Tuesday, April 23, 2024

कुछ तो गुल खिलाएगी पूर्व मुख्यमंत्री चेन्नी की पंजाब वापसी

लगभग आठ महीने पहले पंजाब में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की शर्मनाक हार के तत्काल बाद सूबे से आकस्मिक ‘लापता’ हो गए पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी आखिरकार वतन लौट आए हैं। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव चन्नी की अगुवाई में और उनका चेहरा आवाम के सामने रखकर लड़ा था। लेकिन पार्टी बुरी तरह से हार गई और राज्य में भगवंत मान की अगुवाई में आप (आम आदमी पार्टी) की सरकार का गठन हुआ। खुद अपनी लोकप्रियता तथा कांग्रेस की प्रचंड जीत का दावा करने वाले चरणजीत सिंह चन्नी दो विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़े थे लेकिन दोनों पर उन्हें अनजाने चेहरों ने भारी शिकस्त दी। साथ ही चन्नी के करीबी कई उम्मीदवार आम आदमी पार्टी के सामने बुरी तरह से लुढ़क गए। इनमें उनकी सरकार में रहे कुछ प्रभावशाली मंत्री और मंत्रियों की ही मानिंद राजसी ताकत रखने वाले विधायक भी विधानसभा की दहलीज नहीं देख पाए।

चन्नी महज छह महीनों के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे थे और तब कांग्रेस का पंजाब सहित, देशव्यापी नारेनुमा संदेश खूब विज्ञापित हुआ था कि पंजाब में पहली बार किसी दलित को मुख्यमंत्री पद की कमान दी गई है। मुख्यमंत्री बनने से पहले वह कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार में मंत्री थे और विवादों के बावजूद कैप्टन ने उन्हें बनाए रखा। कांग्रेस आलाकमान के कतिपय नेताओं की बदौलत भी ऐसा हुआ और उन्होंने ही चरणजीत सिंह चन्नी को सोनिया गांधी, राहुल तथा प्रियंका गांधी के आगे कैप्टन अमरिंदर सिंह के विकल्प के तौर पर प्रस्तुत किया और अंततः मुख्यमंत्री बनवा दिया। दावेदारों में नवजोत सिंह सिद्धू, सुनील जाखड़ और सुखजिंदर सिंह रंधावा भी थे। इन सब को ‘दलित समीकरणों’ का गणित बताकर कमोबेश खामोश कर दिया गया।                                        

मुख्यमंत्री का ओहदा संभालते ही चरणजीत सिंह चन्नी ने लोक लुभावनी योजनाओं की घोषणाओं की झड़ी लगा दी। दीवारों पर साफ लिखा था कि किए जा रहे वादे पूरा करना असंभव है। खबरें साफ इशारा करती थीं लेकिन विज्ञापन लोगों को बताते थे कि चन्नी और कांग्रेस को एक और मौका सत्ता में बैठने का दिया जाए तो ये वादे-इरादे वफा हो जाएंगे। लेकिन आम आदमी पार्टी के आगे कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल के बड़े-बड़े किले ढह गए।          

सुनील जाखड़ कोप भवन से बाहर निकल कर सीधा भाजपा के दरवाजे जा खड़े हुए। उनसे पहले पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह वहां पहुंच ही चुके थे। नवजोत सिंह सिद्धू की आवाज जेल की कैद ने बंद कर दी। राजा अमरिंदर वडिंग को कांग्रेस की प्रधानगी सौंप दी गई। हार के बाद सबकी निगाहें चुनाव के दरमियान कांग्रेस के पोस्टर ब्वॉय बने पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को शिद्दत से ढूंढ रही थीं कि भगवंत मान की अगुवाई में आप सरकार के गठन होते ही चन्नी एकाएक गायब हो गए। उनके यूं लापता हो जाने से कांग्रेस में स्वाभाविक हलचल मची और सरकार भी सतर्क हुई। फिर जून में पूर्व मुख्यमंत्री का मुख़्तसर सा एक ट्वीट आया कि वह विदेश में हैं। अपनी आंखों का इलाज करा रहे हैं और पीएचडी की थीसिस पूरा कर रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री पीएचडी कर रहे हैं, यह तो सभी को मालूम था लेकिन उन्हें आंखों की कोई गंभीर बीमारी है-इससे उनके करीबी तथा परिजन भी नावाकिफ थे! उस ट्वीट में बस इतनी भर जानकारी थी।

