Friday, April 26, 2024

रातों-रात बदले पंजाब कांग्रेस के समीकरण

पंजाब कांग्रेस में अचानक और आश्चर्यजनक रूप से समीकरण बदल रहे हैं। इसे इस तरह भी ले सकते हैं कि सियासत में करिश्मे खूब होते हैं! ठीक एक दिन पहले अपनी ही सरकार पर हमलावर होने वाले और अतीत में लगातार होते रहे पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने एक साथ केदारनाथ धाम की यात्रा की तथा उसी शाम चंडीगढ़ में एक बैठक में बकायदा यह संदेश दिया कि ‘हम साथ साथ हैं!’

ठीक इसी दिन पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने विधिवत तौर पर कांग्रेस से इस्तीफा देकर अपनी नई पार्टी ‘पंजाब लोक कांग्रेस’ की घोषणा कर दी। हालांकि राजनीतिक तौर पर कैप्टन के हाथ फिलहाल खाली हैं। फौरी तौर पर कोई विधायक या सांसद उनके साथ नहीं आया है। करीब अस्सी साल के होने को आए दिग्गज नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भाजपा की बैसाखियों के सहारे नई पार्टी का ऐलान किया है, इस तथ्य से सभी वाकिफ हैं।

खैर, सूबे में ज्यादा चर्चा इसे लेकर है कि आखिर नवजोत सिंह सिद्धू और चरणजीत सिंह चन्नी की ताजा ‘मिलनी’ के पीछे क्या है? रातों-रात ऐसा क्या हुआ कि सिद्धू के तेवर ढीले पड़ गए और मुख्यमंत्री भी नरम। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के पंजाब प्रभारी हरीश चौधरी ने दोनों के बीच विशेष बैठक करवाई और जिसमें फैसला हुआ कि चन्नी प्रशासनिक स्तर पर पूरा जोर लगाएं और सिद्धू संगठन को ज्यादा से ज्यादा मजबूत करें। एक ‘समझौता’ हुआ। जिसके तहत तय हुआ कि अगर पंजाब में आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस बहुमत में आती है तो अढ़ाई साल चरणजीत सिंह चन्नी मुख्यमंत्री रहेंगे और बाद में नवजोत सिंह सिद्धू।

पंजाब के एक वरिष्ठ मंत्री और नेता ने नाम न छापने की शर्त पर इस बात की पुष्टि की। बताया जाता है कि केदारनाथ धाम की यात्रा के बाद जब दोनों पंजाब प्रदेश कांग्रेस के पूर्व प्रभारी हरीश रावत से देहरादून में मिले तो उन्होंने भी इस पर अपनी सहमति दी। हालांकि मीडिया खबरें यह भी हैं कि पहले हरीश रावत से आधे घंटे की अलग मुलाकात में मुख्यमंत्री ने सिद्धू की जमकर शिकायत की। सूत्रों के मुताबिक रावत ने चन्नी को आश्वस्त किया कि वह पूरा मामला आलाकमान के आगे रखेंगे। उसके बाद उन्होंने सिद्धू से बात की। फिर तीनों और हरीश चौधरी बैठे।

इसके बाद नवजोत सिंह सिद्धू के तेवर बिल्कुल बदल गए। उन्होंने केदारनाथ धाम यात्रा की तस्वीरें ट्विटर पर डालते हुए टिप्पणी की कि ‘जिंदगी नाजुक है, अरदास से इसे संभालिए।’ दूसरी तरफ चरणजीत सिंह चन्नी ने ट्वीट किया, ‘उत्तराखंड के केदारनाथ तीर्थ स्थल पर मत्था टेका और पंजाब की तरक्की तथा लोगों की खुशहाली की अरदास की।’ यानी दोनों के ट्वीट में तल्खी भरा कुछ नहीं था। राज्य के सियासी गलियारों में हैरानी प्रकट की जा रही है कि कल तक चन्नी की घेराबंदी करने वाले सिद्धू आज उनके साथ प्रेमालाप भरीं फोटो शेयर कर रहे हैं।

केदारनाथ वापसी के फौरन बाद पंजाब मंत्रिमंडल की बैठक हुई। इसमें नवजोत सिंह सिद्धू ने भी शिरकत की। बैठक के बाद सिद्धू ने कहा, ‘सब अच्छा है!’ इस बैठक में पंजाब प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी विशेष रूप से शामिल थे। हालांकि यह बैठक इसलिए भी बुलाई गई कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के बाद के घटनाक्रम का विश्लेषण किया जाए। पार्टी के लगभग तमाम विधायक इस बैठक में पहुंचे।

दरअसल, कैप्टन का नया कदम चरणजीत सिंह चन्नी और नवजोत सिंह सिद्धू, दोनों के लिए एक समान राजनीतिक चुनौती है। हाल-फिलहाल कैप्टन के साथ राज्य कांग्रेस का कोई बड़ा नेता, विधायक या सांसद खुलकर नहीं है लेकिन टिकट वितरण के दौरान आलम बदल सकता है। तब कांग्रेस में बड़ी बगावत की आशंका है। न्यूनतम ताकत होने के बावजूद कैप्टन ने चन्नी और सिद्धू के सियासी वजूद को जबरदस्त चुनौती तो दे ही दी है।

खैर, कहा नहीं जा सकता कि सिद्धू-चन्नी की नई जुगलबंदी कितनी दूर तक जाएगी लेकिन राज्य कांग्रेस के भीतर से ही कुछ वरिष्ठ नेताओं की भौंहें तन गईं हैं। पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील कुमार जाखड़ ने ट्वीट करके तंज कसा कि, “कुछ राजनीतिक श्रद्धालु हर देवता को खुश करने की कोशिश कर रहे हैं।” साफ तौर पर उनकी टिप्पणी मुख्यमंत्री तथा नवजोत सिंह सिद्धू की हरीश रावत से मुलाकात पर है। वहीं लुधियाना से सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने ट्वीट किया कि कांग्रेस के जो चेहरे उत्तराखंड में इकट्ठे दिखाई दे रहे हैं, वे पंजाब में क्यों दिखाई नहीं देते!’

(पंजाब से वरिष्ठ पत्रकार अमरीक सिंह की रिपोर्ट।)

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