Friday, March 29, 2024

झारखंड में अवैध खनन के दौरान चाल धंसने से 23 की मौत

झारखंड के निरसा के कापासारा आउटसोर्सिंग में गोपीनाथपुर में 1 फरवरी की सुबह लगभग पांच बजे अवैध खनन के दौरान चाल धंसने से 23 लोगों की मौत मौके पर ही हो गयी, जबकि आधा दर्जन से अधिक लोग घायल हो गये। घटना घटते ही वहां अफरा-तफरी मच गयी और सभी भाग खड़े हुए। देखते ही देखते खदान में सन्नाटा पसर गया, मृतकों के शवों को उनके साथी निकाल कर भागने लगे, घायलों को गुप्त रूप से इलाज कराने ले जाया गया।

मृतक बाहर से लाये गये मजदूर थे। उसके कारण कोई हो हल्ला नहीं हो पाया। सूचना पाकर एग्यारकुंड के सीओ अमृता कुमारी दोपहर दो बजे घटनास्थल पहुंची व जानकारी लीं। लेकिन वहां सन्नाटा पसरा था। प्रबंधन व पुलिस ने यहां कोई घटना होने से इनकार किया है। बताया जा रहा है कि सुबह चार बजे एक हजार के आस पास महिला-पुरुष अवैध रूप से मुहाना बना कर कोयला काट रहे थे। इसी दौरान आचानक ऊपर से काफी मात्रा में पत्थर व मलबा आ गिरा।

घटना के बाद ईसीएल प्रबंधन, प्रशासन व पुलिस की निष्क्रियता देखने को मिली। मामला तूल पकड़ने के बाद सभी एजेंसियां एक्टिव हुईं। घटना मंगलवार सुबह 4:45 बजे की है, लेकिन 9 घंटे बाद रेस्क्यू कार्य शुरू किया गया। 12 बजे से अधिकारी मौके पर पहुंचने लगे और करीब 2 बजे से रेस्क्यू कार्य शुरू हुआ। शाम 6 बजे तक चले रेस्क्यू में एक के बाद एक शवों का निकलने का सिलसिला शुरू हुआ। मलवे से चार महिलाएं सहित एक पुरुष का शव मिला। रेस्क्यू के नाम पर पूरा अमला मौके पर मौजूद था, लेकिन मलवा से शव के निकलने के बाद उसे ले जाने की बारी आई तो कोई सामने नहीं आया।

स्थानीय लोगों ने ही मलवा से शव को निकाल कर गाड़ी पर लदाने का काम किया। इधर, घटना के बाद आलम यह था कि मलवे में दबे लोगों के परिजन दूर नम आंखों से शव का निकलने का इंतजार कर रहे थे। कानूनी कार्रवाई के डर से सामने नहीं आ रहे थे। स्थिति यह थी पुलिस पोस्टमार्टम के बाद शव परिजन लेने से इस लिए डर रहे थे कि कहीं उनका नाम पुलिस फाइल में दर्ज न हो जाए।

गोपीनाथपुर में 500 से अधिक लोग कर रहे थे खनन

गोपीनाथपुर आउटसोर्सिंग में प्रतिदिन की तरह 1 फरवरी को तड़के करीब चार बजे आसपास के गांवों के 500 से अधिक महिला-पुरुष व बच्चे अवैध खनन में जुटे थे। इसीएल प्रबंधन ने जहां पहले ट्रेंच कटिंग कर कोयला निकाला था, लोग उसी जगह छोटा-छोटा मुहाना बनाकर कोयला काट रहे थे। इसी दौरान गोपीनाथपुर कार्यालय से सटे सरफेस से करीब 100 फीट नीचे भरभराकर मलबा गिर पड़ा। करीब 50 फीट ऊपर से 50 फीट एरिया में मलबा गिरने से खनन करने वाले तकरीबन 40 लोग उसकी चपेट में आ गए।

