Wednesday, April 24, 2024

नानपारा में दस दिनों के भीतर दो युवकों को घेर कर मारा गया, बहराइच पुलिस का घटनाओं को मॉब लिंचिंग मानने से इंकार

लखनऊ। बहराइच के नानपारा में पिछले दिनों मॉब लिंचिंग की एक ख़बर आई। रिहाई मंच ने इस घटना की तफ्तीश किया तो पता चला कि 19 अप्रैल, 2020 को नानपारा के घसियारन टोला के मोहम्मद रजा की मौत के मामले के साथ ही दस दिन पहले 9 अप्रैल को कुछ मुस्लिम युवक जब खेत में भैंस चरा रहे थे तो एक व्यक्ति हैदर अली को लोगों ने घेर कर मार डाला था। मोहम्मद रजा मामले में जहां अब तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई वहीं स्थानीय विधायक के दबाव में हैदर अली हत्या की घटना में 302 के तहत मुकदमा दर्ज न होने का परिजनों का आरोप है।

बहराइच पुलिस ने बताया है कि नानपारा के घसियारन टोला मोहल्ले में मोहम्मद रजा पुत्र खलील अहमद का शव पाया गया था। शव का पोस्टमार्टम कराया गया है, मौत का कारण स्पष्ट न होने के कारण विसरा सुरक्षित रखा गया है। वीडियो में एसपी ने कहा है कि परिजनों की तरफ से कोई तहरीर प्राप्त नहीं हुई अगर प्राप्त होती है तो जांच कर विधिक कार्रवाई की जाएगी। वहीं मीडिया में आया कि रजा भोजन की तलाश में निकला था, जिन लोगों ने उसे मारा उन्होंने उसे बिजली का शॉक भी दिया।

रजा की पिटाई के समय मौजूद लोग।

बहराइच एसपी कहते हैं कि उन्हें कोई तहरीर प्राप्त नहीं हुई जबकि मोहम्मद रजा के परिजनों से एक तहरीर रिहाई मंच को प्रभारी निरीक्षक कोतवाली नानपारा के नाम से प्राप्त हुई है। इसमें उनकी मां नाजमा बेगम कहती हैं कि उनका बेटा रजा आज (घटना के दिन) सुबह घर से बिना बताए चला गया था। ढूंढने पर उसकी लाश नई बस्ती राढ़न टोला के खाली पड़े मैदान में मिली। मृत्यु का सही कारण जानने के लिए उन्होंने पोस्टमार्टम कराने की मांग भी की।

रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि प्रथम दृष्ट्या रजा हत्याकांड की टाइमिंग पर गौर किया जाए तो वह पूरा कानून व्यवस्था पर सवाल उठा देती है। दिन में तकरीबन तीन बजे उसको मारने-पीटने की बात सामने आई और देर शाम साढ़े सात-आठ बजे के करीब जब उसके परिजन घटना स्थल पर पहुंचते हैं तो उसके बाद आधिकारिक तौर पर पुलिस आती है। जबकि उसके परिजनों के मुताबिक पुलिस चौकी मात्र सौ मीटर की दूरी पर है। सवाल यह है कि आखिर पुलिस को क्या इस घटना की जानकारी नहीं मिली। लाॅकडाउन के समय में कैसे वह शोरगुल को नहीं सुन सकी। जबकि जो वीडियो इस घटना को लेकर सोशल मीडिया में आया उसमें दिन के उजाले में पुलिस के आने की बात व्यक्ति कह रहे हैं। 

वहीं रजा के परिजन तो यह भी कह रहे हैं कि वह लॉक डाउन में पुलिस के डर से सड़क से भागा था जिसके बाद उन लोगों के हाथों आया जिन्होंने उसे मारा-पीटा और उस बीच पुलिस आई भी और उसने भी मारा पीटा और बाद में उन लोगों से उसे छोड़ने की भी बात कही। क्या ऐसा तो नहीं कि बाद में उग्र भीड़ के सामने पुलिस ने आत्म समर्पण कर दिया? क्या उसने अपने अपराध और अक्षमता को छुपाने के लिए ही अब तक एफआईआर दर्ज नहीं किया। क्या वह जानती है कि जांच की दिशा में आगे बढ़ने पर रजा हत्याकांड में उसकी संलिप्तता आ सकती है? वहीं यह सवाल भी अहम है कि पुलिस सोशल मीडिया पर सूचनाओं को प्रसारित होने को लेकर पोस्टमार्टम रिपोर्ट का जिक्र तो कर रही है पर उस रिपोर्ट को परिजनों को आखिर क्यों नहीं दे रही। जबकि पुलिस मजबूती से कह रही है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृत्यु का कारण स्पष्ट न होने के कारण विसरा सुरक्षित रखा गया है।

