क्या यूपी के प्रशासनिक मशीनरी के फेल होने का संज्ञान सुप्रीम कोर्ट और एनएचआरसी लेगा?

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यूपी के शनिवार 10 जुलाई को सम्पन्न पंचायत के त्रिस्तरीय चुनाव में एक महिला के चीरहरण और अपहरण के बीच बड़े पैमाने पर हिंसा, एसपी पर तमाचा, पुलिस फायरिंग का संज्ञान जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग लेगा या फिर उच्चतम न्यायालय भी उसी तरह दखल देगा जैसा कि बंगाल में विधानसभा चुनावों के बाद हुई हिंसा में उच्चतम न्यायालय ने दिया है और केंद्र सरकार, बंगाल सरकार और चुनाव आयोग से जवाब तलब किया है।

यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या उच्चतम न्यायालय पूरे उत्तर प्रदेश में हुए रक्तरंजित पंचायत चुनाव और राज्य की प्रशासनिक मशीनरी के खुले दुरुपयोग के मद्दे नज़र यूपी में भी राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करने के लिए केंद्र सरकार, यूपी सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी करके उसी तरह जवाब तलब करेगा जैसा कि पश्चिम बंगाल में दो मई को चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद बिगड़ती कानून-व्यवस्था के मद्देनजर राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए केंद्र को निर्देश देने की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत होते हुए उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार, तृणमूल कांग्रेस सरकार और चुनाव आयोग से जवाब तलब किया है।

क्या पश्चिम बंगाल केंद्र सरकार की शत्रु सरकार है? क्योंकि वहां हालिया विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा को करारी शिकस्त दी है। दूसरी ओर यूपी में केंद्र की डबल इंजन की सरकार है, जिसने पंचायत चुनाव के पहले चरण में जनता के हाथों जबरदस्त शिकस्त खाने के बाद दूसरे और तीसरे चरण का चुनाव पुलिस प्रायोजित हिंसा और पुलिस एवं प्रशासनिक मशीनरी के खुले दुरुपयोग से जीत लिया है।

प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रानिक मीडिया, डिजिटल मीडिया और सोशल मीडिया वीडियो और तत्सम्बन्धी ख़बरों और चित्रों से भरे पड़े हैं। मानवाधिकार आयोग और उच्चतम न्यायालय के स्वत: संज्ञान लेने के लिए भरपूर और पर्याप्त सामग्री है पर लाख टके का सवाल है कि क्या यूपी में भाजपा नीत योगी सरकार को जस्टिस अरुण मिश्रा का मानवाधिकार आयोग और उच्चतम न्यायालय मानवाधिकार हनन और सरकारी मशीनरी फेल होने के लिए न्याय की कसौटी पर कसेगा?

पश्चिम बंगाल में चुनावी नतीजों के बाद हुईं हिंसक घटनाओं का राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लिया है। आयोग ने जांच का निर्देश देते हुए दो हफ्तों में रिपोर्ट मांगी है। मालूम हो कि दो मई को आए पांचों विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद बंगाल में कई जगह लूटपाट, हिंसा, हत्याओं के मामले सामने आए थे। बीजेपी ने इसका आरोप टीएमसी पर लगाया है। राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी बंगाल के नंदीग्राम में कुछ महिलाओं की कथित तौर पर पिटाई की घटना पर चिंता जताते हुए राज्य पुलिस से कहा था कि इस मामले में तत्काल कार्रवाई करते हुए दोषियों को गिरफ्तार किया जाए और समयबद्ध तरीके से जांच की जाए।