अरूप की चेतावनी के बाद प्रबंधन ने पुनः शुरू कराया मलबा हटाना

पूर्व विधायक अरूप चटर्जी सुबह ही गोपीनाथपुर पहुंचे थे। उन्होंने घटना की जानकारी उपायुक्त, एसएसपी सहित अन्य अधिकारियों को दी और कहा कि जब तक यहां से मलबा नहीं निकाला जायेगा, वह हटेंगे नहीं। बढ़ते दबाव को देखकर जिला प्रशासन एवं इसीएल प्रबंधन को जेसीबी लगाकर शव निकालना पड़ा। इससे पहले सुबह जब भीड़-भाड़ थी तो कोलियरी प्रबंधन द्वारा जेसीबी लगायी गयी थी। लेकिन भीड़-भाड़ देख प्रबंधन ने जेसीबी को हटा लिया था।

घटनास्थल पर आक्रोश में थे लोग, प्रशासन ने किया शांत

निरसा बताया जाता है कि घटना के बाद पूर्व विधायक अरूप चटर्जी ने उपायुक्त समेत सभी अधिकारियों को घटना की सचूना दी, उसके बाद सभी अधिकारी घटनास्थल पहुंचे. घटनास्थल पर एसडीएम प्रेम कुमार तिवारी, निरसा सीओ नितिन शिवम गुप्ता, एसडीपीओ पीतांबर सिंह खरवार, निरसा थाना प्रभारी दिलीप यादव, इसीएल मुगमा एरिया के जीएम विभाष चंद्र सिंह, सीआइएसएफ के कमांडर, इसीएल मुख्यालय के सुरक्षा अधिकारी पहुंचे। गोपीनाथपुर स्थित घटनास्थल पर दोपहर दो बजे के बाद रेस्क्यू शुरू किया गया। इस दौरान आसपास के कई गांवों के लोग जमा हो गये। ग्रामीणों को रह-रह कर आक्रोशित होते देखा गया। हालांकि पुलिस व सीआईएसएफ ने उन्हें समझा कर शांत करा दिया।

सीवी एरिया, बीसीसीएल के अभिकर्ता पीके बनर्जी बताते हैं ‘हाल के कुछ महीने में जमीन विवाद के कारण आउटसोर्सिंग का काम-काज बंद है, वहां कोयला का उत्पादन नहीं हो रहा है। सीआईएसएफ व होमगार्ड भी नहीं हैं। अवैध खनन के दौरान मरने की कोई जानकारी नहीं है।’

मुगमा जीएम विभाष चंद्र सिंह ने कहा कि ‘गोपीनाथपुर में पांच लोगों की मृत्यु अवैध खनन के दौरान हुई है। मैंने लगातार अवैध उत्खनन के खिलाफ अभियान छेड़ कर रखा है। अवैध उत्खननकर्ताओं द्वारा मेरे ऊपर व सुरक्षा टीम पर हमला भी किया गया था। गोपीनाथपुर खदान को फ्लाई ऐश से भरने के लिए उपायुक्त को पत्र भी दिया गया है। पांच लोगों के दबने से यहां मृत्य हुई है।’

ग्रामीण एसपी रिष्मा रमेशन ने कहा कि पांच महिला-पुरुषों का शव रेस्क्यू कर निकाला गया है। दोषियों पर कार्रवाई होगी। इसीएल प्रबंधन ने नामजद शिकायत नहीं दी है, इसलिए अज्ञात पर प्राथमिकी दर्ज की गयी है। अवैध मुहानों की भराई करवायी जाएगी। अवैध खनन रोकने के लिए कड़ी कार्रवाई की जा रही है। लगातार पुलिस छापेमारी भी कर रही है।’

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि “कुछ लोगों के हताहत होने की सूचना मिली है। प्रशासन बचाव कार्य में जुटा है। परमात्मा दिवंगत आत्माओं को। शांति प्रदान कर परिवार को दुख की विकट घड़ी में सहन करने की शक्ति दे। घायलों को मदद पहुंचायी जा रही है”।

उपायुक्त संदीप सिंह ने बताया कि “पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज करायी है। खदानों का संचालन डीजीएमएस की तरफ से जारी होने वाले एसओपी पर ही होता है। जिला खनन पदाधिकारी से रिपोर्ट मांगी गयी है। कहां पर चूक हुई है, पड़ताल करने को कहा गया है”। संजीव कुमार, एसएसपी ने कहा कि “पुलिस के वरीय पदाधिकारी एवं कर्मियों तथा जिला प्रशासन द्वारा घटनास्थल का भौतिक निरीक्षण व सत्यापन किया गया। ग्रामीण एसपी रिष्मा रमेशन, एसडीएम प्रेम तिवारी व अन्य कर्मी युद्धस्तर पर लगे हैं”।

