Saturday, April 20, 2024

सुप्रीम कोर्ट ने एनजीओ के एफसीआरए लाइसेंस बढ़ाने की मांग वाली याचिका ठुकराई

विदेशी चंदे के लिए 6,000 से ज्यादा एनजीओ के एफसीआरए लाइसेंस रद्द करने के मामले में उच्चतम न्यायालय से गैर सरकारी संगठनों को राहत नहीं मिली है।उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को एफसीआरए लाइसेंस जारी रखने की अनुमति देने के लिए अंतरिम राहत की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने सुरक्षा देने के लिए अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया है। पीठ ने कहा है कि ये संगठन अपने लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए केंद्र को प्रतिनिधित्व दें और केंद्र इन पर कानून के अनुसार फैसला ले।

सॉलिसीटर जनरल ने पीठ को बताया कि कट-ऑफ तारीख के भीतर आवेदन करने वाले 11,594 गैर सरकारी संगठनों के एफसीआरए पंजीकरण बढ़ा दिए गए हैं। इनमें वे संगठन शामिल हैं, जो अगले आदेश तक 30.09.2021 तक वैध थे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। विदेशी योगदान नियमन अधिनियम के तहत 6000 से अधिक गैर सरकारी संगठनों के लाइसेंस की समाप्ति को चुनौती देते हुए जनहित याचिका दायर की गई थी।

याचिकाकर्ता-एनजीओ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने अगले दो सप्ताह के भीतर गैर सरकारी संगठनों के एफसीआरए लाइसेंस का विस्तार करने के लिए एक वैकल्पिक निर्देश देने की प्रार्थना की। पीठ ने अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। पीठ ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता के पास कोई सुझाव है तो वह अधिकारियों को एक अभ्यावेदन दे सकता है और अधिकारी उसके गुण-दोष के आधार पर उस पर विचार कर सकते हैं।

सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने गृह मंत्रालय के निर्देशों के आधार पर पीठ को बताया कि कट-ऑफ तारीख के भीतर नवीनीकरण के लिए आवेदन करने वाले 11,594 गैर सरकारी संगठनों के एफसीआरए लाइसेंस बढ़ा दिए गए हैं। सॉलिसीटर जनरल ने याचिकाकर्ता-संगठन के ठिकाने पर भी सवाल उठाते हुए कहा, “ह्यूस्टन की एसोसिएशन को इस मुद्दे पर परेशान क्यों होना चाहिए। मुझे नहीं पता कि इस जनहित याचिका का उद्देश्य क्या है। कुछ तो गड़बड़ है”।

हेगड़े ने कहा कि याचिकाकर्ता के अनुसार, 6000 से अधिक संगठनों के लाइसेंस रोक दिए गए हैं। पीठ ने कहा कि उन गैर सरकारी संगठनों ने हाल के संशोधनों के बाद नई एफसीआरए व्यवस्था के तहत आवेदन नहीं करने का विकल्प चुना होगा।

पीठ ने कहा कि हमने अंतरिम राहत पर पक्षों के वकील को सुना। याचिकाकर्ताओं ने अंतरिम निर्देश मांगे हैं कि सभी संगठन जिनके एफसीआरए लाइसेंस 30 सितम्बर 2021 तक वैध थे, उन्हें अगले आदेश तक जारी रहना चाहिए। जवाब में सॉलिसीटर जनरल ने निर्देश प्रस्तुत किये हैं कि 11, 594 एनजीओ जिन्होंने पहले ही कट-ऑफ समय के भीतर आवेदन किया था और उनके पंजीकरण को समय के लिए बढ़ा दिया गया है। अधिकारियों के इस रुख के आलोक में हम प्रार्थना के अनुसार कोई अंतरिम आदेश पारित करने का इरादा नहीं रखते। यदि याचिकाकर्ताओं के पास कोई अन्य सुझाव है तो वे अधिकारियों के समक्ष एक अभ्यावेदन दाखिल कर सकते हैं, जिस पर अधिकारियों द्वारा अपने गुण-दोष पर विचार किया जा सकता है। एफसीआरए संशोधनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अदालत द्वारा फैसला सुनाए जाने के बाद रिट याचिका पर अगली सुनवाई की जाएगी।

याचिका ग्लोबल पीस इनिशिएटिव द्वारा दायर की गई थी, जो कि टेक्सास राज्य, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित एक संगठन है। इसके कार्यालय दुनिया भर में हैं। याचिकाकर्ता और एक इंजीलवादी डॉ. केए पॉल संगठन के संस्थापकों में शामिल हैं। याचिकाकर्ताओं ने अदालत से केंद्र सरकार को विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 की धारा 50 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करने और सभी गैर-सरकारी संगठनों को अधिनियम के संचालन से COVID-19 महामारी जारी रहने तक छूट देने का निर्देश देने का आग्रह किया था। याचिका में कहा गया है कि लाइसेंस रद्द करने से कोविड-19 राहत प्रयासों को कमजोर कर सकता है क्योंकि देश कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर और इन 6,000 एनजीओ द्वारा किए गए कार्यों से अब तक लाखों भारतीयों को मदद मिली है।

यह भी तर्क दिया गया कि इन गैर सरकारी संगठनों द्वारा किए गए कार्यों ने लाखों भारतीयों की मदद की और इन हजारों गैर सरकारी संगठनों के एफसीआरए पंजीकरण को “अचानक और मनमाने ढंग से रद्द करना” संगठनों, उनके कार्यकर्ताओं के साथ-साथ उन लाखों भारतीयों के अधिकारों का उल्लंघन करता है, जिनकी वे सेवा करते हैं। याचिका में कहा गया कि महामारी से निपटने में गैर सरकारी संगठनों की भूमिका को केंद्र सरकार, नीति आयोग और खुद प्रधानमंत्री कार्यालय ने स्वीकार किया है।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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