हिंसा की घटनाओं पर संज्ञान लेते हुए एनएचआरसी ने कहा कि उसे हिन्दुस्तान टाइम्स समेत विभिन्न अखबारों में प्रकाशित हुईं कई मीडिया रिपोर्ट्स से चुनावी नतीजों के बाद तीन मई को बंगाल में हुईं कई लोगों की मौतों के बारे में पता चला है। राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ताओं की एक-दूसरे के साथ भिड़ंत हुई, जिसमें पार्टी दफ्तरों पर हमला किया गया, जबकि कुछ घरों में भी तोड़फोड़ की गई। कई महत्वपूर्ण सामान को भी लूट लिया गया। जिला प्रशासन और स्थानीय कानून और व्यवस्था प्रवर्तन एजेंसियों ने प्रभावित व्यक्तियों के मानवाधिकारों के इस तरह के उल्लंघन को रोकने के लिए कार्रवाई नहीं की है। निर्दोष नागरिकों के जीवन के कथित उल्लंघन का मामला मानते हुए, आयोग ने मामले का संज्ञान लिया है और डीआईजी से जांच विभाग के अधिकारियों की एक टीम गठित करने का अनुरोध किया है। मौके पर तथ्य जांच करने के लिए और जल्द से जल्द एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए भी आयोग ने कहा है, जिसके लिए दो सप्ताह का समय दिया गया है।

बंगाल में विधानसभा चुनावों के बाद हुई हिंसा में अब सुप्रीम कोर्ट ने भी दखल दिया है। कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार, बंगाल सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस भेजा है। ये नोटिस हिंदुओं पर हमले से जुड़ी दो याचिकाओं पर भेजे गए हैं। याचिकाओं में चुनाव बाद हिंसा की वजहों और कारण तलाशने के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एस) की जांच की मांग की गई है।

पहली याचिका में कहा गया है कि चुनावों के बाद बंगाल के हजारों हिंदुओं को भाजपा का समर्थन करने की वजह से मुस्लिमों ने निशाना बनाया। दूसरी याचिका में कहा गया है कि चुनावों के बाद तृणमूल कार्यकर्ताओं ने अराजकता, अस्थिरता पैदा कर दी। इन्होंने हिंदुओं के घरों को जला दिया और लूटपाट की। इसके पीछे सामान्य सी वजह थी कि इन लोगों ने भाजपा का समर्थन किया था।

गौरतलब है कि यूपी में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में हिन्दू मुसलमान का झगड़ा नहीं है बल्कि भाजपा कार्यकर्ताओं ने पुलिस की मिलीभगत से सपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ जमकर हिंसा की है।

ब्लाक प्रमुख चुनाव की बानगी देखिये –

इटावा के बढ़पुरा ब्लॉक में भाजपाई इतने उग्र हो गए कि उन्होंने एसपी सिटी प्रशांत कुमार सिंह को थप्पड़ जड़ दिया। यहां आनंद यादव सपा से उम्मीदवार और गणेश राजपूत भाजपा से प्रत्याशी हैं। भाजपा प्रत्याशी के वोट पड़ चुके थे। इसके बाद वो वोटिंग में व्यवधान उत्पन्न करने लगे। आरोप है कि सत्ता पक्ष के लोगों ने ब्लॉक से 200 मीटर की दूरी पर पुदी चौराहा पर हवाई फायरिंग की, जिसके बाद पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े। इसी दौरान भीड़ में किसी ने एसपी सिटी को थप्पड़ मारा।

प्रतापगढ़ के आसपुर देवसरा ब्लाक में मतदान स्थल के बाहर सपा नेताओं और पुलिस में झड़प हुई। सपाइयों ने पुलिस पर पथराव किया है। बचाव में पुलिस ने हवाई फायरिंग की है।

सीतापुर के पहला ब्लॉक पर भाजपा प्रत्याशी के समर्थकों की गाड़ी से असलहा, लाठी-डंडे, ज्वलनशील पदार्थ बरामद हुआ है। एक युवक गिरफ्तार हुआ है। अमरोहा के जोया ब्लॉक में मतदान केंद्र के बाहर सपा और भाजपा कार्यकर्ता आपस में भिड़ गए। जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया है। कई लोग जख्मी हुए हैं।

फिरोजाबाद के जसराना ब्लॉक में निर्दलीय प्रत्याशी संजीव यादव की गाड़ी से एक राइफल और एक पिस्टल बरामद हुई है। पुलिस ने जब्त किया है।रायबरेली के शिवगढ़ ब्लाक परिसर के बाहर भाजपा नेताओं ने जमकर हंगामा किया। यहां निर्दलीय प्रत्याशी शिल्पा सिंह के समर्थक व भाजपा समर्थक आमने सामने हैं।