बताते चलें कि इसीएल मुगमा क्षेत्र अंतर्गत स्थित गोपीनाथपुर ओसीपी चालू है, पर यहां उत्पादन का कार्य पिछले दो-तीन माह से बंद है। खदान में पानी भरा हुआ है, पर इसीएल प्रबंधन ने ओसीपी का करीब 200-300 मीटर कोयले की सीम का मुहाना खुला छोड़ रखा है। कोयला की सीम के ऊपर लूज ओबी की डंपिंग की गयी है।

इसीएल प्रबंधन को नियमतः कोयला सीम को ढंक कर रखना चाहिए था, परंतु वहां से पिछले कई दिनों से अवैध रूप से कोयले की कटाई चल रही थी। दुर्घटना में हुई मौत के लिए स्थानीय ग्रामीण व जनप्रतिनिधि पूरी तरह से इसीएल प्रबंधन को जिम्मेदार मानते हैं। उनका आरोप है कि इसीएल प्रबंधन को अपनी चालू खदान में बड़े पैमाने पर चल रहे अवैध खनन की जानकारी नहीं थी। अगर जानकारी थी तो सीम व मुहाने की भराई इसीएल प्रबंधन ने क्यों नहीं करायी।

धनबाद, कोयला खदानों में अवैध उत्खनन’ की घटनाएं आम हैं। कोयला के अवैध कारोबार के कारण ही कई बार गैंगवार जैसी स्थिति भी उत्पन्न होती रही है। अवैध खनन में आये दिन मौत की खबरें भी मिलती रहती हैं। कोयला मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक विगत पांच वर्षों (2016-17 से 2020-21 तक) के दौरान कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनी बीसीसीएल, एनसीएल, डब्ल्यूसीएल, एसईसीएल, एमसीएल में कोयला के अवैध उत्खनन के संदर्भ में एक भी एफआईआर दर्ज नहीं की गयी है, जबकि सर्वाधिक एफआईआर इसीएल द्वारा दर्ज कराई गयी है।

आंकड़ों के मुताबिक कोल कंपनियों द्वारा दर्ज कुल 633 मामलों में सर्वाधिक 603 मामले इसीएल द्वारा दर्ज करायी गयी है, जबकि सीसीएल द्वारा 11 व एनईसीएल द्वारा 19 मामले दर्ज कराये गये हैं। विभिन्न कोल कंपनियों द्वारा वित्तीय वर्ष 2020-21 में 17, वर्ष 2019-20 में 243, वर्ष 2018-19 में 263 वर्ष 2017-18 में 94 व वर्ष 2016-17 में कुल 16 एफआईआर दर्ज करायी गयी है। यानी सर्वाधिक एफआईआर वित्त वर्ष 2019 – 20 व 2018-19 में दर्ज करायी गयी है। उनमें बीसीसीएल में अवैध कोयला उत्खनन के एक भी प्रकरण शामिल नहीं हैं। केवल इसीएल, सीसीएल एवं एनईसी में ही अवैध कोयला उत्खनन के प्रकरण में प्राथमिकी दर्ज हुई है।

कैसे चलता है अवैध खनन का धंधा

बता दें कि निरसा पुलिस अनुमंडल के विभिन्न थाना व ओपी क्षेत्र में अवैध कोयला खनन करने के लिए मजदूर पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल के साथ-साथ जामताड़ा, मिहिजाम से आते हैं, पड़ोसी राज्य बंगाल में इन दिनों कोयला के अवैध खनन का कारोबार नहीं होने के कारण कुल्टी, आसनसोल, निघा सहित अन्य क्षेत्रों से सैकड़ों की संख्या में खनन करने में एक्सपर्ट आते हैं और कोयला खनन करते हैं। खनन के दौरान यदि कोई घटना घट जाती है, तो कोई हो हंगामा भी नहीं होता है, क्योंकि यहां कोई नाम लेने वाला ही सामने नहीं आता है।