वापसी की बाबत एक लफ्ज़ भी नहीं था। विरोधी कांग्रेसियों ने विपक्ष से दो कदम आगे जाकर (पर्दे के पीछे से) प्रचार किया कि पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी अपनी मर्जी से ‘भगौड़ा’ हो गए हैं! भगवंत मान सरकार को मानो चन्नी विरोधी कांग्रेसी कॉकस किसी प्रचार का इंतजार था। इसीलिए विधानसभा में एक से ज्यादा बार मौजूदा मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री गायब हैं जबकि सरकार को उनकी सख्त ‘जरूरत’ है। एक भी कांग्रेसी विधायक कभी यह नहीं बता पाया कि पूर्व मुख्यमंत्री कब लौटेंगे। अलबत्ता एक और ट्वीट के जरिए चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा कि वह आंखों के इलाज और पीएचडी के लिए विदेश प्रवास पर हैं तथा उनका फोन हर वक्त खुला है, जब चाहे-जो चाहे उनसे कुछ भी पूछ सकता है।                               

दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी पर बात करते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हमेशा तर्क रखा कि कई फाइलों की बाबत उनसे पूछताछ करनी है। इसलिए उन्हें तत्काल पंजाब लौट आना चाहिए। कभी चन्नी के करीबी रहे अफसरों ने भी गिरगिट की तरह रंग बदलते हुए सरगोशियां फैलाईं कि पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने शासनकाल के अंतिम दिनों और यहां तक कि विधानसभा चुनाव की ऐन पूर्व संध्या पर अपने करीबियों और रिश्तेदारों को तगड़ा फायदा दिलाने के लिए नियम-कायदों से बाहर जाकर आनन-फानन में विसंगतियों भरे कई फैसले किए और ऐसी कई फाइलों पर अधिकारियों से जबरन हस्ताक्षर करवाए गए।      

अति उत्साह से लबालब भरे चरणजीत सिंह चन्नी पर विधानसभा चुनाव में विपक्ष ने भी ऐसे बेशुमार गंभीर आरोप लगाए लेकिन तत्कालीन सत्तापक्ष ने इस पर खामोशी अख्तियार रखी। चरणजीत सिंह चन्नी ‘दलित मुख्यमंत्री’ जरूर थे लेकिन अपनी शुरुआती कारगुज़ारियों से ही साबित कर चुके थे कि वह भी आम मुख्यमंत्रियों की तरह दरबारियों के बलबूते सरकार चलाने में विश्वास रखते हैं और चहेतों को बख्शीशों से नवाजने में। खुला तथ्य है कि वह दलित ज़रूर थे लेकिन गरीब नहीं और न ही उनमें दलित चेतना को सशक्त करने की कोई योजनाबद्ध भावना थी। छह महीनों में उन्होंने खूब हवाई यात्राएं कीं। न जमीन पर ढंग से पैर रखे और न आसमान से जमीनी हकीकतों को देखा। दीगर है कि इस मामले में मौजूदा मुख्यमंत्री भगवंत मान भी अपने पूर्ववर्ती की तरह ज्यादातर आसमान में ही विचर रहे हैं। इसीलिए, महज आठ महीनों में आप सरकार अलोकप्रियता की सीमाओं को छू रही है। खैर, यह अलहदा विश्लेषण का विषय है।                    

खुला सच है कि पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, नई सरकार के तेवरों से खौफजदा होकर विदेश चले गए। उच्च प्रौद्योगिकी के इस दौर में उनकी लोकेशन तक ट्रेस नहीं हो पाई। बस कयास ही लगाए जाते रहे कि वह अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन या जर्मनी में हैं। एक भी कांग्रेसी नेता सदन या सदन से बाहर नहीं बता पाया कि उनकी सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री फिलहाल कहां हैं? यहां तक कि उनके परिजन भी इस सवाल के लिए कभी मीडिया को उपलब्ध नहीं हो पाए। यह सब बाकायदा एक रणनीति के तहत किया गया यानी पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी का पंजाब और देश से, नई सरकार बनते ही विदेश की ओर रुख कर लेना।  विधानसभा चुनाव से पहले और बहुमत के साथ सत्ता में आने के बाद आम आदमी पार्टी के नेता खुलेआम कहा करते थे कि चन्नी आचार संहिता लागू होने तक विवादास्पद फैसले करते रहे और अफसरशाही का एक बड़ा हिस्सा भी बाद में यही कहने-बताने लगा। बेशक चन्नी के कथित ‘विवादास्पद’ फैसलों अथवा मामलों को लेकर पूरी तरह से कुछ बयान नहीं किया गया और सब कुछ पर रहस्य का एक पर्दा डाल दिया गया।                                         