हमीरपुर के सुमेरपुर ब्लाक में सपा क्षेत्र पंचायत सदस्यों पर भाजपा नेताओं ने हमला किया। इस दौरान कई गाड़ियां तोड़ी गईं। पुलिस मौके पर मूकदर्शक बनकर खड़ी रही। सिद्धार्थ नगर के नौगढ़ ब्लाक में भाजपा प्रत्याशी के समर्थकों ने वोटिंग करने जा रहे बीडीसी को पुलिस की मौजूदगी में खींचकर पीटा है। बीडीसी को पुलिस ने भगा दिया है। निर्दल प्रत्याशी ने प्रशासन पर सत्ता पक्ष के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया है।

कानपुर के चौबेपुर ब्लॉक में सपा-भाजपा समर्थक आमने-सामने आ गए। वर्चस्व को लेकर दोनों तरफ से नारेबाजी हो रही थी। यहां भाजपा के राजेश शुक्ला और सपा के अभिनव शुक्ला के बीच मुकाबला है। पुलिस समझाने में जुटी थी। महोबा के चरखारी ब्लॉक में वोटिंग के दौरान गड़बड़ी का मामला सामने आया है। वार्ड 106, 712 और 15 के सदस्यों का आरोप है कि उनके प्रस्तावक प्रपत्र पर जबरन हस्ताक्षर करा लिए हैं।

लखनऊ के सरोजनी नगर ब्लॉक के बाहर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने हंगामा किया। ब्लॉक में चल रही वोटिंग को लेकर धांधली का आरोप लगाया है। मौके पर भारी पुलिस बल मौजूद था। इटावा के सदर क्षेत्र के बढ़पुरा ब्लॉक में मतदान प्रभावित किया गया। पुलिस और सत्ता पक्ष के लोगों में मारपीट हुई। भीड़ को अनियंत्रित करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे, डीएम और एसएसपी की मौजूदगी में हुई हवाई फायरिंग।

बाराबंकी के त्रिवेदीगंज ब्लॉक में वर्तमान बीजेपी ब्लाक प्रमुख प्रत्याशी और पूर्व बीजेपी नेता के बीच जमकर बवाल हुआ। बवाल के दौरान गाड़ियों में तोड़फोड़ की गई। हाईवे पर कई घंटों तक अफरा-तफरी रही। पुलिस बल ने भीड़ को नियंत्रित किया। चंदौली के सदर ब्लॉक में सपा और भाजपाइयों में विवाद हुआ और दोनों पक्षों में पथराव शुरू हो गया। हालांकि मामले को संभालने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग का प्रयास किया लेकिन तब तक मामला बिगड़ चुका था और दोनों पक्षों में जमकर मारपीट हो गई।

8 जुलाई को नामांकन के आखिरी दिन ब्लाक प्रमुख प्रत्याशियों के समर्थकों और रास्ता के साथ मारपीट की घटनाएं सामने आई हैं। लखीमपुरखीरी में नामांकन दाखिल करने के दौरान सामने आए एक विचलित करने वाले वीडियो में एक महिला के साथ मारपीट की गई और उसकी साड़ी को दो पुरुषों ने खींच लिया। जिस महिला पर हमला किया गया, वह समाजवादी पार्टी की समर्थक थी और प्रखंड पंचायत चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने वाली एक उम्मीदवार के साथ थी। 8 जुलाई को सीतापुर लखीमपुर समेत उत्तर प्रदेश के 24 जिलों के 24 थाना क्षेत्रों में ब्लॉक प्रमुख उम्मीदवारों के नामांकन पत्रों के दौरान भाजपा और सपा के उम्मीदवारों और समर्थकों के बीच में मारपीट और गोलीबारी की घटनाएं भी सामने आई थीं। इसके बाद करीब एक हजार अज्ञात पर केस दर्ज किया गया है।

उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान कई जिलों में हिंसा हुई। कहीं मारपीट हुई, कहीं थाने फूंक दिए गए, तो कहीं पुलिस को निशाना बनाया गया। इस पर यूपी पुलिस ने कार्रवाई करते हुए अब तक 2006 लोगों के खिलाफ मामले दर्ज कर लिए हैं। 203 एफआईआर दर्ज कराई हैं। अभी यह संख्या बहुत ज्यादा बढ़ सकती है।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।) 

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