परिसीमन में बढ़ा दी गयी हैं जम्मू की सीटें

भारत के ‘नये‘ केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के चुनावी परिसीमन की अंतिम रिपोर्ट की खबर मिलते ही सियासी हलचलें बढ़ गई हैं। देश की 42 बरस पुरानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), 130 वर्ष की कांग्रेस, जम्मू-कश्मीर के लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित पहले प्रधानमंत्री और फिर मुख्यमंत्री रहे दिवंगत शेख अब्दुल्ला की कायम नेशनल कांफ्रेंस (एनसी), भारत के पहले मुस्लिम केन्द्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बनाई और अभी उनकी बेटी एवं पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती द्वारा संचालित पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) आदि पार्टियां चुनावी तैयारी में जुटे नजर आए। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र रैना , कांग्रेस प्रदेश प्रभारी रजनी पाटिल, भीम सिंह की पैंथर्स पार्टी और इकजुट जम्मू नामक दल की आंतरिक बैठकों का सिलसिला जारी है। ‘अपनी पार्टी‘ नामक दल के अध्यक्ष सईद अल्ताफ बुखारी ने जम्मू में जुमे के दिन शुक्रवार को पार्टी की बैठक की।

मतदाता सूचियों का प्रकाशन

परिसीमन रिपोर्ट जारी होने के बाद निर्वाचन आयोग ने जम्मू कश्मीर में नई मतदाता सूचियों की तैयारी शुरू करने के लिए अपनी कमर कस ली है। उसकी अधिसूचना जारी होने के बाद मतदाता सूचियों को अपडेट करने का काम शुरू हो जाएगा। मुख्य चुनाव अधिकारी अनिल सलगोत्रा के मुताबिक अधिसूचना जारी होते ही मतदाता सूचियों की तैयारी शुरू कर दी जाएगी। 

परिसीमन

जम्मू कश्मीर परिसीमन आयोग ने अपनी अंतिम रिपोर्ट जारी कर दी है जिसकी बदौलत उसकी विधानसभा में सात सीट बढ़ाकर कुल 90 सीटें हो जाएंगी। इनमें कश्मीर डिवीजन में 47 और जम्मू संभाग में 43 सीटें होंगी। आयोग ने मोदी सरकार द्वारा राज्य से केंद्र शासित क्षेत्र बना दिए गए जम्मू-कश्मीर के विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन पर यह रिपोर्ट दिल्ली में इसी माह बैठक के बाद जारी की। मोदी सरकार ने आयोग को 6 मई 2022 तक रिपोर्ट दे देने कहा था। इससे पहले आयोग ने ड्राफ्ट रिपोर्ट जारी कर जम्मू-कश्मीर के लोगों से सुझाव मांगे थे। अब नया विधान सभा चुनाव कराने का रास्ता साफ हो गया। वहाँ चुनावी बिगुल कभी भी बज सकता है।

जम्मू संभाग में छह और कश्मीर डिवीजन में एक विधान सभा सीट बढ़ाई गई है। कुछ विधानसभा क्षेत्रों के नाम बदल दिए गए हैं। अनुसूचित जनजातियों के लिए जम्मू कश्मीर में नौ विधान सभा सीटों के आरक्षण का प्रावधान पहली बार हुआ है। अनुसूचित जातियों के लिए पहले से आरक्षित सात सीटों को बदला गया है। नई विधानसभा में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानि पीओके के लोगों को भी प्रतिनिधित्व मिल सकता है।

आयोग ने जम्मू-कश्मीर में लोकसभा सीटों में भी परिवर्तन किया है। सात लोकसभा सीटों में एक सीट कश्मीर और छह जम्मू संभाग में बढ़ाई हैं। पहले जम्मू संभाग में उधमपुर और डोडा की दो और कश्मीर में बारामुला, अनंतनाग और श्रीनगर की सीटें थीं। अनंतनाग सीट का नाम बदल कर अनंतनाग-राजोरी पुंछ कर दिया गया है जिसमें जम्मू संभाग से दो जिले राजोरी और पुंछ निकालकर डाल दिए गए हैं। हर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में अब 18 विधानसभा सीटें होंगी। उधमपुर सीट से रियासी जिले को निकालकर जम्मू में जोड़ा गया है।

राज्य पुनर्गठन अधिनियम में विधानसभा की सात सीटें बढ़ाने का प्रावधान है। केंद्र शासित प्रदेश बनने से पहले विधानसभा में 87 सीटें थीं जिनमें चार लद्दाख की थीं। लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बना देने 83 सीटें ही बची थीं जिसे बढ़ा कर 90 कर दिया गया है।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव इसी बरस अक्तूबर तक हो सकते हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हाल में कहा था परिसीमन प्रक्रिया जल्द पूरी कर अगले कुछ माह में विधानसभा चुनाव सम्पन्न करा दिए जाएंगे। ये चुनाव वार्षिक अमरनाथ यात्रा के बाद हो सकते हैं, जो इस बार एक जुलाई से शुरू होकर 15 अगस्त को खत्म होनी है। यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए प्रदेश में केंद्रीय अर्ध सैनिक बल की तैनात की जाने वाली कंपनियों को चुनाव ड्यूटी पर लगाने में आसानी होगी।

केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद जम्मू कश्मीर में नए परिसीमन के लिए सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में आयोग बनाया गया।  जम्मू-कश्मीर में आखिरी परिसीमन 1995 में हुआ था। तब जम्मू-कश्मीर में 12 जिले और 58 तहसीलें थीं। अभी  20 जिले हैं और 270 तहसील हैं। पिछला परिसीमन 1981 की जनगणना के आधार पर हुआ था। इस बार आयोग 2011 की जनगणना के आधार पर परिसीमन किया है। परिसीमन में जनसंख्या के अलावा क्षेत्रफल, भौगोलिक परिस्थिति, संचार सुविधा आदि पर विचार  किया गया। जम्मू-कश्मीर में 1963, 1973 और 1995 में भी परिसीमन हुआ था।

(सीपी नाम से चर्चित पत्रकार,यूनाईटेड न्यूज ऑफ इंडिया के मुम्बई ब्यूरो के विशेष संवाददाता पद से दिसंबर 2017 में रिटायर होने के बाद बिहार के अपने गांव में खेतीबाड़ी करने और स्कूल चलाने के अलावा स्वतंत्र पत्रकारिता करते हैं।)

चंद्र प्रकाश झा
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चंद्र प्रकाश झा