चन्नी के भतीजे सन्नी को आईडी ने दबोचा तो राज्य विजिलेंस ने भी मोटी मोटी फाइलें उसके खिलाफ खोल दीं। एक तरह से केंद्र सरकार और पंजाब सरकार ने लगभग मिलकर चन्नी परिवार के इस महत्वपूर्ण सदस्य पर शिकंजा कसा। वह भी पुख्ता सबूतों के आधार पर। कहा यहां तक जा रहा है कि चरणजीत सिंह चन्नी का यह करीबी रिश्तेदार अपना मुंह पूरी तरह से खोल चुका है। जब सन्नी को ईडी ने करोड़ों रुपयों की राशि के साथ पकड़ा और बाद में गिरफ्तार किया था तब चेन्नी मुख्यमंत्री थे, उन्हें भी ईडी दफ्तर तलब किया गया और वह गए भी लेकिन रुतबे को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय एजेंसी शक्ति से कुछ नहीं पूछ सकी और विजिलेंस तो था ही चन्नी के अधीन। तब चन्नी कहा करते थे कि केंद्र सरकार जबरन उन्हें फंसा रही है और विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद सब साफ हो जाएगा। हो गया लेकिन आधा-अधूरा!                                              

चरणजीत सिंह चन्नी के सबसे विश्वासपात्र माने जाने वाले मंत्री भारत भूषण को राज्य सरकार की एजेंसियों ने पकड़ा और भ्रष्टाचार का मजबूत केस बनाते हुए जेल की सलाखों के पीछे कर दिया। भरोसेमंद सूत्रों की मानें तो चन्नी के इस सबसे विश्वासपात्र पूर्व कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु की जुबान भी पंजाब पुलिस की एजेंसियों की ‘सख्ती’ आगे खुल चुकी है। कुछ और पूर्व मंत्रियों और चन्नी के करीबियों की भी धरपकड़ में भी ऐसे नतीजे सामने आए कि पंजाब विजिलेंस ब्यूरो पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ मय सबूतों के साथ बहुत मोटी फाइल बना चुका है। गिरफ्त के लिए बस मुनासिब मौके का इंतजार है।  कुछ सरगोशियां ऐसी भी हैं कि रियायत पाने के लिए चरणजीत सिंह चन्नी ने आम आदमी पार्टी के शिखर नेतृत्व से कोई (गुप्त) ‘समझौता’ कर लिया है और इसी के बाद जैसे अचानक गए थे, वैसे ही बगैर किसी को खबर किए, सूचना दिए लौट आए। लौटते ही उन्होंने प्रियंका गांधी और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़ेगे से फूलों के गुलदस्ते के साथ मुलाकात की। मीडिया और पंजाब सरकार को तब पता चला जब चन्नी ने खुद ट्वीट करके उस पर तस्वीरें डालीं।                                      

मीडिया कल शाम को यह खबर ‘फ्लैश’ कर रहा था (यानी चन्नी के सचित्र ट्वीट के बाद) जबकि उनके परिवारिक सदस्य अब कह रहे हैं कि वह चार दिन पहले दिल्ली लैंड कर गए थे। 21 दिसंबर को पंजाब आएंगे। चन्नी की अनुपस्थिति और शायद उनकी सहमति (क्योंकि उनकी वापसी के बाबत किसी के पास कोई पुख्ता जानकारी नहीं थी) के बगैर उन्हें राहुल गांधी की पंजाब से गुजरने वाली पदयात्रा की एक अहम कमेटी का मुखिया बनाया गया। यानी दस दिन वह राहुल गांधी की पदयात्रा में हिस्सेदारी करेंगे और उसके बाद अवाम से उनका राफ्ता बाकायदागी से शुरू होगा। उनके हल्के श्री चमकौर साहब के एक कांग्रेसी का कहना है कि स्थानीय जनता को वह मुंह दिखाने के काबिल नहीं रहे। किस मुंह से एक भगोड़ा हो चुका व्यक्ति लोगों  का सामना करेगा। यह सच भी है।                              

इन पंक्तियों को लिखे जाने तक चरणजीत सिंह चन्नी की वापसी पर आम आदमी पार्टी, शिरोमणि अकाली दल और भाजपा में से किसी दिग्गज नेता का आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। अलबत्ता खुफिया एजेंसियां जरूर उनकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए नए सिरे से तैनात हैं। सिविल पुलिस प्रदेश के एक पूर्व मुख्यमंत्री की सुरक्षा का ‘प्रोटोकॉल’ नए सिरे से निभा रही है। वही पुलिस, जिसे कल तक जरा भी इल्म नहीं था कि उनका भी वीवीआईपी कहां था और कहां से अचानक कब लौटा?    ‌

लोगों को इंतजार है कि पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की वापसी पंजाब में अब क्या गुल खिलाएगी? अब तो राज्य में फिलवक्त दलित राजनीति का एजेंडा भी सिरे से गायब है। नवजोत सिंह सिद्धू की जेल यात्रा और कांग्रेस में नए अध्यक्ष राजा अमरिंदर वडिंग के बाद नए समीकरण बन रही हैं। इनमें चन्नी किस भूमिका में होंगे?   

(पंजाब के वरिष्ठ पत्रकार अमरीक सिंह की रिपोर्ट।)                

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles