Friday, March 29, 2024

भारत में कोरोना की तीसरी लहर में फुल लॉकडाउन की जरूरत नहीं: विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन

दैनिक जागरण में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने कहा है कि भारत में कोरोना वायरस की तीसरी लहर के बावजूद फुल लाकडाउन लगाने की जरूरत नहीं है। संगठन ने कहा है कि भारत जैसे देश में कोरोना को फैलने से रोकने लिए फुल लाकडाउन और यात्राओं पर प्रतिबंध जैसे कदम नुकसान पहुंचा सकते हैं। संगठन ने लाकडाउन का एक नया फार्मूला बताया है। संगठन ने कहा कि भारत को तीसरी लहर से लड़ने के लिए रिस्‍क के हिसाब से बैन लगाने के लिए रणनीति बनानी चाहिए।

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने दूसरी लहर से सबक लेते हुए इस बात पर जोर दिया है कि लोगों की जान और रोजगार दोनों को ही बचाना जरूरी है। संगठन ने कहा कि भारत और दुनिया भर में पब्लिक हेल्थ एक्शन तय करने के लिए चार सवालों के जवाब जानने चाहिए। संगठन ने कहा कि यह देखना जरूरी है कि यह वैरिएंट कितना संक्रामक है। उससे कितनी गंभीर बीमारी होती है। इसके अलावा वैक्सीन और पिछले कोरोना इन्फेक्शन कितना सुरक्षा दे रहे हैं। संगठन ने कहा कि आम लोग खतरे को कैसे देखते हैं और इसे रोकने के उपायों को कैसे फालो करते हैं। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन का कहना है भारत में फुल लाकडाउन जैसे उपायों के फायदे कम और नुकसान ज्यादा हैं।

संगठन ने कहा वह पूरी तरह से यात्रा को प्रतिबंधित या लोगों के आवागमन रोकने का सुझाव नहीं देता है। ऐसे प्रतिबंध लगाने से फायदे से ज्यादा नुकसान होता है। ऐसे में भारत की आर्थिक व्‍यवस्‍था पर असर पड़ेगा। भारत जैसे देश में जहां आबादी के बंटवारे में इतनी विविधता है, वहां महामारी से लड़ने के लिए रिस्क-बेस्ड अप्रोच को फालो करना समझदारी लगती है। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने कहा कि मौजूदा हालातों, हेल्थ सेक्टर की क्षमताओं और सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को देखते हुए सरकार को महामारी रोकने के लिए उपाय तैयार करने चाहिए। अगर सभी नियमों का पालन किया जाएगा तो लाकडाउन लगाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।

संगठन का कहना है कि भारत में कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए मास्क और वैक्सीन कवरेज असरदार उपाय है। अभी जो हालात हैं, उसमें मौजूदा टूल्स और उपाय असरदार साबित हो रहे हैं। वैक्सीनेशन कवरेज बढ़ाने, मास्क का इस्तेमाल करने, हाथों का हाइजीन और शारीरिक दूरी बनाए रखने, इनडोर स्पेस को वेंटिलेट करने और भीड़ में नहीं जाने से संक्रमण की चेन को तोड़ने में मदद मिलती है। अगर इन सबका पालन हो रहा है तो लाकडाउन जरूरी नहीं है।

वहीं दूसरी तरफ गाजियाबाद स्थिति यशोदा अस्‍पताल के एमडी डा. पीएन अरोड़ा का कहना है कि इस वक्‍त देश में स्‍वास्‍थ्‍य का आधारभूत ढांचा मजबूत हुआ है। कोरोना की पहली लहर और दूसरी लहर के बाद देश में स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं मजबूत हुई हैं। आज देश में करीब 18.03 लाख आइसोलेशन बेड का इंतजाम है। इसके अलावा 1.24 लाख आइसीयू बेड के इंतजाम हैं। देश में 3.236 आक्‍सीजन के प्‍लांट हैं। इनकी क्षमता 3,783 मीट्रिक टन है। 1,14 लाख आक्‍सीजन कंसंट्रेटर केंद्र ने राज्‍य सरकार को मुहैया कराए हैं।

उनका कहना है कि देश में 150 करोड़ वैक्‍सीन के डोज दिए जा चुके हैं। इसमें 64 फीसद आबादी को एक डोज मिल चुकी है और 46 फीसद आबादी को वैक्‍सीन की दो डोज लग चुकी है। ऐसे में यह उम्‍मीद कम ही है देश में कठोर लाकडाउन की स्थिति नहीं बनेगी। फ‍िलहाल कुछ राज्‍यों को छोड़ दिया जाए तो स्थिति काबू में है। लाकडाउन से बचने के लिए हमें सरकार की गाइड लाइन और सुझावों पर कठोरता से अमल करना होगा। कोरोना प्रोटोकाल को कड़ाई से पालन करना होगा।

बता दें कि दुनियाभर में ओम‍िक्रोन के बढ़ते प्रकोप के चलते एक बार फ‍िर लॉकडाउन का मामला जोर पकड़ रहा है। दुनिया के कई देशों ने तीसरी लहर को रोकने के लिए अपने देश में लॉकडाउन लगा भी दिया है। भारत में तीसरी लहर की दस्‍तक हो चुकी है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्‍या भारत में लॉकडाउन की जरूरत होगी। खासकर तब जब भारत के सात राज्‍य कोरोना से बुरी तरह से प्रभावित हैं। इसलिए भारत में दबी जुबान से लॉकडाउन की बात चल रही है। लॉकडाउन का नाम आते ही देश की जनता सहम जाती है, क्‍योंकि दूसरी लहर में उसने देश को बर्बादी के कगार पर देखा है। इस पर विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने भी भारत के लिए कुछ उक्त सुझाव दिए हैं। जिसके आलोक में भारत में लॉकडाउन की जरूरत नहीं है पर प्रकाश डाला गया है।

वहीं दूसरी तरफ गाजियाबाद स्थिति यशोदा अस्‍पताल के एमडी डा. पीएन अरोड़ा ने भी लॉकडाउन की जरूरत को खारिज करते दिख रहे हैं।

(वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।)

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