सामाजिक कार्यकर्ता अधिवक्ता असद हयात ने कहा कि पुलिस अधीक्षक का यह कथन है कि परिजनों के अनुरोध पर पोस्टमार्टम कराया गया है परंतु उन्होंने कोई तहरीर लिखकर नहीं दी। जबकि मृतक की मां ने जो एक प्रार्थना पत्र की प्रति मीडिया को दी है उसमें लिखा है कि मृतक घर से गया था और अब उसकी लाश मिली है इसलिए पोस्टमार्टम कराया जाए। प्रथम सूचना रिपोर्ट के लिए यह आवश्यक नहीं है कि वह लिखित में हो वह मौखिक भी हो सकती है। इसलिए अगर कोई मृत्यु का कारण ज्ञात करने के लिए पोस्टमार्टम कराने का ‘अनुरोध’ कर रहा है तो यह लिखित एफआईआर की जगह मौखिक एफआईआर की श्रेणी में आएगा। 

विधि का प्रश्न यह है कि प्रथम सूचना रिपोर्ट इनसाइक्लोपीडिया नहीं होती बल्कि वह किसी अपराध होने की सूचना मात्र होती है। जो तहरीर परिजनों की ओर से दी गई उसमें नाजमा बेगम ने लिखा है कि मेरा लड़का रजा सुबह घर से गया था और अब उसकी लाश मिली है लिहाजा पोस्टमार्टम कराया जाए और पुलिस ने इसी के आधार पर पोस्टमार्टम करा दिया। विधि के अनुसार यही प्रथम सूचना रिपोर्ट मानी जाएगी। क्योंकि उसमें लड़के की लाश मिलने का उल्लेख है जिसमें हत्या होने का पता चलता है। इसलिए पुलिस अधीक्षक का यह कथन गलत है कि परिजनों ने कोई प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने के लिए कोई प्रार्थना पत्र नहीं दिया है। 

नाजमा बेगम ने अपने प्रार्थना पत्र में लड़के के घर से जाने का उल्लेख किया था जो लाश में परिवर्तित हो गयी जिसका कारण जानने के लिए पोस्टमार्टम कराने की प्रार्थना की गई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट जांच का हिस्सा होती है। जिसका हिस्सा पंचनामा भी होता है जिसमें उल्लेख होता है कि पुलिस को लाश कहां से और किस दशा में प्राप्त हुई। प्रत्येक पीड़ित परिवार का यह अधिकार है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट उसे उपलब्ध कराई जाए। अगर ऐसा नहीं होता है तो यह मानवाधिकार का उल्लंघन है। मृतक के शरीर पर क्या चोटें थीं आदि का उल्लेख पोस्टमार्टम रिपोर्ट में आया होगा। घटना का वीडियो साक्ष्य और चश्मदीद गवाह मौजूद हैं। जिस तरह से पुलिस गैर कानूनी स्पष्टीकरण दे रही है, लिखित तहरीर को एफआईआर नहीं मान रही है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी उपलब्ध नहीं करा रही है इससे संकेत मिलता है कि पुलिस निष्पक्ष जांच के प्रति गंभीर नहीं है।

रजा की बहन शफीकुन निशां कहती हैं कि फोन आया था कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई है। थाने गए तो वहां कहा कि रिपोर्ट नहीं आई है। थाने में कोई सुनवाई नहीं हो रही है। उस दिन न कोई एफआईआर लिखा गया न कोई मुल्जिम ही मौजूद था।

रजा के भाई मोहम्मद आलम बताते हैं कि बंदी का टाइम चल रहा है। आपको भी पता है यह बात। वह सवाल करते हुए कहते हैं कि आदमी जब पुलिस को देखते हैं तो वर्दी को देखकर डरते हैं या इंसान को देखकर? खुद ही सवाल का जवाब देते हुए कहते हैं कि वर्दी को ही देखकर डरते हैं न। वर्दी वालों को देखा तो चौकी के सामने गली है उसी गली में भागा। 

जब भागा तो वहां पर गिरफ्तार कर लिया होगा। कमरे में अंदर बंद करके मारा। फिर वो कहते हैं कि पुलिस को देखकर दुनिया छुप जाती है। हो सकता है अहाते में छिप गया हो। उसको ऐसा मारा-ऐसा मारा की दम ही निकाल लिया और छत से भी महिलाएं ईंटा-पत्थर डंडा फेंक-फेंक कर मार रहीं थीं। उस घर में उसके पिता और बेटे ने मार-मारकर दम ही निकाल लिया और अगल-बगल के लोग आए तो भगा दिया। 