कोयला खनन कराने वाला ठेकेदार उन लोगों के रहने व खाने की पूरी व्यवस्था भी करते हैं। दर्जनों ऐसे भी लोग हैं जो शाम के समय आते हैं और रात भर कोयला का खनन कर मजदूरी लेकर पुनः वापस चले जाते हैं। बंगाल एवं मिहिजाम जामताड़ा से कोयला का अवैध खनन करने वाले चिरकुंडा, कापासारा, मैथन, निरसा, कालूबथान सहित अन्य क्षेत्रों से स्थानीय ठेकेदारों द्वारा लाये जाते हैं और रेट कॉन्ट्रैक्ट कर वे लोग कोयला खनन कर ठेकेदार को सौंप देते हैं, ठेकेदार द्वारा वह कोयला बाइक, साइकिल व ट्रैक्टर के माध्यम से प्रशासन द्वारा अनुमति प्राप्त भट्ठे में जमा किया जाता है, जहां से ट्रक के माध्यम से उसे बंगाल, बिहार व यूपी भेज दिया जाता है।

गिरिडीह, जामताड़ा के अलावा बंगाल से भी मंगाये जाते हैं सस्ता मजदूर

बताया जाता है कि कापासारा परियोजना के आसपास रहने वाले व भट्टा संचालकों द्वारा गिरिडीह, जामताड़ा, पश्चिम बंगाल के कुल्टी, वर्द्धमान, मिहिजाम, पुरुलिया व अन्य बाहर के कोयला काटने में दक्ष मजदूरों को कोयला काटने के लिए मंगाया जाता है। घटना में मौत हो जाने पर तस्कर मृतक परिवार को मात्र 50 हजार रुपया मुआवजे के रूप में देता है।

स्थानीय लोगों के मुताबिक बाहर से आये जमदूरों को अपने घर में रखने के लिए प्रति व्यक्ति प्रतिदिन बीस रुपया भाड़ा पर हीड़बांध, इंदिरा नगर, शिवडंगाल, कापासारा, मोची पाड़ा, भालूकसुंदा, सियाल कनाली गांव के लोग अपने घर पर रखते हैं। कई तस्कर तो मजदूरों को मुगमा मोड़ स्थित इसीएल के कापासारा बैरक के पास रखते हैं। वे सभी इसीएल के पानी, बिजली व आवास का पूरा उपयोग करते हैं। अवैध खनन करवाने वाले एजेंट काफी दबंग किस्म के होते हैं, जो बात-बात पर गोली बंदूक की बात करते हैं। धमकाते रहते हैं।

घटना स्थल पर खौफ ऐसा कि परिजनों ने मृतकों का चेहरा तक नहीं देखा 2 साल से हो रहा था उत्खनन, प्रबंधन व पुलिस ने आंखें मूंद रखी थीं

गोपीनाथपुर ओसीपी में पिछले दो साल से कोयला का अवैध उत्खनन का कार्य चल रहा था। जहां प्रतिदिन आसपास के सैकड़ों ग्रामीण कोयला का अवैध खनन करते थे। खदान का मुहाना खुला होने से कोयला की अवैध उत्खनन व तस्करी हो रही थी, लेकिन इंसीएल प्रबंधन व स्थानीय पुलिस प्रशासन इस पर मौन रही। बताया जा रहा है कि ईसीएल के सभी बंद खदानों में अवैध उत्खनन किया जा रहा, लेकिन अभी तक रोक नहीं लग पाया है।

हादसे में मरते हैं गरीब, तस्करों का कभी कुछ नहीं होता

स्थानीय लोगों के मुताबिक गरीबी का फायदा उठाते हुए कोयला तस्कर कोयला उत्खनन कराने का काम करते हैं। जान जोखिम में डाल कर ग्रामीण कोयला उत्खनन कर कोयला तस्करों को देते हैं। बदले में उन्हें प्रति बोरी 80 रुपए मिलता है। कोयला तस्कर उक्त कोयला को अधिक दाम पर आसपास के कोयला भट्टों में खपाने का का काम करते हैं।

