिब सवालों से घबराती है। शिक्षा से वंचित होने के कारण बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। 

भारत शिड्यूल एरिया एक्शन प्लान कमेटी लातेहार के जितेन्द्र ने कहा कि पांचवीं अनुसूची 1950 से देश के अनसूचित क्षेत्रों में लागू है। एक महीने पूर्व ही राज्य सरकार को क़ानूनी नोटिस निर्गत कर 5 वीं अनुसूची क्षेत्रों में सामान्य कानूनों को लागू किये जाने के बाबत जवाब मांगा गया है। 

विशुनबांध की महिला नेत्री मनोरमा देवी ने कहा कि हाल के दिनों में महिलाओं और बच्चियों पर यौन शोषण, डायन प्रताड़ना, तस्करी जैसे मामले बढ़े हैं। इन मुद्दों पर पुलिस का रवैया भी महिला विरोधी एवं जन विरोधी हो गया है। प्राथमिकी तक दर्ज करने से पुलिस पीड़ितों को मना कर दे रही है। 

 बताते चलें कि झारखंड में कोविड के नाम पर पिछले लगभग दो साल से प्राथमिक स्कूल बंद हैं। इस स्थिति में सरकार ने ऑनलाइन पढ़ाई की बात तो की लेकिन गांव के बच्चों व अभिभावकों को एन्ड्रायड मोबाइल के अभाव में ऑनलाइन पढ़ाई चू-चू का मुरब्बा साबित हुई। सर्वे में पाया गया कि बच्चे शब्दों को भी भूल चुके हैं, प्राथमिक कक्षा के ज्यादातर बच्चे वाक्य भी नहीं पढ़ पाते हैं। इस वर्ष के शुरू में देश के 15 राज्यों में किए गए सर्वेक्षण के निष्कर्षों में पाया गया कि प्राथमिक स्कूल के बच्चों में तीसरी कक्षा के केवल 25% बच्चे ही एक साधारण सा वाक्य पढ़ पाते हैं। ऐसे में झारखंड की स्थिति और भी बदतर है। 

बता दें कि ऐसे हालात में बच्चों के माता-पिता का गुस्सा फूटना स्वाभाविक है, जिसकी प्रतिक्रिया स्वरूप लातेहार जिला अंतर्गत मनिका में गत 10 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर उतर पड़े और प्रखंड कार्यालय का घेराव किया और अपनी बातें रखीं।

लोगों ने बताया कि वे अपने बच्चों के लिए निजी ट्यूशन का खर्च नहीं उठा सकते हैं, अतः वे चाहते हैं कि स्कूल जल्द से जल्द फिर से खुलें। उन्होंने कहा कि “अगर बाजारों, शादी पार्टियों और यहां तक कि क्रिकेट स्टेडियमों में भीड़ की अनुमति दी जाती है, तो स्कूल क्यों बंद रखे हैं ?” 

लोगों का कहना था कि मनिका से महज 50 किलोमीटर दूर डाल्टनगंज में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा संबोधित सभा में भारी भीड़ को प्रवेश करने की अनुमति दे दी जाती है। कुछ हफ्ते पहले ही भारत-न्यूजीलैंड क्रिकेट मैच के लिए रांची के क्रिकेट स्टेडियम में 40,000 लोगों को मैच देखने की अनुमति भी दी गई थी, लेकिन स्कूल खोलने के नाम पर कोविड का बहाना बनाया जाता है।

सभा के अंत में झारखण्ड के राज्यपाल से निम्नलिखित 5 सूत्री मांग पत्र प्रखंड विकास पदाधिकारी के माध्यम से की गई। 

1. कोविड 19 का हवाला देकर सरकार पिछले 2 सालों से प्राथमिक विद्यालयों को बन्द कर दी है, जिसके कारण छात्र-छात्राएँ बुनियादी शिक्षा जैसे संविधानिक अधिकारों से वंचित हैं. अत: विद्यालयों को तत्काल खोले जाने के का आदेश दिया जाए।

2. लातेहार के विभिन्न गांवों सहित राज्यभर के वन सीमा में रह रहे आदिवासियों और दलितों को वन विभाग के अधिकारी उनके जीविकोपार्जन के साधनों से बलपूर्वक वंचित कर रहे हैं। अत: वन अधिकार कानून 2006 को सख्ती से लागू किया जाए।

3. जिले के प्रशासनिक पदाधिकारियों, पुलिस पदाधिकारियों और पूंजीपति ठेकेदारों के आपसी गठजोड़ से ग्राम सभाओं के इजाजत के बिना प्राकृतिक संसाधनों का अवैध व धड़ल्ले से दोहन किया जा रहा है। जिससे जलवायु संकट और सामाजिक समरसता में असंतुलन पैदा हो रहा है। अत: जिले में चल रहे अवैध खनन लीज पर तत्काल रोक लगाई जाए।

4. मनिका थाना प्रभारी की कार्यशैली स्पष्टत: सिर्फ महिला विरोधी ही नहीं जनविरोधी भी है, वे उल्टे अपराधियों और पूंजीपति ठेकेदारों के पक्ष में कार्य कर रहे हैं। अत: ऐसे पुलिस पदाधिकारी को तत्काल निलंबित करते हुए मनिका थाना से हटाया जाए।

5. आगामी 24 दिसम्बर 2021 को पंचायत उपबन्ध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम 1996 के 25 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं, अत: झारखण्ड पेसा नियमावली को अधिसूचित करते हुए इसे सख्ती से लागू किया जाए।

(झारखंड से वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।)

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