पूछने पर कि क्यों मार रहे थे तो शफीकुन निशां कहती हैं कि आप ही बताओ भइया कोई तीन बजे दिन में चोरी करने जाएगा। वो उस दिन के बारे में कहती हैं कि उस दिन वो बकरी बाजार में बकरी चरा रही थीं। जहां लोग मार रहे थे, वहां हमारे यहां की एक लड़की नई बस्ती में ब्याही है। उस लड़की ने अपने घर फोन किया। उसने कहा कि रजा मारा जा रहा है, उसके घर जाकर कह दो। तो वो हमारे चच्चा के घर कह कर गया तो चच्चा हमारे दौड़कर गए। जब वह मेरे दूसरे भाई के पास फोन किए तो हमको भी मालूम चला। हम दूसरी गली से आ रहे थे पर वो दूसरी गली में मारा गया। हमसे लोग कहे कि कहां हो तुम लोग तुम्हारा भाई मारा गया है। लेटा है। बेहोश है। लोग सोचे वो बेहोश है। पर मार ही डाले थे वो लोग उसे। वो लोग उधर से आए हम मां-बेटे ढूंढ़ते-ढूंढ़ते आए पर बड़ी देर तक लाश नहीं मिली। साढ़े सात-आठ बजे के करीब दरवाजे के पास लाश मिली।

मोहल्ले वालों ने कहा कि दो पुलिस आई थी। उन लोगों ने घर में बंद करके मारा। पहले पुलिस ने मारा जब वो भागा गली में से। तो वहां लोगों ने बंद कर लिया, वहां बिजली के तार लगा-लगा के मारा। पानी पिला-पिला के मारा। फिर लेकर गए अहाते में फेंक दिए। फिर अहाते में घुस गए। लोग फिर अहाते में मारने लगे। फिर पुलिस आई दरवाजे को खुलवाकर निकाला। कहा कि मत मारो ये संभलेगा तो चला जाएगा। जब संभल के वह चलने लगा तो फिर वह लोग दो-तीन लाठी मार दिए, वो गिर गया। बाप-पूत और पड़ोसी ने मारा। मोहल्ले वाले भी एक चक्कर निकालकर ले गए।

रजा की बहन और माँ।

रजा की बहन पुलिस को लेकर कहती हैं कि हमको नहीं पता। इन लोगों की मिली भगत है। दो-तीन चक्कर निकाल-निकाल मारा। यह पूछने पर कि क्या पुलिस ने उसको बचाने की कोई कोशिश नहीं की। इस पर वो कहती हैं कि कोई कोशिश नहीं की, पहले इन लोगों ने मारा। पुलिस चौकी वहीं पास में सौ मीटर पर है। जब साढ़े सात बजे मगरिब के बाद पहुंचे तो सांस चल रही थी, पानी मांगा जैसे पानी डाला दम टूट गया। वो फिर दोहराती हैं अम्मा पूछीं भइया किसने मारा, क्या हुआ, पानी डालते ही तुरंत दम टूट गया। वहां बहुत से लोग आ गए और कहे कि सामने वाले ने मारा। तहरीर दिया है। वीडियो बना है। पुलिस आई लिखा पढ़ी की पर कोई कार्रवाई नहीं।

मोहम्मद रजा के पेशे के बारे में पूछने पर बताती हैं कि कबाड़ खरीदने बेचने का काम करता था। उसी से बूढ़े मां-बाप और उनका खर्चा चलता था।

इस घटना को लेकर मीडिया/सोशल मीडिया सेल बहराइच द्वारा एक खंडन जारी किया गया। जिसमें कहा गया है कि 19 अप्रैल 2020 को थाना नानपारा अंतर्गत घसियारन टोला में एक युवक का शव बरामद हुआ था, परिजनों के तहरीर पर युवक के शव का पोस्टमार्टम कराया गया था, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृत्यु का कारण स्पष्ट नहीं होने के कारण विसरा सुरक्षित रखा गया है। विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म/समाचार चैनलों द्वारा उक्त घटना को लिंचिंग की संज्ञा दी जा रही है। कोरोना की भयावहता को देखते हुए बिना किसी ठोस कारण के अपुष्ट/गलत खबरें पोस्ट/फारवर्ड करना दण्डनीय अपराध है। बहराइच पुलिस मीडिया सेल थाना नानपारा अन्तर्गत सोशल मीडिया पर चल रही मॉब लिंचिंग की खबर का पूर्णतः खण्डन करती है।

यहां यह अहम सवाल है कि जब पुलिस इस बात को आम जनता में कह रही है तो आखिर क्यों नहीं पोस्टमार्टम रिपोर्ट परिवार को देती। वहीं यह भी सवाल है कि क्यों नहीं यह घटना मॉब लिंचिंग है?

रजा की बहन से कई बार हुई बातचीत में उन्होंने यह भी कहा है कि पुलिस वाला उसके पेट में लाठी खोंसा फिर पीठ पर मारा फिर वो कहीं चला गया। बाद में वो लोग उसे मारते-मारते मार डाले। बालू डाल-डाल के मारा। मोहल्ले वाले दो-तीन सौ गवाह हैं उसके बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। वो लोग जब छुड़ाने गए तो एक बुजुर्ग को डंडे से मारा। वो बुजुर्ग थाने भी गए थे। उनको वहां से भी भगा दिया। वहां हमारी कोई सुनवाई नहीं हो रही।

पोस्टमार्टम भी हो गया और कुछ आया भी नहीं। वह हर बात को बहुत साफगोई से कहती हैं। वह इस बात को बिल्कुल नहीं छिपाती जो उन्हें पोस्टमार्टम रिपोर्ट दिए बगैर बता दिया गया है कि पोस्टमार्टम में कुछ नहीं आया। उनका एक तरह से यह भी सवाल है कि ऐसी नृशंस मारपीट के बाद ऐसा कैसे हुआ कि पोस्टमार्टम में कुछ नहीं आया। शायद वह सरकारी दस्तावेजों में हेरफेर से भली भांति परिचित हैं।

दिन के उजाले का एक वीडियो जिसमें कुछ बच्चे मैदान में खेल रहे हैं और उसके सामने के मकान के दरवाजे पर भीड़ की शक्ल में कुछ लोग इकट्ठा हैं। एक लड़का डंडा लिए हुए है। कोई बोल रहा है कि कोई चोरवा घुसा है अंदर। एक खुला आहाता दिख रहा, जिसकी दीवार पर एक व्यक्ति पीली टी शर्ट में खड़ा है और अगल-बगल के लोग छतों से भी देख रहे हैं। वीडियो बनाने वाला बीच-बीच में पुलिस की भी बात कर रहा है। और संशय में है कि अंदर क्या हो रहा है। कोई बोल रहा है कि जानवर नहीं आदमी है। और अंत में बोला पुलिस आई है देख के गई है। वहीं मीडिया में यह आया कि रजा की लाश मैदान में मिली। इससे स्पष्ट है कि उसे अंदर से मारते-पीटते बाहर लाया हो जहां उसकी मृत्यु हो गई।

सवाल है कि आखिर बहराइच पुलिस जो इस घटना को मॉब लिंचिंग मानने से इंकार कर चुकी है क्या उसने इस वीडियो को नहीं देखा। ऐसा मुश्किल है। क्योंकि उसने जो खण्डन जारी किया है वो साफ करता है कि ऐसी खबरों को लगातार उसके द्वारा देखा जा रहा था। वहीं सवाल यह भी है कि अगर देखा गया तो आखिर जांच की दिशा में पुलिस आगे क्यों नहीं बढ़ी। क्या उस पर कोई दबाव था या उसकी संलिप्तता जो मृतक का परिवार कह रहा है उससे उजागर हो जाती।

घटना के बाद एक वीडियो में रजा की बहन ने एक व्यक्ति मनोज मिश्रा को हत्या के लिए दोषी ठहराया। वहां मौजूद लोगों की तरफ इशारा करते हुए कहा कि इन सबने देखा। जिसमें एक व्यक्ति बोल रहा है कि भइया के पास वीडियो है। वो लड़का मोबाइल दिखाते हुए कह रहा है कि हमारे सामने मारा। हम लोगों को पास जाने नहीं दे रहे थे। किसी को जाने नहीं दे रहे थे। ईंटे से लोगों ने छत से भी मारा। इतना मारा की जान ले ली। सर भी फटा था। मिश्रा जी और आस-पड़ोस के लोगों ने मारा। हम लोग सोचे किसी जानवर को मार रहे हैं। वह लड़का मोबाइल का वीडियो दिखाते हुए कहता है कि ये वीडियो देखिए जिसमें पुलिस अंदर घुसी है, लाठी लेकर।