इससे पहले के हादसे में महाप्रबंधक सहित सात लोगों के खिलाफ दर्ज है प्राथमिकी

इसीएल के कापासारा ओसीपी में 23 जनवरी, 2019 को इसी तरह की घटना हुई थी। जिसमें तीन की मौत हुई थी। धनबाद खान निरीक्षक नागेंद्र सिंह की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की गई था। जिसमें ईसीएल मुगमा के महाप्रबंधक, जयंत शर्मा, विश्वजीत घोष, यश अग्रवाल सहित एक अन्य के नाम दर्ज हैं।

प्रबंधन पर हो हत्या का केस:अपर्णा

निरसा विधायक अपर्णा सेनगुप्ता ने कहा कि ईसीएल के चालू एवं बंद खदान में कोयला चोरी में प्रबंधन दोषी है। गोपीनाथपुर खान हादसे में लोगों की हुई मौत के बाद प्रशासन प्रबंधन के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करे। गरीब लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ करने वालों पर भी प्रशासनिक कार्रवाई की उन्होंने मांग की। कोयला चोरी रोकने के लिए राज्य सरकार को भी बड़ा कदम उठाने की जरूरत है।

अपर्णा सेन गुप्ता।

बड़े स्तर पर हो रही कोयला चोरी: अरूप

पूर्व विधायक अरुप चटर्जी ने कहा कि निरसा क्षेत्र में प्रशासन के इशारे पर वृहद पैमाने में कोयला चोरी करवाई जा रही है। जनप्रतिनिधियों के विरोध के बावजूद प्रशासन कोयला चोरी रोकने को लेकर कोई कदम नहीं उठा रहा है। गोपीनाथपुर खान हादसे के बाद प्रशासन को सबक लेने की जरूरत है। पूरे मामले की जांच कर कोयला माफियाओं के खिलाफ मामला दर्ज करनी चाहिए।

टाइमलाइन

सुबह 4.10 बजे गोपीनाथपुर में: अचानक तेज आवाज के साथ धंसी चाल, एक दर्जन से अधिक लोग दबे

सुबह 5 बजे सूचना पाकर मची अफरातफरी।

5.20 बजे अवैध खनन कर रहे लोगों ने परिजनों को दी जानकारी।

7 बजे : काफी संख्या में पहुंचे ग्रामीण व परिजन।

7.30 बजे इसीएल प्रबंधन ने घटनास्थल तक पहुंचने के लिए बनवाया रास्ता।

8 बजे तस्करों ने स्थानीय लोगों को घटनास्थल से भीड़ भाड़ हटाने के लिए धमकाया।

9.15 बजे घटनास्थल पर पहुंचे निरसा थाना प्रभारी दिलीप यादव।

9.30 बजे इसीएल की सुरक्षा टीम व सीआईएसएफ जवान पहुंचे।

11.10 बजे पूर्व विधायक अरूप चटर्जी पहुंचे।

11.20 बजे अरूप ने उपयुक्त से की बात।

दोपहर 12 बजे एसडीपीओ पीतांबर सिंह खरवार पहुंचे।

दोपहर 1 बजे निरसा सीओ नितिन शिवम गुप्ता पहुंचे।

दोपहर 1.30 बजे बीडीओ विकास कुमार राय पहुंचे।

1.45 बजे एसडीओ प्रेम तिवारी पहुंचे।

2 बजे बंगाल से शीतलपुर सीआईएसएफ की टीम पहुंची।

2.15 निकला पहला शव।

2.45 बजे पहुंचे मुगमा एरिया के जीएम विभाष चंद्र सिंह।

3 बजे घटनास्थल पहुंची विधायक अपर्णा सेनगुप्ता।

5.30 पहुंची ग्रामीण एसपी रिष्मा रमेशन।

मौके पर बीडीओ विकास कुमार राय, राजद व इंटक (ददई गुट) के नेता तारापदो धीवर, झामुमो के लक्खी सोरेन, डीडी सिंह, कांग्रेस के प्रखंड अध्यक्ष डीएन प्रसाद यादव, जिप सदस्य दुर्गा दास, इंटक नेता शशि तिवारी, मासस के टुटुन मुखर्जी, दीपक सिंह, जीतू सिंह, मनोज सिंह, भाजपा के बृहस्पति पासवान, गोविंदा यादव, सजल पांडेय, सजल दास, सज्जाद अंसारी आदि थे।

(झारखंड से वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।)

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