एक और वीडियो जिसमें शांत रहने की बात कहते हुए पोस्टमार्टम की बात हो रही है। एक व्यक्ति बोल रहा है कि जो मारिस है मार लिहे है बात खत्म हो गई। शुक्ला जी बात करते हैं। कोई बोल रहा है डाक्टर को भेज के पोस्टमार्टम करा रहे हैं। वीडियो में पुलिस और कुछ और लोग दिख रहे हैं। जिसमें पुलिस लिखा पढ़ी कर रही है।

नानपारा के समीप ही 9 अप्रैल को एक और हत्या हुई। उसमें भी घेर कर मुस्लिम व्यक्ति को मारने का आरोप है-

हैदर अली की हत्या को लेकर ग्राम भटेड़ा नानपारा के शेर अली बताते हैं कि हमारे भाई हैदर अली भैंस चराने के लिए गए थे। एक लड़का रियाज अहमद भी था। तभी कुछ लोग भैंस को बटोर कर हांकने लगे। रियाज ने रोका की भैंस किसलिए हमारी हांक रहे हैं। तो उसको उन लोगों ने दो-तीन लाठी मारा। मेरे भाई रोटी खाने जा रहे थे, पन्नी खोलकर रोटी निकाला ही था कि तभी वो चिल्लाया की चाचा बचा लो मार डालेंगे। तो हमारे भाई पहुंच गए इस पर वह उसे छोड़ कर उनको मारने लगे।

हैदर अली।

जब भाई पूछे कि हमको क्यों मार रहे हो। न हमने तुम्हारे खेत में जानवर चराए न कोई गलती की। क्यों मार रहे हो। उसमें से एक ने बोला कि जिंदा न छोड़ो सरकार अपनी है इसको मार दो जान से। इतना मारे कि पूरी खोपड़ी से भेजा अलग कर दिए। हम मक्का बोए थे। पानी लगाने जा रहे थे। तभी एक लड़के ने बताया कि तुम्हारे भाई को मार डाला है, जिंदा नहीं छोड़ा है। वहां से भागते गए तो मारने वाले आगे जा रहे थे बहुत से लोग थे। उसके बाद जब हम पहुंचे तो पूछे कहां हैं। एक लड़के को भेजा और वहां पहुंचा तो देखा कि खोपड़ी से भेजा फाड़ दिए हैं। वो अपने जान में उसे मार डाले थे। तुरंत हमने 100 नंबर 112 पर फोन किया। डीएम साहब को फोन किया।

यह 9 अप्रैल को लगभग एक-दो बजे की घटना है। वहां से तुरंत नानपारा अस्पताल लेकर चले आए। उनको खून की उल्टी आ रही थी। तुरंत उन्होंने रेफर कर दिया कि बहराइच लेकर जाइए। बहराइच ले गए तो वहां बोला कि सिटी स्कैन कराइए, वे बताए कि हड्डी टूट गई है खोपड़ी की। दस-बीस लाठी मार दिया जाए तो ऐसे ही हड्डी टूट जाती है। आदमी कहां बचेगा।

उसके बाद पोस्टमार्टम हुआ रिपोर्ट आई। 302 भी नहीं लगाया। हमने कहा कि इनको जान से मार डाला उसके बाद भी 304 ही लगाया गया है। विधायक माधुरी वर्मा के पति दिलीप वर्मा विधायक ने नानपारा में फोन के जरिए हमको बुलवाए और कहा कि हमारे आदमियों को तुमने मारा और हमारे आदमियों पर मुकदमा लिखवा दिए हो। ये सब हमारे कार्यकर्ता हैं। हमने कहा कि कार्यकर्ता हों, कुछ भी हों, हमारे भाई जैसे सीधे इंसान को मार डाला और आप बता रहे हो कार्यकर्ता हैं। तो बड़े जोर से उन्होंने डाटा। 

फिर वहां से हम भागे। वहां से भाग के आए तो हम कप्तान साहब के पास जा रहे थे। तभी एक वकील साहब का फोन आया कि सीओ साहब का फोन आ रहा है कि वहां आप मत जाइए आपका मुकदमा लिखा जाएगा 302 में मजबूती से लिखा जाएगा। तो फिर हम लौट आए। एडिशनल एसपी ने भी कहा कि मुकदमा लिखा जाएगा 302 में। बराबर हम दौड़ रहे हैं मुकदमा 302 में नहीं लिखा गया है। अभी कईयों की पुलिस ने गिरफ्तारी नहीं की है।

इस मामले में 9 अप्रैल को पुलिस ने 147, 148, 149, 304 के तहत चन्द्र प्रकाश, विजय कुमार, गोविंद, चंदर और अज्ञात कि विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत किया है।

(रिहाई मंच की तरफ़ से राजीव यादव की रिपोर्ट।)

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